Thursday 19 August 2021

गज़नी का इतिहास गज़नी भारत कब आए आया ( पूरा इतिहास) , Sasanian Empire , Abassid caliphao , Zoroastrian , Samanian dynasty (819 - 999) , Iran, Tajikistan, Turkmenistan, Uzbekistan, Kyrgyzstan, Kazakhstan and Pakistan. , Kabul and Kandahar, Battle of Peshawar, Samanian dynasty,महमूद गजनी , ghazwa-e-hind , आनंदपाल,जयपाल, Sukhapala, भटिंडा , चंद्रपाल, सोमनाथ मंदिर, चालुक्य वंशज , चामुंडा राजा ,भीमा राजा,Kanthkot,Jude and the Janjuha,राजा Kumarapala,Alauddin Khalji's,Kanhadadeva ,Nusrat Khan,Khengara,सरदार वल्लभभाई पटेल,

 जानते हैं की ईरान और अफगानिस्तान में क्या परिस्थिति थी , और कैसे मुस्लिम शासक पहले  अफगानिस्तान आए फिर भारत


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 224 to 632 तक The Sasanian Empire -  iran जिसे उसमें परसिया कहा जाता था , और मुख रिलिजन इन का Zoroastrian था



और यह उज़्बेकिस्तान , और अफगानिस्तान , iran  iraq तक फैला था लेकिन 632 के बाद यहां Civil war  हो गया 






Sasanian Empire का निरंतर युद्ध Rome (Byzantine) से चलता रहता था , जिसके कारण यहां की बहुत बुरी लोगों की स्थिति हो गई थी और लोगों में आक्रोश आ गया था तथा धन की बहुत कमी हो गई थी इत्यादि 



इसका फायदा उठाकर मुस्लिम शासकौ ने  यहां अपने राज कायम कर लिया ,  लेकिन 651 के बाद यह टुकड़ों में बट गया


750 के बाद इसे पूरा नियंत्रण Abassid  caliphao ने कर लिया



हालांकि वह तो छोटे-छोटे एंपायर अभी भी Zoroastrian ही शासन कर रहे थे लेकिन समय बीती समय के साथ इस्लाम इस्लामिक धीरे-धीरे करके उन्हें समाप्त कर दिया



इनमें से एक बड़ा शासन Samanian dynasty (819 - 999) आया जो की पहले Abbasid calipha के नियंत्रण में से थे लेकिन बाद में उन्होंने अपने आप को स्वतंत्र घोषित कर दिया था


और इनका मुख्य क्षेत्र  Iran, Tajikistan, Turkmenistan, Uzbekistan, Kyrgyzstan, parts of Kazakhstan and Pakistan.

तक फैला था

यह sunni - irannian  एंपायर  था और उनकी मुख्य language  उन्होंने parsi ही रखी थी |


Alp-Tegin एक governor , Samanian dynasty का था और Samanian dynasty के दौरान इसने हिंदू-कुश पर्वत  जो अफगानिस्तान  और ईरान  के बीच पड़ता है उसको को पार करके  Kabul and Kandahar के बीच का क्षेत्र ( जो कि आज  Afghanistan का क्षेत्र है )  , को अपने नियंत्रण में ले लिया था


Alp-Tegin ने अपनी बेटी की शादी   Sabuktigin

से की थी और अपने मरने से पहले अफगानिस्तान का गवर्नर को बना दिया था



 उस समय काबुल में हिंदू राजा जयपाल का शासन था जिसे हरा कर Sabuktigin ने पूरे अफगानिस्तान को अपने नियंत्रण में ले लिया था |

इस युद्ध को Battle of Peshawar. जोकि  27 November 1001 को हुआ था |


इसके बाद Sabuktigin  का बेटा महमूद गजनी वहां का शासक बना


और बाद में Samanian dynasty के बिखरते ही 962 -963 मैं महमूद गजनी  ने इसे स्वतंत्र घोषित कर दिया

 

