Tuesday, 18 February 2020

Love status , best love status , top love status love status in hindi

Love status , best love status , top love status
love status in hindi

*"जिंदगी ऐसी ना जियो...!!!*
*"कि लोग 'फरियाद' करे...!!!*

*"बल्की ऐसी जियो...!!!*
*"कि लोग तुम्हे 'फिर-याद' करे...!!!*

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छू गया जब कभी ख्याल तेरा, दिल मेरा देर तक धड़कता रहा, कल तेरा ज़िक्र छिड़ गया घर में, और घर देर तक महकता रहा !❤

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आशिक़ मरते नहीं
            दफनाये जाते हैं,
ज़मीन खोद कर देखो जिंदा पाए जाते है,
कोई कहता इससे आग लगा दो,
कोई कहता इससे ज़मी पे गार दो,
मगर ज़ालिम ज़माना ये नहीं कहता की,
इससे अपने प्यार से मिला दो.


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प्यार️️ क्या  है..?
जब #तुम्हारी  तकलीफ से उसे #दर्द  हो.. वो प्यार हैं !!

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ज़रूरी तो नहीं जो ख़ुशी दे
           उसी से प्यार हो।
क्योकि…
सच्ची मोहब्बत अक्सर दिल तोड़ने वालो से
ही होती है….!!

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[ Pyar ] सिर्फ [ i_Love_u ] बोलने से नहीं हो जाता,
[ Feelings ] भी समझनी पड़ती है एक दुसरे की...

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टूटा तारा देख  कर दिल
        ने कहा मांग ले तू फ़रियाद कोई,
मैंने कहा जो खुद टूट
   रहा है, कैसे पूरी करेगा वो मुराद कोई..टूटा तारा देख

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मेरी मोहब्बत की हद न तय कर _पाओगे तुम,
तुम्हे "साँसों" से भी ज्यादा  मोहब्बत_करते हैं हम..

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प्यार  मोहब्बत आशिकी ये बस अल्फाज थे,
मगर जब  तुम मिले तब इन अल्फ़ाजों  को मायने मिले..!

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बर्बाद कर देती हे, मोहब्बत हर " मोहब्बत करने वाले " को,
क्यूंकि इश्क हार नहीं मानता और " दिल " बात नहीं मानता....
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मोहब्बत" कभी खत्म
    नहीं होती,
बस वक़्त के साथ "खामोश" हो जाया करती हैं...

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किसी  को नफरत  है मुझसे कोई  प्यार कर बैठा
किसी को यकीन नही मुझ पर कोई एतवार कर बैठा

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"दुर... है आप से... तो कोई गम नही
दुर रहकर भुल ने वाले हम... नही
मुलाकात.... ना होतो कया हुआ!
       आप की याद....
मुलाकात ...से कम नहीं


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ये मेरा इश्क है
        कोई मजबूरी नही,
वो मुझे चाहे या मिल
        जाये ये जरूरी नही,
ये क्या कम है मेरी नजरो में बसी है,
अब मेरी आँखों के सामने हो ये जरूरी तो नही



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तुमने क्या सोचा कि तुम्हारे सिवा कोई नही मुझे चाहने वाला,पगली छोङ कर तो देख, मौत तैयार खङी है मुझे अपने सीने लगाने के लिए.

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ना दूर रहने से रिश्ता टूट
             जाता हैं,🙏
और न पास आने से जूड़
                      जाता हैं,
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और
         मजबूत हो जाते हैं.

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*सँवरना _ही है,_तो किसी_ की नज़रों _में सँवरीये _,*

*काँच _के _आईने से _खुद का_ मिज़ाज _पूछा _नहीं करते!*

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दोस्ती निभाते निभाते पता ही नहीं चला

  जाने कब मोहब्बत हो गयी तुमसे


done
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तेरी मुहब्बत पर मेरा हक तो नही...
पर दिल चाहता है..
आखरी साँस तक तेरा इंतजार करूँ..

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अगर फुर्सत के लम्हों में मुझे याद करते हो,

तो मुझे याद मत करना;

मैं तनहा ज़रूर हूँ मगर फ़जूल नहीं।

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तुम्हारे सब_चाहनेवाले मिलकर भी उतना नहीं चाह  सकते तुम्हें,
जितनी_मोह़ब़्बत मैं * अकेली  करती हूँ तुमसे


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*दिल लगाओ तो जुदा होने की हिम्मत भी रखना*

*क्युकी जिंदगी में तकदीर के साथ सौदे नही होते.......*

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कभी कभी अनजान_राहोँ में ऐसे "अनजान लोग" मिल जाते है,
जिन्हें हम _भूल कर भी #नही_भूल सकते जैसे आप..!

