हेलो स्टूडेंट ynot एजुकेशन में आपका स्वागत है
आज हम एक ऐसे टॉपिक पर बात करने जा रहे हैं इसे आप
भली-भांति परिचित होंगे टॉपिक को शुरू करने से पहले हम
आपको कुछ विशेष जानकारी बताएंगे
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हम सभी जानते हैं कि हमारे शरीर में चार कक्षीय ह्रदय होता है ,
जिसमें रक्त लगातार सुचारू रूप से पंप होते रहते हैं |
हमारे हृदय में दो आलिंद और दो होते नीलया होते हैं,
जिन से जुड़ी हुई पलमोनरी आर्टरी एंड विंस (Pulmonary
artery and Veins) होती है जिनके द्वारा रक्त शरीर के
विभिन्न भागों में transport होता रहता है |
लेकिन हम यहां उसके बारे में बात नहीं करेंगे यहां पर हम
हृदय (Heart) में होने वाली इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी
(Electrical Activity ) के बारे में बात करेंगे.
अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किसके बारे में
बात कर रहे हैं जी हां हम बात कर रहे हैं यहां पर
इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राम (ElecetroCardioGram) के बारे
में जिसे हम लोग ECG के नाम से जानते हैं.
आप लोगों ने शायद अस्पतालों में लगे हुए ईसीजी मशीन (ECG Machine )
को देखा होगा जिसमें हृदयाघात वाले मरीज (Heart attack Patient)
को रखा जाता है तकी हृदय में होने वाली विद्युत क्रियाकलापों
(Electrical Activity ) का आरेखीय निरूपण
( Graphical Representation ) किया जा सके
ईसीजी (ECG ) एक तरह का मॉनिटरिंग मशीन (Monitoring MAchine )
है जो कि हृदय में होने वाली विद्युत क्रियाओं (Electrical Activity )
को तरंग के रूप में प्रदर्शित करती है |
आपने देखा होगा जब कभी हृदयाघात वाले मरीज (Heart attack Patient)
को ECG मशीन से कनेक्ट किया जाता है तो उससे एक आवाज
आती रहती है pip……. Pip…….peeeeeeee…………………..
. और साथ ही टेलीविजन (TV) पर एक आरेख चल रहा होता है
जिसे इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफ कहते है चिकित्सक इसी कार्डियोग्राफ
के आधार पर हृदय में होने वाली बीमारियों को पहचान कर उसका
आवश्यक उपचार करते हैं.
बात करते हैं ECG के आरेख बारे में!
बीमार व्यक्ति के मानक ईसीजी से प्राप्त करने के लिए मरीज
को मशीन से तीन इलेक्ट्रिकल लीड (Three Electrical Lead )
दोनों कलाइयों (Wrist ) तथा बाई और एड़ी (Left Ancle ) को
जोड़कर लगातार निगरानी करके प्राप्त किया जा सकता है |
वैसे तो हृदय के डिटेल एंड इवैल्यूएशन (Detailed and Evaluation ) के
लिए कई लीडो (Leads ) को कलाई (Wrist ) से जोड़ा जाता है लेकिन
हम यहां केवल मानक ईसीजी (Standard ECG ) के बारे में बात करेंगे !
ईसीजी (ECG ) के प्रत्येक पीक (Peak ) को पी से टी ( P to T )तक
दर्शाया गया है जो हृदय की विशेष विद्युत क्रियाकलापों को प्रदर्शित करता है
यहां पर P तरंग (P - Wave ) को आलिंद के उद्दीपन
(Depolarisation Of Atria) या हुई विध्रुवण (Depolarise) के
रूप में बताया गया है | मतलब यहां पर एक्शन पोटेंशियल
(Action Potential ) जनरेट होता है जिसके फलस्वरूप दोनों
आलिंद (Atria) संकुचित (Contraction / Shrink )होते हैं |
इस समय ब्लड का प्रवाह आलिंद (Atria) से Ventricle की
ओर होता है इस समय AV Volve ओपन होता है इसे
Atrial systole कहते हैं
परंतु अगर यह आरेख ( Graphical ) ऐसे show होता है
मतलब आलिंद (Atria) के संकुचन (Contraction / Shrink )
में कुछ प्रॉब्लम है जिससे रक्त प्रॉपर Ventricle की ओर प्रवाहित
नहीं हो रहा और आरेख (Graph) देखकर हम पता लगा सकते
हैं कि हृदय में किस जगह प्रॉब्लम है और समय रहते आवश्यक
उपचार ले सकते हैं!