महमूद गजनी को abbasid  की खलीफा से अच्छे  तालुकात थे और अच्छा सहयोग प्राप्त  था 

कारण था दोनों sunni विचारधारा के थे | 


महमूद गजनी  - 997 मैं  जिहाद की शपथ ली थी कि हर साल वह भारत पर हमला करेगा जब तक उत्तरी भारत उसके कब्जे में ना आ जाए ( इसको  ghazwa-e-hind से भी जोड़कर देखा जाता है )


उसने अपने शासनकाल में भारत में 17 बार हमला किया और मंदिरों को तोड़ा और भारत के अमीर शहरों को लूटा  , 


राजा जयपाल की मृत्यु के बाद उनके बेटे आनंदपाल सेना एकत्रित करने में लग गए


सन 1001 सबसे पहले गजनी ने Afghanistan और Pakistan के अमीर शहरों पर हमला किया और वहां से लौटकर वह गाजी ले गया 


सन 1005 Bhatia शहर को ,  फिर 1006 को मुल्तान शहर में हमला किया , मुल्तान में गजनी पर जयपाल के बेटे आनंदपाल ने हमला किया जिस कारण गजनबी वहां टिक नहीं सका |


फिर उसी वर्ष उसमें भटिंडा पर हमला किया जहां आनंदपाल के बेटे Sukhapala का शासन था



फिर सन 1014 मैं  , haryana के thanesar शहर में उसने हमला किया तथा उसी वर्ष उसने कश्मीर में भी हमला करने की कोशिश की दोनों ही जगह वह असफल रहा



फिर सन 1018 मैं उसने मथुरा Mathura पर हमला किया जिससे वहां के राजा चंद्रपाल ने उसे सामना किया लेकिन इस युद्ध में चंद्रपाल की मृत्यु हो गई |




वहां उसने भीषण मंदिरों का नुकसान और पुजारियों की तथा  निवासियों की हत्या की थी 



महमूद गजनी का सबसे चर्चित हमला सोमनाथ  मंदिर का है. जो 1025 मैं हुआ था

जब सोमनाथ के मंदिर में हमला हुआ , तब वहां पर भीमा राजा का शासन था  और वह चालुक्य वंशज के चामुंडा राजा के पुत्र के पुत्र था यानी grandson था



जब उसे पता चला कि महमूद गजनी अपनी बहुत बड़ी सेना के साथ सोमनाथ पर आ रहा है तो वह अपनी राजधानी छोड़कर - Kanthkot (  जो gujrat के कक्ष में आता है ) वहां  चला गया |



लेकिन सोमनाथ के पुजारी और वहां के लोगों ने गजनबी का डट से मुकाबला किया , और यह संघर्ष 1 वर्ष तक चलता रहा | 


आखिर में उसने सोमनाथ मंदिर को तहस-नहस कर दिया तथा वहां की सोना चांदी को भी लूट लिया और वहां से चला गया


जब वह वापस जा रहा था तो Jude and the Janjuha के जाटों ने उस पर हमला किया जिससे उसकी सेना का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ लेकिन वह बच गया




उसके बाद भीमा राजा दोबारा आ गए और अपना राज्य नियंत्रण में ले लिया


Bhima राजा का वहां बहुत विद्रोह हुआ , लेकिन भीमा राजा ने विद्रोह को दबा दिया


राजा Kumarapala (r. 1143–1172 ) ने फिर से उस मंदिर को बनवाया , और 1169 मे , यह फिर से बनकर तैयार हो गया |



राजा Kumarapala ,  राजा भीमा का ही वंशज था और गुजरात का शासक था



आगे चलकर सोमनाथ मंदिर पर , Alauddin Khalji's की सेना ने 1299 फिर तोड़ दिया 


जब खिलजी की आर्मी वहां के बहुत से औरतों को बच्चों को और लोगों को बंदी बनाकर दिल्ली की तरफ वापस ले जा रही थी तब बीच रास्ते में  Kanhadadeva , (jalore राजस्थान के राजा )

ने उस पर हमला किया ,  जिसमें खिलजी का भतीजा

Nusrat Khan की मृत्यु हो गई |

उस समय खिलजी के आर्मी ज्योतिर्लिंग को दिल्ली ले जा रही थी ,जिसे Kanhadadeva ने अपने कब्जे में ले लिया