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" फितरत तो कुछ यूं भी है
इंसान की साहब...

बारिश खत्म हो जाये तो
छतरी बोझ लगती है."

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कभी तन्हा हो तो वो लम्हा याद करना,
बस एक बार,हमें शिद्दत से याद करना..
तुम्हें,उस नाकाम मोहब्बत की कसम है,
न इस तरह,फिर किसी को बर्बाद करना…

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चुरा के नजर ️ हमसे ......
       आखिर कहां तक जाओगे .....

अगर तकदीर में होगे ..
          तो मिल ही जाओगे ....
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मोहब्बत हाँथ में पहनी
           हुई चूड़ी के जैसी है,
संवारती है, खनकती है, खनक कर टूट जाती है......

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लोग कहते हे अगर हाथों की
लकीरों अधूरी हो तो किस्मत अच्छी नही होती
लेकिन हम कहतें हे की सर पर
#महाकाल का हाथ हो तो लकीरों की ज़रुरत नही होती

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जो लड़के बड़े Attitude वाली फोटो डालते हैं… वो ही सबसे पहले पूछते है की, अंकल आपका कुत्ता काटता तो नहीं…!!


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हैरान हूं मै दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्थर तो नहीं बना, मगर अब मोम भी न रहा।।

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*बाप के  दम पर तो हर कोई  काबिल बन जाताहै

बनना है तो अपने  दम पे रईस बनो

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.अभी तो  लहरों से #खेलना सीखा है.

अभी तो मौहब्बत में #डूबने_की_रश़्म बाकी है.


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*समझे बिना किसी को पसंद ना करो और समझे बिना किसी को खो भी मत देना।*

  *क्योंकि फिक्र दिल में होती हैं शब्दों में नहीं और गुस्सा शब्दों में होता हैं दिल में नहीं॥*

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प्रेम में गिर गिर कर संभलते हुए देखा है प्रेमियों को

बदनसीब तो वो है जो अभी प्रेम के लिए चले ही नही घर से


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सारी दुनिया छोड़ के मैंने तुझको अपना बनाया था,*

*करोगे याद सदियो तक किसी ने दिल लगाया था*

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गोलियों  से उसे डर लगता है जिसने कभी देखी  ना हो…*
हम तो | बादशाह  है राह चलते बारूद बन जाते है..!
हम wo hai jo facebook king के naam se jane jate hain

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जमाने से डर नही लगता साहब ,,,,

मोहब्बत  से अब डर लगने लगा है....


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दोस्ती में ही “ताकत” है साहेब..

“समर्थ” को झुकाने की…

बाकी “सुदामा” में कहाँ ताकत थी..

“श्रीकृष्ण” से पैर धुलवाने की…!


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ऊँचे ख्वाबों  के लिए
दिल  की गहराई से काम  करना पड़ता है,
यूँ ही नहीं मिलती सफलता  किसी को
मेहनत की आग में दिन रात जलना  पड़ता है।

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"जीतने का मजा तब ही आता है,
जब सभी आपके.**.हारने का इंतजार कर रहे हो!"

अगर प्यार से कोई फूंक मारे तो बुझ जायेंगे,,
नफरत से तो बड़े बड़े तूफ़ान बुझ गये मुझे बुझाने में।
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“राज तो हमारा हर जगह पे है। पसंद करने वालों के “दिल” में और नापसंद करने वालों के “दिमाग” में।”


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कुदरत का नियम है मित्र_और_चित्र, दिल से बनाओगे तो उनके_रंग  जरूर निखर_आयेंगे ।।


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जो भी दिल में हो साफ साफ कह देना चाहिये,
क्योंकि कहने से फैसले होते हैं,
और चुप रहने से फासले होते हैं



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भाई  बोलने का हक़ मैंने सिर्फ दोस्तों को दिया है ,.,
वरना दुश्मन तो आज भी हमें बाप के नाम से पहचानते हैं ,.,!!


