Friday 30 July 2021

ECG , Heart Electrical Activity - ElecetroCardioGram इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम

  


हेलो स्टूडेंट ynot एजुकेशन में आपका स्वागत है 


आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करने जा रहे हैं इसे आप 

भली-भांति परिचित होंगे टॉपिक को शुरू करने से पहले हम

 आपको कुछ विशेष जानकारी बताएंगे

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हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में चार कक्षीय ह्रदय होता है ,

 जिसमें रक्त लगातार सुचारू रूप से पंप होते रहते हैं  |

हमारे हृदय में दो आलिंद और दो होते नीलया  होते हैं,

 जिन से जुड़ी हुई  पलमोनरी आर्टरी  एंड विंस  (Pulmonary

 artery and Veins)  होती है  जिनके द्वारा रक्त  शरीर के

 विभिन्न भागों में  transport होता रहता है  |


लेकिन  हम यहां उसके बारे में बात नहीं करेंगे यहां पर  हम

 हृदय (Heart) में होने वाली इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी


 (Electrical Activity ) के बारे में बात करेंगे.




अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किसके बारे में 

बात कर रहे हैं जी हां हम बात कर रहे हैं यहां प

 इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम (ElecetroCardioGram) के बारे

 में जिसे हम लोग ECG के नाम से जानते हैं.



आप लोगों ने शायद अस्पतालों में लगे हुए ईसीजी मशीन (ECG Machine ) 

को देखा होगा जिसमें हृदयाघात वाले मरीज (Heart attack Patient)

  को रखा जाता है तकी हृदय में होने वाली विद्युत क्रियाकलापों 

 (Electrical Activity ) का आरेखीय  निरूपण 

 ( Graphical Representation ) किया जा सके 



ईसीजी  (ECG ) एक तरह का मॉनिटरिंग मशीन (Monitoring MAchine )

 है जो कि हृदय में होने वाली विद्युत क्रियाओं  (Electrical Activity ) 

 को तरंग के रूप में प्रदर्शित करती है | 


आपने देखा होगा जब कभी हृदयाघात वाले मरीज (Heart attack Patient) 

को ECG मशीन से कनेक्ट किया जाता है  तो उससे एक आवाज 

आती रहती है pip…….   Pip…….peeeeeeee…………………..

. और साथ ही टेलीविजन (TV) पर एक आरेख चल रहा होता है 

जिसे इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफ कहते है चिकित्सक इसी कार्डियोग्राफ 

के आधार पर हृदय में होने वाली  बीमारियों को पहचान कर उसका 

आवश्यक उपचार करते हैं.


बात करते हैं ECG के आरेख बारे में! 

बीमार व्यक्ति के मानक ईसीजी से प्राप्त करने के लिए मरीज

 को मशीन से तीन इलेक्ट्रिकल लीड  (Three Electrical Lead )

 दोनों कलाइयों (Wrist ) तथा बाई और एड़ी (Left Ancle ) को 

जोड़कर लगातार निगरानी करके प्राप्त  किया जा सकता है |


वैसे तो हृदय के डिटेल एंड इवैल्यूएशन (Detailed and Evaluation ) के


 लिए कई  लीडो (Leads )    को कलाई  (Wrist ) से जोड़ा जाता है लेकिन

 हम यहां केवल मानक ईसीजी (Standard ECG  ) के बारे में बात करेंगे !


ईसीजी (ECG ) के प्रत्येक पीक (Peak ) को पी से टी  ( P to  T )तक 

दर्शाया गया है जो हृदय की विशेष विद्युत क्रियाकलापों को प्रदर्शित करता है


यहां पर P तरंग (P - Wave ) को आलिंद के उद्दीपन 

(Depolarisation Of Atria)  या हुई विध्रुवण (Depolarise)  के

 रूप में बताया गया है  | मतलब यहां पर एक्शन पोटेंशियल 

(Action Potential ) जनरेट  होता है जिसके फलस्वरूप दोनों

 आलिंद (Atria) संकुचित (Contraction / Shrink )होते हैं  |

इस समय ब्लड का प्रवाह आलिंद (Atria)  से Ventricle की

 ओर होता है    इस समय AV Volve ओपन होता है इसे  

Atrial systole कहते हैं



परंतु अगर यह आरेख ( Graphical )  ऐसे show होता है 

मतलब आलिंद (Atria) के संकुचन (Contraction / Shrink ) 

में कुछ प्रॉब्लम है जिससे रक्त प्रॉपर Ventricle की ओर  प्रवाहित

 नहीं हो रहा और आरेख (Graph) देखकर हम पता लगा सकते

 हैं कि  हृदय में किस जगह प्रॉब्लम है और समय रहते आवश्यक

 उपचार ले सकते हैं!