 फिर राजा Mahipala (1308 to 1331 )  ने 1308

मंदिर को फिर से बनवाया और फिर उनके पुत्र

Khengara ने 1331 और 1351 के बीच उसमें ज्योतिर्लिंग स्थापित किया



फिर 1665 मैं औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करने का आदेश दिया , और यह कई बार हुआ


फिर 1702 मैं औरंगजेब ने उसे दोस्त करने के आदेश दिया

औरंगजेब ने कहा था कि अगर हिंदू उसमें पूजा करेंगे तो दो मंदिर को नष्ट करता रहेगा |


और फिर जब सरदार वल्लभभाई पटेल ने जूनागढ़ को भारत में मिलाने का काम चल रहा था तभी भव्य सोमनाथ मंदिर बनाने की भी घोषणा कर दी




फिर गजनी ने 1026  Jude and the Janjuha जाट्स पर हमला किया ,  


 य जाट Nilab and Bhera, के बीच पहाड़ों जिन्हें Salt Range. भी कहा जाता है , वहां रहते थे


महमूद गजनी अचानक से षड्यंत्र बनाकर हमला करता था और हमला करते ही वहां से निकल जाया करता था वह कभी किसी भी राज पर शासन नहीं कर पाया

एक तरह से वह जिहाद कर था


वही Turkistan ( जिसे आज turkmenistan ) कहा जाता है


से निकले Seljuks empire का विस्तार होता जा रहा था


Seljuks  पहले मुस्लिम नहीं थे  , लेकिन बाद में मुस्लिमों के प्रभाव से वह इस्लाम में कन्वर्ट हो गए थे


और इनका Empire ,   अफगानिस्तान के हिंदू कुश से लेकर तुर्की तक फैल गया था तथा इसमें Iran पूरा आता था 



Seljuk, के पोते (  यानी. grandson ) Tughril,

 ने बार-बार गजनी के अंपायर पर हमला शुरू कर दिया था


मोहम्मद गजनी के मरने के बाद उनके बेटे Mohammed (मोहमीद ) शासक  बने लेकिन

सिर्फ 50 दिन के अंदर ,  उनके हमशकल भाई   Mas'ud ने उन्हें अंधा करके , jail  में डाल दिया - 



और बाद में मसूद की लड़ाई , Seljuk, के पोते (  Tughril से हुई और मसूद हार गया और यहीं से गजनी empire  पूरा Seljuk में चला गया

इस लड़ाई को Battle of Dandanaqan के नाम से जाने जाते हैं और यह पाकिस्तान और बलूचिस्तान के बीच हुई थी 


इसके बाद मसूद ने अपने पैसे खट्टा करके सीना तैयार करके भारत पर आक्रमण किया लेकिन वहां की राज्यों ने उसे खदेड़ दिया |

इसके बाद उसके भाई  Mohammed (मोहमीद ) ने उसको मरवा दिया जेल से रिहा होकर



मोहम्मद गजनी कि Afghnaistan आने से पहले अफगानिस्तान का एक क्षेत्र जिसे घोर ( ghor )  कहते हैं



वहा ghor dynasty  राज करती थी


12 वीं शताब्दी से पहले यहां पूरे बौद्ध हुआ करते थे  लेकिन जब महमूद गजनी  - का शासन आया तो इसने पूरी तरह से से इस्लाम में तब्दील कर दिया


10 शताब्दी में Amīr Sūrī  का शासन था

जोकिंग एक बौद्धिक शासन था


Amīr Sūrī के बाद उनके बेटे Muhammad ibn Suri.  आया का शासन आया , उनका टाइटल जरूर इस्लामिक था पर वह बौद्ध थे |

 के बाद उनके बेटे Abu Ali ibn Muhammad ने 1011   मैं गजनी के कार्यकाल में बौद्ध से इस्लाम अपना लिया

और कई पीढ़ी उनकी राज करती रही 



और फिर इन्हीं के वंशज थे Ghiyath al-Din Muhammad ( 1163 to 1202 ) जो ghor dynasty  के शासक बने |