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ज़िन्दगी के कुछ उलझे सौलो से डर लगता है,
ज़िन्दगी में दिल की तन्हाइयो से डर लगता है,
ज़िन्दगी में एक सच्चा दोस्त तो मिल पाना मुश्किल होता है,
पर एक सच्चे दोस्त को चुनने से डर लगता है।


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उसने जाते-जाते बड़े गुरुर से कहा,
“बहुत मिलेंगे तुम जैसे”
तो मैंने भी मुस्कुराते हुए पूछ ही लिया
मुझ जैसा ही क्यों चाहिए…!!


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कश्मीर जैसी ho गई hai जिंदगी..

खूबसूरत to बहुत hai ..पर बवाल hi बवाल hai..

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जो इंसान अपनी अपनी गलती मान ले,
तो सच में उन लोगो का प्यार कभी खत्म नही होता।

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नफ़रत  करना है तो इस  क़दर करना
के  हम दुनिया से चले जाए
पर तेरी आँख  में आंसु ना आए
              
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उनकी बुरी आदत है मेरे बाल बिगाड़े रखना,
उनकी कोशिश है️ किसी और कोअच्छा न लगूँ।

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ज़रा एक बात सुनो वैसे तो तुम मेरी पहली पसन्द हो, लेकिन मैंने चाहा है ️तुम्हे आखरी मोहब्बत की तरह

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जब मोहब्बत_बेहिसाब_हो_तो
जख्मो_का_हिसाब_क्या_करना
अक्ल_कहती_है_मारा_जायेगा
दिल कहता_है_देखा जायेगा

          


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क्यूँ हम किसी के ख्यालो मे खो जाते है,
एक पल की दूरी मे रो जाते है..
कोई हमे इतना बता दो की,हम ही ऐसे है
या प्यार करने के बाद सब ऐसे हो जाते है.

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मैंने तुझसे "वादा" किया था.. की  तेरे_सिवा किसी और से️ मोहब्बत नहीं करूँगा,
आज भी यही "वादा निभा"  रहा हूँ, और तेरी ख़ुशी के लिए रोज़_खुदा के आगे  सर झुका रहा हूँ..!


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हुनर सबका अलग_होता  है दोस्तों,
किसी  का छिप_जाता  है तो किसी का छप_जाता है..!


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लगी है चोट दिल  पे दिखा नहीं सकते,
भुलाना भी चाहे तो भुला नहीं सकते,
मोहब्बत  का अंजाम यही होता है,
जिस के लिए तरसते है वो ही धोखा दे जाता हैं !!


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प्यार वो _नही  जिसमे Attitude और Ego  हो,
प्यार तो वो है  जिसमें एक "रूठने"
मे Expert हो तो  दूसरा मनाने में Perfect️️ हो.

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तुम तो कहते थे  हर शाम तुम्हारा इंतज़ार करेगे,
अब बताओ तुम बदल गये
       या तुम्हारे यहा  शाम नहीं होती !!

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    उन_चीजों_के_बारे_में
    समय_बर्बाद_मत_करो*
    जिनको_आप_कभी_भी
     बदल_ही_नहीं_सकते

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मुस्कराहट  को किसी बैंक में FD मत कराइए  ,
इसका C. Account की तरह रोज लेन देन करिये!!
इस पर कोई चार्ज नहीं लगता !!
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नम्रता से बात करना
  हर एक का आदर करना
       शुक्रिया अदा करना
                  और
            माफी मॉगना
     ये गुण जिसके पास हैं
               *वो सदा
        सबके करीब औऱ
  सबके लिये खास है
      
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मेरी मोहब्बत की हद न तय कर _पाओगे तुम,
तुम्हे "साँसों" से भी ज्यादा मोहब्बत_करते हैं हम..

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गम न कर हम तेरी राह में नहीं आयेगे,
अगर आह भी गए तो तुझसे नज़रे नही मिलायेगे,
जब होगा तुझे अपनी गलती का एहसास,
तब तक हम किसी और के हो जायेंगे....

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मुझे बना के वो [ खुदा ] भी सोच में पड़ गया,
के इस  Pagle के लिए  Pagli कैसी बनाऊ...

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रिश्ते संजोने के लिए
    एक इंसान झुकता चला गया! और लोगों ने इसे, उसकी औकात समझ लिया!

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ना दूर रहने से रिश्ता टूट
             जाता हैं,
और न पास आने से जूड़
                      जाता हैं,
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं,
जो याद करने से और
         मजबूत हो जाते हैं.
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मेरी मोहब्बत की हद न तय कर  पाओगे तुम,
तुम्हे  "साँसों" से भी ज्यादा  मोहब्बत करते हैं हम..