अब बात करते हैं  क्यू आर एस  कंपलेक्स  ( QRS Complex ) के

 बारे में लेकिन उससे पहले  जो  P और QRS के बीच की बीच की 

तरंग है  उसके बारे में जान लेते हैं  | यहां पर P और क्यू आर एस  (QRS ) 

के बीच की तरंग को पीआर इंटरवल  ( PR Interval ) कहते है  | 

पीआर इंटरवल (PR Interval ) एक टाइम पीरियड है जो कुछ 

मिली सेकंड में होता है जिसका मतलब बिगिनिंगऑफ P तरंग 


 (Beginning Of P Wave ) होता है


या हम कह सकते हैं की atrial depolarization and ventricular 

depolarization बीच का जो time period पीरियड हैओ 

 पीआर इंटरवल  ( PR Interval  ) है.   


अब बात करते हैं कि QRS  कांपलेक्स  (QRS Complex ) के बारे

 में यहां पर QRS कांपलेक्स को Ventricles के उद्दीपन

 अर्थात  विद्ध्रुवण  (Depolarisation ) दर्शाया गया है | 

यहां पर भी एक्शन पोटेंशियल (Action Potential ) जनरेट होता है 

और दोनों निलय  (Ventricle ) संकुचित (Contraction)  होते हैं |


यहां पर रक्त का प्रभाव वेंट्रीकल  (Ventricle) से  Aorta की ओर 

होता है और Aorta से होते हुए रक्त शरीर के विभिन्न  अंगों में पहुंचता है  |

  यहां पर एबी  वाल्व  (AV Valve ) बंद होते हैं  |

संकुचन( Contraction)   Q वेब  (Q Wave ) के तुरंत बाद शुरू 

होता है जोकि वेंट्रीकल्स  systole  का सूचक है . |


हम QRS कांपलेक्स  (QRS Complex ) को एक कंपलीट इंपल्स

 (Complete Impulse)  भी मानते हैं


लेकिन यहां अगर ECG  आरेख ( ECG Graph)  में कोई  

विकृति (Abnormalities) होती है  तो यहां पर   निलय  (Ventricle )

 के संकुचन में कोई प्रॉब्लम है  , मतलब रक्त (blood) प्रॉपर 

 निलय  (Ventricle ) से Aorta तथा शरीर के विभिन्न अंगों में 

नहीं पहुंच रहा और आरेख (Graph)  को देखकर के आवश्यक

 उपचार ले सकते है उदाहरण |


 -

 


यहां T  तरंग रिपोलराइजेशन (Repolarization )  ऑफ वेंट्रीकल

  को प्रदर्शित करता है , मतलब यहां वेंट्रीकल एक्साइटिड स्टेट  

(Excited State )  से नॉर्मल स्टेट (Normal State ) में वापस आते हैं |




अब तो आप जान ही गए होंगे  की ईसीजी (ECG) के आधार 

पर हम हृदय से संबंधित बीमारियों का ना केवल पता लगा सकते हैं  |

 अपितु समय रहते इन बीमारियों का आवश्यक उपचार भी ले सकते हैं.|


तो स्टूडेंट आज हमने ईसीजी  (ECG) तथा ईसीजी आरेख (ECG Graph)

 वा हृदय में होने वाली क्रियाओं के बारे में समझा मिलते हैं नेक्स्ट क्लास

 में अगले टॉपिक के साथ हमारे साथ इतना लंबे समय तक  बने रहने

 के लिए थैंक यू ऑल.