और उनकी मृत्यु के बाद उनके भाई Mu'izz ad-Din

(1202–1206) ,  ghor  के शासक बने |


Mu'izz ad-Din को ही हम Muhammad Ghori के नाम से जानते हैं





Mu'izz ad-Din ने भारत पर पहला आक्रमण गुजरात में किया , लेकिन उन्हें गुजरात के Chaulukya ruler Mularaja (जो राजा Bhima के ही वंशज थे ) उन्होंने उन्हें Battle of Kasahrada 1178 में हरा दिया

यह जगह आज राजस्थान और गुजरात की बॉर्डर सिरोही डिस्ट्रिक्ट  पर पड़ती है 



Mu'izz ad-Din बहुत बुरी तरह से पराजित होने के बाद वह वापस ghor चला गया ,  रेगिस्तान के रास्ते


 

1186 Mu'izz ad-Din ने अपने भाई Ghiyath al-Din के साथ मिलकर  Ghaznavid dynasty पर अपना एकत्र अधिकार कर लिया |


जिससे मुल्तान और पंजाब भी Mu'izz ad-Din या मोहम्मद गोरी के कंट्रोल में आ गया |

 Ghaznavid dynasty उस समय Seljuk के अधीन थी |





उस समय राजस्थान का जो क्षेत्र था उसे Chahamanas  kingdom  (यानी चौहान  किंगडम ) से जाना जाता था

और राजस्थान में यह  (6 ) छठी शताब्दी से (12वीं )

शताब्दी तक रहा |



1110-1135  के बीच गजनी के सुल्तान Bahram Shah ने कई बार यहां पर आक्रमण किए जिसे यहां के राजा Arnoraja ने उसे  बहुत बार खदेड़ा |


अब यहां के राजा थे पृथ्वीराज चौहान और उनकी राजधानी थी अजमेर जिसका वास्तविक नाम Ajayameru था


पृथ्वीराज चौहान के राज्य मैं Rajasthan, के अजमेर Haryana, and Delhi; and और कुछ Punjab, Madhya Pradesh and west  Uttar Pradesh. का क्षेत्र  आता था



1186  Mu'izz ad-Din  गुजरात के Chaulukya ruler Mularaja से हारने के बाद पंजाब और मुल्तान को अपने कंट्रोल में करने के बाद उसने पृथ्वीराज चौहान को पत्र लिखा जिसमें उसने उसे इस्लाम कबूल करने के लिए भी कहा |


जवाबी पत्र में  पृथ्वीराज चौहान ने उसे बहुत बुरा भला लिखा जिससे उसने पृथ्वीराज चौहान पर हमला करने का निर्णय किया |





,Mu'izz ad-Din's   की army ने सबसे पहले  Tabarhindah fort ( जो कि आज बठिंडा में है ), उसे अपने कब्जे में ले लिया



और फिर दोनों की सेना -  1191 मैं Tarain  मिली


Tarain को ही आज तरौरी के नाम से जाना जाता है और यह हरियाणा  के Thanesar के पास पड़ता है 




इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी  या 

Mu'izz ad-Din को बुरी तरह से हराया 



और पृथ्वीराज चौहान ने  Tabarhindah fort 

पर अपना फिर से नियंत्रण कर लिया |


.  इसमें  Mu'izz ad-Din  मरते-मरते बचे थे और पृथ्वीराज चौहान ने उन्हें जिंदा छोड़ दिया था |



जब Mu'izz ad-Din वापस ghor पहुंचा तो वह फिर से युद्ध की तैयारी करने लगा


फिर अगले वर्ष यानी 1192 मैं Mu'izz ad-Din ने फिर से युद्ध की तैयारी करने लगा




पृथ्वीराज चौहान की तीसरी पत्नी थी Samyukta

वह राजा जयचंद की बेटी थी 


शादी से ही पहले दोनों में प्यार था जब राजा जयचंद को पता चला तो उसने Samyukta की शादी के लिए स्वयंवर रचाया |


उसमें बहुत से राजा आए पर पृथ्वीराज चौहान को नहीं बुलाया गया


 इससे पृथ्वीराज नाराज होकर उसने संयोगिता को वहां से भगाने का प्लान बनाया , जिसमें वह सफल भी हो गए |