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प्यार️️ सिर्फ पैसा शक्ल देख के नहीं होता है,
बस  दिल देख के होता है !!

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कभी कभी  अनजान राहोँ में ऐसे "अनजान लोग" मिल जाते है,
जिन्हें हम भूल कर भी  नही भूल सकते जैसे आप..!

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जिस्म से होने वाले प्यार घटते_बढ़ते रहते हैं,
मगर जो  प्यार रूह से हो जाए,
उसकी  कीमत का  अंदाज लगाना नामुमकिन है..!

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मेरे दिल के जज़्बात को ,.. तुम पढ़ नहीं पाते...
कैसे मान लू ,. तुम दसवीं पास हो..
                 

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जिस बस मे बैठी हो हसीनाए
उस बस के सीसे चिटक ही जाते हे
ड्राइवर चाहे जितनी तेज़ चलाए बस
दीवाने तो फिर भी लटक ही जाते हे..!
  


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खतम हो गई **कहानी,
              बस कुछ अलफाज बाकी हैं
एक अधूरे इश्क की एक
       मुकम्मल सी याद बाकी है


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चांद निकल  गया,
सनम तू  कहां हो।
खुशीयां मिले वहां,
जान तुम जहां हो।

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जहाँ सूर्य की किरण हो
         वहीं प्रकाश होता है,
और जहाँ प्रेम की भाषा हो वहीं परिवार होता है.

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मैंने  तुझसे "वादा" किया था.. की तेरे_सिवा किसी और से  मोहब्बत नहीं करूँगा,
आज भी यही "वादा निभा"  रहा हूँ, और तेरी ख़ुशी के लिए रोज़_खुदा के आगे सर  झुका रहा हूँ..!


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लगी है  चोट दिल पे दिखा नहीं सकते,
भुलाना भी चाहे तो भुला नहीं ️ सकते,
मोहब्बत  का अंजाम यही होता है,
जिस के लिए तरसते  है वो ही धोखा दे जाता हैं !!

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प्यार वो  नही जिसमे Attitude और Ego  हो,
प्यार तो वो है  जिसमें एक "रूठने"
मे  Expert हो तो दूसरा मनाने में  Perfect️️ हो.


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तुम तो कहते थे हर शाम तुम्हारा  इंतज़ार करेगे,
अब बताओ तुम बदल गये
या तुम्हारे यहा शाम नहीं होती !!



मुस्कराहट  को किसी बैंक में FD मत कराइए  ,
इसका C. Account की तरह रोज लेन देन करिये!!
इस पर कोई चार्ज नहीं लगता !!


मेरी  मोहब्बत की हद न तय कर  पाओगे तुम,
तुम्हे  "साँसों" से भी ज्यादा मोहब्बत करते हैं हम..



गम न कर हम तेरी राह में नहीं आयेगे,
अगर आह भी गए तो तुझसे नज़रे नही मिलायेगे,
जब होगा तुझे अपनी गलती का एहसास,
तब तक हम किसी और के हो जायेंगे....



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हमने जो की थी मोहब्बत
     वो आज भी है, तेरे जुल्फों के साये की चाहत आज भी है, रात कटती है आज भी ख्यालों में तेरे, दीवानों सी मेरी वो हालत आज भी है, किसी और के तसब्बुर को उठती नहीं. #बेईमान आँखों में थोड़ी सी शराफत आज भी है।





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Monday, 17 February 2020

किसी के ऊपर सवार होकर सिर्फ चलते रहना ही जीवन नहीं है - short motivation story


किसी के ऊपर सवार होकर सिर्फ चलते रहना ही जीवन नहीं है कुछ अपने से भी करना जरूरी है
-A Short Motivating Story





एक सम्राट ने अपने एक मित्र को मेहमान की तरह बुलाया हुआ था और वे शिकार के लिए गए।

मित्र एक ज्ञानी था, उसको सताने के लिए। शिकार पर जब गए तो उसे सबसे रद्दी घोड़ा जो इतना धीमा चलता था कि कभी शिकार तक पहुंचना ही मुश्किल था, उसको पकड़ा दिया।