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Wednesday 28 July 2021

Finding Out What Happened - Class 6 NCERT chapter 1 Social Science , Inscription , Manuscripts , Paandulipiyon , Name of India , Bharat


Finding Out  What Happened - Class 6 NCERT  chapter 1Social Science

This chapter name is finding out what 

happened means is talking about let's

find out what happened in our past

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In this chapter, we will know how

 our ancestors lived and how their 

homes used to be, from where

 and how do we get their. information.

इस chapter में हम जानेंगे कि हमारे पूर्वज

 कैसे रहते थे और किस प्रकार उनके घर हुआ

 करते थे आदि उनकी इंफॉर्मेशन हमें कहां से 

और कैसे मिलती है

Like we come to know about tomorrow because

 we have seen in TV or heard in radio

 जैसे हमें कल के बारे में तो हमें पता चल

 जाता है क्योंकि हमने टीवी में देखा होता है 

या रेडियो में सुना होता है 


Similarly about 1 year ago, 

we get to know from person 

उसी तरह हमेशा 1 year पहले के बारे में किसी 

आदमी से पता चल जाता है



But if we want to know about 

long ago, then for that we - 

some people of that time have 

written something about 

themselves in the stones, in the 

walls. Or during the excavation , 

we find  items that were made by 

them , through these we came to 

know out about them.

Finding out about the past

There are many ways to learn 

about the past.

One is to find and read books that 

were written long ago.



These are called manuscripts 

(paandulipiyon “) , because they

 were written by hand (this comes 

from the Latin word 'manu', 

meaning hand). These were usually

 written on a palm leaf or on a 

specially prepared bark of a birch 

tree that grows in the Himalayas.




Over the years, many manuscripts 

(paandulipiyon “) were eaten by 

insects, some destroyed, but many 

have survived, often preserved in 

temples and monasteries. These 

books deal with all kinds of topics: 

religious beliefs and practi up Ices, the 

life of kings, medicine and science. 

In addition, there were epics, 

poems, plays. Many of these were 

written in Sanskrit, others in Prakrit

 (the languages ​​used by common 

people) and Tamil.





इन्हें पांडुलिपियां कहा जाता है, क्योंकि ये हाथ से 

लिखी गई थीं (यह लैटिन शब्द 'मनु' से आया है, 

जिसका अर्थ है हाथ)।  ये आमतौर पर ताड़ के पत्ते पर

 या हिमालय में उगने वाले बर्च नामक पेड़ की विशेष 

रूप से तैयार छाल पर लिखे जाते थे। 



इन वर्षों में, कई पांडुलिपियों को कीड़े खा गए, कुछ 

नष्ट हो गए, लेकिन कई बच गए हैं, अक्सर मंदिरों और

 मठों में संरक्षित हैं।  ये पुस्तकें सभी प्रकार के विषयों से

 संबंधित हैं: धार्मिक विश्वास और प्रथाएं, राजाओं 

का जीवन, चिकित्सा और विज्ञान।  इसके अलावा, 

महाकाव्य, कविताएं, नाटक थे।  इनमें से कई संस्कृत

 में लिखे गए थे, अन्य प्राकृत (सामान्य लोगों द्वारा 

इस्तेमाल की जाने वाली भाषाएं) और तमिल में थे।



We can also study inscriptions. These 

are articles written on relatively hard 

surfaces such as stone or metal. 

Sometimes kings got their orders 

engraved so that people could see, 

read and obey them.

 

हम शिलालेखों (Inscription) का भी अध्ययन कर 

सकते हैं।  ये पत्थर या धातु जैसी अपेक्षाकृत कठोर 

सतहों पर लिखे गए लेख हैं।  कभी-कभी राजाओं ने 

अपने आदेश खुदवाए ताकि लोग उन्हें देख, पढ़ और 

मान सकें।

There are also other types of 

inscriptions, where men and women 

(including kings and queens) 

recorded what they did. For 

example, kings often kept records

 of victories in battle.

So . now you know what we get to 

know after studying all these.



1)View Narmada river on this 

map




From some of the information found 

here, it is known that people have 

been living on the banks of this river

 for several lakh years. They were 

aware of the vast variety of plants in

 the surrounding forests, and 

collected roots, fruits and other 

forest produce for their food. They 

also hunted animals.