अब बात करते हैं क्यू आर एस कंपलेक्स ( QRS Complex ) के
बारे में लेकिन उससे पहले जो P और QRS के बीच की बीच की
तरंग है उसके बारे में जान लेते हैं | यहां पर P और क्यू आर एस (QRS )
के बीच की तरंग को पीआर इंटरवल ( PR Interval ) कहते है |
पीआर इंटरवल (PR Interval ) एक टाइम पीरियड है जो कुछ
मिली सेकंड में होता है जिसका मतलब बिगिनिंगऑफ P तरंग
(Beginning Of P Wave ) होता है
या हम कह सकते हैं की atrial depolarization and ventricular
depolarization बीच का जो time period पीरियड हैओ
पीआर इंटरवल ( PR Interval ) है.
अब बात करते हैं कि QRS कांपलेक्स (QRS Complex ) के बारे
में यहां पर QRS कांपलेक्स को Ventricles के उद्दीपन
अर्थात विद्ध्रुवण (Depolarisation ) दर्शाया गया है |
यहां पर भी एक्शन पोटेंशियल (Action Potential ) जनरेट होता है
और दोनों निलय (Ventricle ) संकुचित (Contraction) होते हैं |
यहां पर रक्त का प्रभाव वेंट्रीकल (Ventricle) से Aorta की ओर
होता है और Aorta से होते हुए रक्त शरीर के विभिन्न अंगों में पहुंचता है |
यहां पर एबी वाल्व (AV Valve ) बंद होते हैं |
संकुचन( Contraction) Q वेब (Q Wave ) के तुरंत बाद शुरू
होता है जोकि वेंट्रीकल्स systole का सूचक है . |
हम QRS कांपलेक्स (QRS Complex ) को एक कंपलीट इंपल्स
(Complete Impulse) भी मानते हैं
लेकिन यहां अगर ECG आरेख ( ECG Graph) में कोई
विकृति (Abnormalities) होती है तो यहां पर निलय (Ventricle )
के संकुचन में कोई प्रॉब्लम है , मतलब रक्त (blood) प्रॉपर
निलय (Ventricle ) से Aorta तथा शरीर के विभिन्न अंगों में
नहीं पहुंच रहा और आरेख (Graph) को देखकर के आवश्यक
उपचार ले सकते है उदाहरण |
-
यहां T तरंग रिपोलराइजेशन (Repolarization ) ऑफ वेंट्रीकल
को प्रदर्शित करता है , मतलब यहां वेंट्रीकल एक्साइटिड स्टेट
(Excited State ) से नॉर्मल स्टेट (Normal State ) में वापस आते हैं |
अब तो आप जान ही गए होंगे की ईसीजी (ECG) के आधार
पर हम हृदय से संबंधित बीमारियों का ना केवल पता लगा सकते हैं |
अपितु समय रहते इन बीमारियों का आवश्यक उपचार भी ले सकते हैं.|
तो स्टूडेंट आज हमने ईसीजी (ECG) तथा ईसीजी आरेख (ECG Graph)
वा हृदय में होने वाली क्रियाओं के बारे में समझा मिलते हैं नेक्स्ट क्लास
में अगले टॉपिक के साथ हमारे साथ इतना लंबे समय तक बने रहने
के लिए थैंक यू ऑल.
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