सब तो शिकार के जंगल में पहुंच गए। वह मित्र अभी गांव के बाहर ही नहीं निकल पाए थे।

घोड़ा ऐसा चलता था कि अगर बिना घोड़े के होते तो ज्यादा चल जाते।


कई दफे ऐसा होता है कि साधन बाधा बन जाते हैं।

लेकिन भाग्य की बात, पानी गिरा जोर से। तो मित्र गांव के बाहर से ही वापस लौट आया। उसने अपने सारे कपड़े निकाल कर अपने नीचे रख लिए और घोड? के ऊपर बैठ गया।


जब वह घर पहुंचा उसने कपड़े पहन लिए।

राजा और बाकी साथी जंगल तक पहुंच गए थे। वे भागे हुए आए। बिलकुल तर-बतर हो गए। देखा कि मित्र तो साफ कपड़े पहने हुए है। जरा भी भीगा नहीं।

उन्होंने पूछा, क्या मामला है? उस मित्र ने कहा, यह घोड़ा बड़ा अदभुत है ये इस तरकीब से ले आया कि कपड़े भीग न पाए।

दूसरे दिन फिर शिकार को निकले। राजा ने कहा, आज मैं इस घोड़े पर बैठूंगा।


मित्र ने कहा, आपकी मर्जी

मित्र को तेज घोड़ा दे दिया राजा ने और राजा उस घोड़े पर बैठा। फिर पानी गिरा। मित्र ने फिर कपड़े निकाल कर घोड़े की पीठ पर रख कर, उसके ऊपर बैठ गया और तेजी से घर आया। कल से भी कम भीगा, क्योंकि आज तेज घोड़ा था।


राजा कल से भी ज्यादा भीग गया। क्योंकि वह घोड़ा तो बिलकुल चलता ही नहीं था। सारी वर्षा उसके ऊपर गुजरी। घर आकर उसने कहा कि तुमने झूठ बोला, यह घोड़ा तो हमें और भीगा दिया।


मित्र ने कहा, महाराज अकेला घोड़ा काफी नहीं होता, यू हैव टू कंट्रिब्यूट समथिंग। आपको भी कुछ, आपको भी कुछ करना पड़ता है। घोड़ा अकेला क्या करेगा?
कुछ आपने भी किया था कि सिर्फ घोड़े पर निर्भर रहे थे।

उन्होंने कहा, मैं तो सिर्फ घोड़े पर बैठा रहा, यह तो सब गड़बड़ हो गई।

कुछ हम भी किए थे, तो घोड़े ने भी साथ दे दिया था। आज भी हम किए हैं, घोड़े ने साथ दे दिया।

राजा पूछने लगा, तूने क्या किया था। उसने कहा कि वह मत पूछो। वह पूछो ही मत। वही तो राज है।


लेकिन एक बात तय है, उस आदमी ने कहा कि हमेशा कुछ आपको भी करना पड़ता है। और अगर आप कुछ नहीं करते हैं, तो तेज घोड़ा भी व्यर्थ है। अगर आप कुछ करते हैं, तो शिथिल से शिथिल चलने वाला घोड़ा भी सहयोगी और मित्र हो सकता है।

तात्पर्य है कि आपको भी कुछ ना कुछ करना ही पड़ेगा चाहे आप किसी भी घोड़े पर सवार हो



ओशो…




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Sunday, 16 February 2020

एक परिपक्व व्यक्ति के गुण - short inspiring , motivating story


एक परिपक्व व्यक्ति के गुण - short inspiring  , motivating story




एक चोर एक सदगुरु की झोंपड़ी में घुसा पूर्णिमा की रात थी, और ग़लती से वह प्रवेश कर गया था; अन्यथा, एक सदगुरु के घर में तुम्हें क्या  मिलेगा?


चोर देख रहा था,और आश्चर्यचकित हुआ कि वहां कुछ नहीं था और अचानक उसने एक आदमी को आते देखा जो हाथ में एक मोमबत्ती लेकर आ रहा था
आदमी ने कहा,' तुम अंधेरे में क्या खोज रहे हो? तुमने मुझे उठाया क्यों नहीं? मैं मुख्य द्वार के पास ही सोया था, और मैंने तुम्हें पूरा मकान दिखा दिया होता और आदमी इतना सरल और निर्दोष दिख रहा था, जैसे कि वह समझ ही नहीं सकता कि कोई चोर भी हो सकता है!
उसकी सरलता और निर्दोषता के समक्ष, चोर ने कहा,'शायद आप नहीं जानते कि मैं एक चोर हूं
गुरु ने कहा,' उससे फर्क नहीं पड़ता, हर किसी को कुछ होना होता है। बात यह है कि मैं मकान में तीस वर्षों से हूं और मुझे कुछ नहीं मिला है, तो चलो हम मिल कर ढूंढते हैं! और यदि हमें कुछ मिलता है, तो हम साझेदार हो जाएंगे मुझे इस घर में कुछ नहीं मिला है; यह मात्र रिक्त है।