2) Now discover the Suleiman 

and Kirthar hills in the 

north-west

From here it is known that these are 

some of the areas where women and 

men started growing crops like wheat 

and barley about 8000 years ago.


People started rearing animals like 

sheep, goats and cattle and started 

living in villages.


3) Locate the Garo hills in the 

north-east and the Vindhyas in

 central India.



These were some of the other 

areas where agriculture 

developed. The places north of 

the Vindhyas where rice was first 

grown.

4) Locate the Indus and its 

tributaries (tributaries are smaller 

rivers that flow into a larger 

river).


About 4700 years ago, some of the 

earliest cities flourished on the 

banks of these rivers. Later, about 

2400 years ago, cities developed 

along the banks of the Ganges and 

its tributaries and on the sea coasts.


5) Locate the Ganges and its 

tributary called Son.



In ancient times the area on the 

banks of these rivers to the south of 

the Ganges was known as 

Magadha which is now situated in 

the state of Bihar. Its rulers were 

very powerful, and they established 

a large kingdom. States were also 

established in other parts of the 

country.



During this time people traveled 

from one part of the subcontinent to

 another. There can be many 

reasons for this like


 


Men and women migrated in search 

of livelihood, as well as to escape 

natural calamities such as floods or 

droughts.




● पुरुष और महिलाएं आजीविका की तलाश में चले 

गए, साथ ही बाढ़ या सूखे जैसी प्राकृतिक आपदाओं से 

बचने के लिए भी।  


■ कभी-कभी पुरुषों ने सेनाओं में मार्च किया, दूसरों की 

भूमि पर विजय प्राप्त की।


●  इसके अलावा, व्यापारी कारवां या जहाजों के साथ 

यात्रा करते थे, जो एक जगह से दूसरी जगह कीमती 

सामान ले जाते थे। 


■ और धार्मिक शिक्षक रास्ते में निर्देश और सलाह देने 

के लिए गाँव से गाँव, शहर से शहर तक चलते थे।  


● अंत में, कुछ लोगों ने शायद रोमांच की भावना से 

प्रेरित होकर यात्रा की, नए और रोमांचक स्थानों की 

खोज करना चाहते थे।


  इन सभी के कारण लोगों के बीच विचारों का 

आदान-प्रदान हुआ।



लोगों के इन movements ने हमारी सांस्कृतिक 

परंपराओं को समृद्ध किया।  लोगों ने कई सैकड़ों वर्षों 

में पत्थर तराशने, संगीत बनाने और यहां तक ​​कि खाना 

पकाने के नए तरीकों को साझा किया है।


Names of the land

भूमि क नाम कैसे पड़ा

The two words we often 

use for our country are 

India and Bharat. The word 

India comes from indus, 

which is called Sindhu in 

Sanskrit.


The Iranians and Greeks 

who came from the 

northwest about 2500 

years ago and were 

familiar with the Indus, 

called it hindo or indo

and the land east of the 

river was called India.


The name Bharata was used 

for a group of people who 

lived in the north-west, and 

are mentioned in the 

Rigveda, the oldest Sanskrit 

work (about 3500 years ago).


 Later it was used for the 

country.


हम अपने देश के लिए अक्सर जिन दो शब्दों का प्रयोग 

करते हैं, वे हैं india और भारत।  india शब्द indus 

से आया है, जिसे संस्कृत में सिंधु कहा जाता है।  



 ईरानी और यूनानी जो लगभग २५०० साल पहले उत्तर 

पश्चिम से होकर आए थे और सिंधु से परिचित थे, इसे 

hindo या indo कहा जाता था, और नदी के पूर्व की 

भूमि को भारत कहा जाता था।  


भरत नाम उन लोगों के समूह के लिए इस्तेमाल किया 

गया था जो उत्तर-पश्चिम में रहते थे, और जिनका 

उल्लेख ऋग्वेद में किया गया है, जो संस्कृत की सबसे 

पुरानी रचना है (लगभग 3500 साल पहले की)। 


 बाद में इसका इस्तेमाल देश के लिए किया गया।


Summary ends here

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