उस समय राजा जयचंद Gahadavala  dynasty  के राजा थे |

और यह dynasty उस समय ,  east उत्तर प्रदेश तथा बनारस और कन्नौज आदि पर शासन कर रहे थे



पृथ्वीराज में और राजा जयचंद में पहले से ही Difrences था लेकिन जब संयोगिता को पृथ्वीराज चौहान उसके राज्य से गुप्त तरीके से भगा कर ले गया तब वह इसके प्रति बदला लेने की सोचने लगा



वही बुंदेलखंड के chandela dynasty के राजा Paramardi ( 1165-1203 ) को पृथ्वीराज चौहान ने 1182-11

83 ने महोबा में उन्हें हराया था , जिससे वह भी काफी खफा थे |



Mu'izz ad-Din को इसका पता चला और उसने इन दोनों राजा  , जयचंद और Paramardi  से पृथ्वीराज के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए संधि कर ली |



और फिर से पृथ्वीराज चौहान की सेना और Mu'izz ad-Din और उनके सहयोगी तराइन  के मैदान में फिर आमने-सामने मिले



Mu'izz ad-Din तराइन  पृथ्वीराज चौहान से सीधा युद्ध नहीं लड़ना चाहते थे , तो उस समय हिंदू राजा रात में युद्ध नहीं लड़ते थे , यह उनके नियम के विरुद्ध था


तो Mu'izz ad-Din ने इसका फायदा उठाया और रात में ही उनकी सेना पर हमला कर दिया 



पृथ्वीराज चौहान की सेना अचानक से इस हुए हमले से के लिए तैयार नहीं थी लेकिन पृथ्वीराज चौहान की अगुवाई में वह तुरंत तैयार हो गए और युद्ध करने लगे 

.

पृथ्वीराज चौहान के सहयोगी सेना अभी मैदान में पहुंची नहीं थी जिसके कारण वो युद्ध हार गए पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु हो गई 


पृथ्वीराज चौहान के मरने से ही पूरी Chahamana dynasty पर Mu'izz ad-Din के अधीन आ गई यानी अजमेर और दिल्ली में Mu'izz ad-Din   का शासन हो गया |



इस युद्ध को. Second Battle of Tarain - 1192 के नाम से जाना जाता है |



इस युद्ध में. Mu'izz ad-Din  का general  Qutb al-Din Aibak  था 


और 

युद्ध के बाद  Mu'izz ad-Din  ने  

Qutb al-Din Aibak. को यहां का शासक बना दिया



Qutb al-Din Aibak ने  Gahadavala dynasty पर की तरफ बढ़ने लगा  , तभी Hariraja जोकि पृथ्वीराज चौहान का भाई था उसने अजमेर पर

1193 , Qutb al-Din Aibak की सेना हमला करके

Qutb al-Din Aibak की सेना को हरा दिया 


 फिर Hariraja ने अपनी एक सेना की टुकड़ी के साथ दिल्ली की तरफ बड़ा ताकि  दिल्ली को अपने अधीन कर ले



लेकिन Hariraja की  छोटी सी सेना कुतुबुद्दीन की बड़ी सेना  से परास्त हो गई 


और इस युद्ध में हरिराजा की मृत्यु हो गई


लेकिन राजस्थान का रणथंबोर किला और बहुत से क्षेत्र चौहानों की ही अधीन रहा


 फिर कुतुबुद्दीन ने 1192 मैं मेरठ और बैरन जिसे आज बुलंदशहर के नाम से जाना जाता है को अपने कब्जे में ले लिया और यहीं से वह


यहां पर Tomar शासकों ने कुतुबुद्दीन की मदद की थी और बदले में कुतुबुद्दीन ने उन्हें दिल्ली का शासक बना दिया लेकिन 1 साल की ही अंदर कुतुबुद्दीन में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया , और  1193 मैं दिल्ली को पूरे अपने नियंत्रण में कर लिया



 फिर 1194 मैं Qutb al-Din Aibak ने यमुना पार करके अलीगढ़ को अपने नियंत्रण में ले लिया जिसका पहला नाम koil  था