चोर थोड़ा डरा: आदमी विचित्र मालूम होता है। या तो यह पागल है या...कौन जाने किस प्रकार का आदमी है यह? वह जाना चाहता था, क्योंकि वह दूसरे दो घरों से कुछ वस्तुएं लाया था जो उसने मकान के बाहर छोड़ दी थीं,
गुरु के पास मात्र एक कंबल था — मात्र यही उसके पास था — और ठंडी रात थी,

तो उसने चोर से कहा, 'इस तरह से मत जाओ, मुझे इस तरह से अपमानित मत करो, अन्यथा मैं कभी भी स्वयं को क्षमा नहीं कर पाऊंगा, कि मेरे घर एक निर्धन व्यक्ति आया, मध्य रात्रि, और उसे खाली हाथ जाना पड़ा यह कंबल ले जाओ और यह अच्छा रहेगा — बाहर बहुत ठण्ड है। मैं घर के भीतर हूं; यहां अधिक गर्म है।
उसने चोर को अपने कंबल से ढंक दिया चोर का सर चकराने लगा! उसने कहा,'तुम क्या कर रहे हो? मैं एक चोर हूं!'

गुरु ने कहा,' उससे फर्क नहीं पड़ता इस संसार में हर किसी को कुछ ना कुछ होना होता है, कुछ करना होता है तुम चोरी कर रहे होंगे; उससे फर्क नहीं पड़ता, व्यवसाय व्यवसाय है। बस इसको अच्छे ढंग से करो, मेरे सारे आशीष तुम्हारे साथ हैं। इसको उत्तमता से करो, पकड़े मत जाओ नहीं तो तुम समस्या में पड़ोगे'

चोर ने कहा,' आप विचित्र हैं। आप नग्न हैं और आपके पास कुछ नहीं है!'

गुरु ने कहा,'चिंता मत करो, क्योंकि मैं तुम्हारे साथ आ रहा हूं! मात्र यह कम्बल मुझे घर में रखे हुए था; अन्यथा इस घर में कुछ नहीं है — और कम्बल मैंने तुम्हें दे दिया है। मैं तुम्हारे साथ आ रहा हूं — हम साथ रहेंगे ऐसा प्रतीत होता है तुम्हारे पास बहुत सी वस्तुएं हैं; यह अच्छी साझेदारी रहेगी मैंने अपना सर्वस्व तुम्हें दे दिया है। तुम मुझे थोडा दे सकते हो; यह अच्छा रहेगा
चोर इस पर विश्वास नहीं कर सका! वह उस स्थान से और उस व्यक्ति से भी भागना चाहता था।

उसने कहा,' नहीं, मैं आपको अपने साथ नहीं ले जा सकता मेरी पत्नी हैं, बच्चे हैं, और मेरे पड़ोसी, वे क्या कहेंगे?— 'तुम एक नग्न आदमी लाए हो!''

उसने कहा, ' यह सही है, मैं तुम्हे किसी शर्मनाक परिस्थिति में नहीं लाऊंगा तो तुम जा सकते हो, मैं इस घर में रहूंगा,



और जब चोर जा रहा था, गुरु चिल्लाया, 'सुनो! वापस आओ!'

चोर ने ऐसी शक्तिशाली आवाज़ कभी न सुनी थी; वह छुरी की तरह भेद गई| उसको वापस आना पड़ा गुरु ने कहा,' विनम्रता के कुछ तरीके सीखो मैंने तुम्हें कम्बल दिया है और तुमने मुझे धन्यवाद भी नहीं दिया तो पहले, मुझे धन्यवाद दो; यह तुम्हें बहुत सहायता करेगा

दूसरा, बाहर जा कर — तुमने भीतर आते समय द्वार खोला था — द्वार बंद कर दो! क्या तुम देख नहीं सकते की रात ठंडी है, और क्या तुम देख नहीं सकते कि मैंने तुम्हें कम्बल दे दिया है और मैं नग्न हूं? तुम्हारा चोर होना ठीक है, किन्तु जहां तक शिष्टाचार का प्रश्न है, मैं एक कठिन व्यक्ति हू| मैं इस प्रकार का व्यवहार बर्दाश्त नहीं कर सकता कहो धन्यवाद!'