 फिर उसी वर्ष. Gahadavala dynasty 

 के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया 

इस युद्ध को Battle of Chandawar  के नाम से जाना जाता है , जिसमें गढ़वाल के राजा

Jayachandra  की बुरी तरह से हार हुई


 हालांकि बाद में जयचंद्र के बेटे Harishchandra

1197 अपना बहुत बड़ा भूभाग जिसमें बनारस फिरोजाबाद कन्नौज इत्यादि को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया और यह उसका अधिकार क्षेत्र iltutmish  के आने तक बना रहा




फिर 1198 मैं कुतुबुद्दीन ऐबक ने Mount Abu जो कि गुजरात और राजस्थान के बीच पड़ता है वहां पर हमला किया और chalukya  रुलर्स को हराकर फिर गुजरात के हिस्से पर आक्रमण किया 


लेकिन बहुत ही कम समय मैं चालुक्य ने   गुजरात  से उन्हें धकेल दिया |


इसी समय मोहब्बत बिन गोरी यानी Muwaizzdin भारत छोड़कर ghor चला गया था





फिर सन 1202 मैं , चंदेल किंगडम पर हमला किया और उनके अहम किला कलिंजर को अपने नियंत्रण में ले लिया |


इससे. Kalinjar, Mahoba, और Khajuraho उनके नियंत्रण में आ गए जोकि चंदेल किंगडम के बहुत अहम इलाके थे और चंदेल किंगडम को फिर पन्ना जो कि मध्य प्रदेश में आता है - की तरफ जाना पड़ा |



उसी समय बख्तियार खिलजी जोकि कुतुबुद्दीन के अंडर में था वह बिहार और बंगाल पर अपना शासन बनाने में सफल हो गया था |


उसने बिहार और बंगाल के सभी बौद्ध स्मारकों को तहस-नहस कर दिया था |

बिहार और बंगाल में पहले अधिकतम बौद्ध रहते थे जिन्हें बख्तियार खिलजी ने इस्लाम कबूल करवा दिया था |


वहां बड़े पैमाने में अत्याचार हुए थे



जब वह बिहार और बंगाल में अपनी विजय करके लौटा तो कुतुबुद्दीन उससे बहुत खुश हुए



वही ghor  मे Khwarmezians  डायनेस्टी ने हमला कर दिया 


और ghor city के पास  


लेकिन  , Mu'izz ad-Din किसी भी तरह से ghor city  को बचाने में सफल रहा

और वह ghor  से दोबारा Khwarmezians के

खिलाफ युद्ध की तैयारी करने लगा | लेकिन वह सफल नहीं हो पाया और वह फिर दिल्ली आ गया



इसके बाद पूरा ghor  और afghanistan -  Khwarmezians के नियंत्रण में आ गया




फिर सन 1206  मैं ,  भारत के शासन को कुतुबुद्दीन ऐबक के अधीन कर दिया




फिर 15 March 1206, Mu'izz ad-Din को को मार दिया ,  इसके कई source होते हैं 


भारत में कहा जाता है कि पृथ्वीराज ने ही उसे मारा था 


इसके सच को इस्लामिक इतिहासकारों ने छिपा दिया



फिर सन 1210 मैं , polo खेल के दौरान घोड़े से गिरकर उसकी मौत हो गई 


कहा जाता है कि उसे एक साजिश के तहत उसे गिरा कर मारा गया था



कुतुबुद्दीन के मरने के बाद Aram Shah  को नया sucessor  बनाया गया


लेकिन Aram Shah  के दिल्ली सिंहासन पर बैठते ही ,  बहुत से जो छेत्र जो पहले कुतुबुद्दीन ऐबक के नियंत्रण में थे वह स्वतंत्रता की मांग करने लगेैं |


महज 8 महीने में ही फिर कुतुबुद्दीन के खास जनरल ने

आराम शाह को हटाकर कुतुबुद्दीन ऐबक  के गुलाम इल्तुतमिश को सिंहासन पर बैठा दिया



 इल्तुतमिश को कुतुबुद्दीन ने  1197 मैं खरीदा था

और वह कुतुबुद्दीन के बहुत करीब था |


बाद में कुतुबुद्दीन की बेटी की शादी भी इल्तुतमिश से ही हुई थी |



दिल्ली का पूरा नियंत्रण इल्तुतमिश के बाद उनके परिवार के लोगों ने किया


 लेकिन बाद में इल्तुतमिश के खरीदे हुए गुलाम

Ghiyas ud din Balban. को उत्तराधिकारी बना दिया गया 


Ghiyas ud din Balban को मंगोलियंस ने एक सूफी को बेचा था जिसे बाद में इल्तुतमिश ने उसे उस सूफी से खरीद लिया था


यह अधिकतर सभी राजा किसी ने किसी के खरीदे हुए गुलाम थे इसलिए इन सभी राजाओं को गुलाम वंश की श्रेणी में रखा जाता है



Ghiyas ud din Balban का शासन 1266–1287

तक चला




ज्ञासुद्दीन बलबन के मरने के बाद उनके पोते Qaiqabad अगले शासक बने


Qaiqabad बहुत ही अय्याश किस्म का था |


शराब और औरतों क बहुत बड़ा अय्याश था |



Qaiqabad का शासन 1287 – 1290 महज 3 वर्ष ही चला  

और सन 1290 में उसको उनके  ही जनरल ने मरवा दिया


और साथ ही उसके बेटे को भी मरवा दिया इससे इस गुलाम वंश की पीढ़ी का कोई अगला उत्तराधिकारी नहीं बचा


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फिर Jalal-ud-din Khalji ने दिल्ली सल्तनत की सत्ता को अपने नियंत्रण में ले लिया और यहीं से खिलजी वंश की शुरुआत हुई




Jalal-ud-din Khalji पहले गुलाम वंश के राजाओं की सेना में अहम पदों में था. और Qaiqabad के बहुत करीब था


सन 1290 में Jalal-ud-din Khalji ने Chahamana (Chauhan) kingdom पर आक्रमण किया लेकिन वह आखिरी चौहान राजा

Hammira से परास्त हो गए 





In July 1296 मैं Jalal-ud-din Khalji के ही एक भतीजे अली जो बाद में अलाउद्दीन खिलजी के नाम से जाना गया उसने  साजिश रच के.   Jalal-ud-din Khalji को  मरवा दिया और खुद फिर delhi शासन को अपने नियंत्रण में ले लिया



अलाउद्दीन खिलजी , Jalal-ud-din Khalji का दमाद भी था


फिर सन 1299 मैं , अलाउद्दीन खिलजी  की सेना ने गुजरात में फिर हमला किया और वहां की फिर मंदिरों को गिराया जिसमें सबसे प्रमुख था सोमनाथ का मंदिर इस समय गुजरात में Vaghela king Karna राज कर रहे थे हालांकि उनकी सेना बहुत कमजोर थी खिलजी की विशाल सेना के सामने


लेकिन सन 1304 में Vaghela king Karna ने दोबारा गुजरात पर खिलजी की सेना पर आक्रमण किया और गुजरात के बहुत से  हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया था


गुजरात में आक्रमण के दौरान अलाउद्दीन खिलजी ने वहां से Malik Kafur. को कैद कर लिया था जिसे बाद में इस्लाम कबूल करवा कर उसे अपना जनरल बना दिया था और मंगोलों के खिलाफ तथा साउथ में भी उसके नेतृत्व में अलाउद्दीन खिलजी ने बहुत से आक्रमण किया और बहुत जगह पर अपनी विजय भी प्राप्त की

और बहुत सी धन संपत्ति को भी लूटा



अलाउद्दीन ने अपने शासन में मुस्लिम उलेमाओं के कहने पर हिंदुओं पर अत्याचार किए


 उलेमाओं का कहना था कि हिंदू वफादार नहीं होते तो उनको बहुत ही ज्यादा गरीब रखा जाए , इसलिए उन पर अनेकों पाबंदियां तथा टैक्स और छोटे-छोटे अपराधों  पर औरतों के सामने उनके बच्चों को मरवा देना आदि शामिल था


फिर सन 1316 में अलाउद्दीन की मृत्यु बीमारी से हो गई |


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