चोर को कहना पड़ा,' धन्यवाद श्रीमान!' और उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और भाग गया वह विश्वास नहीं कर सका जो घटा था! वह पूरी रात नहीं सो सका बार-बार उसे स्मरण आता रहा.. उसने ऐसी शक्तिशाली आवाज़ कभी नहीं सुनी थी, इतना ओज और उस व्यक्ति के पास कुछ नहीं था!

उसने अगले दिन जानकारी निकाली और पाया कि वह एक महान गुरु था उसने अच्छा नहीं किया था यह एकदम वीभत्स था कि वह उस निर्धन व्यक्ति के पास गया; उसके पास कुछ नहीं था किन्तु वह एक महान गुरु था।

चोर ने कहा,' यह मैं स्वयं समझ सकता हूं — कि वह एक विचित्र प्रकार का व्यक्ति है| अपने जीवन में मैं अनेक प्रकार के व्यक्तियों से संपर्क में आता रहा हूं, सबसे निर्धन व्यक्तियों से लेकर सबसे धनवान व्यक्तियों तक, किन्तु कभी भी..... उसको याद करके भी, मेरे शरीर में झुरझुरी आ जाती है।
' जब उसने मुझे वापस बुलाया, मैं भाग नहीं सका मैं पूर्णतया स्वतन्त्र था, मैं वस्तुएं लेकर भाग सकता था, मगर मैं नहीं जा सका उसकी आवाज़ में कुछ ऐसा था जिसने मुझे वापस खींच लिया,


कुछ महीनों बाद चोर पकड़ा गया, और कचहरी में न्यायधीश ने उससे पूछा,' क्या तुम कोई व्यक्ति बता सकते हो जो तुम्हें इस क्षेत्र में जानता हो?'
उसने कहा, ' हां एक व्यक्ति मुझे जानता है'.. और उसने गुरु का नाम बताया

न्यायाधीश ने कहा,' यह पर्याप्त है — गुरु को बुलाओ उसका वक्तव्य दस हज़ार व्यक्तियों के मूल्य का है। जो वह तुम्हारे बारे में कहेगा पर्याप्त होगा निर्णय देने के लिए।

न्यायाधीश ने गुरु से पूछा, ' क्या आप इस व्यक्ति को जानते हैं?'

उसने कहा, ' जानता हूं? हम साझेदार हैं। यह मेरा मित्र है। यह मुझसे मिलने एक रात मध्य रात्रि भी आया था। बाहर बहुत ठण्ड थी और मैंने इसे अपना कम्बल दिया। यह उसे उपयोग कर रहा है, आप देख सकते हैं। यह कम्बल सारे देश में प्रसिद्ध है; सब जानते हैं कि यह मेरा है।

न्यायाधीश ने कहा, ' यह आपका मित्र है? और क्या यह चोरी करता है?'

गुरु ने कहा,' कभी नहीं! यह कभी चोरी नहीं कर सकता यह इतना सज्जन है कि जब मैंने इसको अपना कम्बल दिया इसने मुझ से कहा, 'धन्यवाद श्रीमान' जब यह घर से बाहर गया, इसने चुपचाप द्वार बंद कर दिया यह बहुत विनम्र, अच्छा व्यक्ति है|'

न्यायाधीश ने कहा,' यदि तुम ऐसा कहते हो, तो सारे गवाहों के बयान जिन्होंने कहा है कि यह चोर है, मैं रद्द करता हूं, इसको मुक्त किया जाता है। गुरु बाहर चला गया और चोर ने उसका पीछा किया

गुरु ने कहा, ' तुम क्या कर रहे हो? तुम मेरे साथ क्यों आ रहे हो?'

उसने कहा,' अब मैं आपको कभी नहीं छोड़ सकता आपने मुझे अपना मित्र कहा है, आपने मुझे अपना साझेदार कहा है। किसी ने भी मुझे कोई सम्मान नहीं दिया है।आप पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने कहा है कि मैं एक सज्जन व्यक्ति हूं, एक अच्छा व्यक्ति हूं। मैं आपके चरणों में बैठ कर सीखूंगा कि आपके जैसा कैसे हुआ जाए आपने यह परिपक्वता कहां से पाई, यह शक्ति, यह ओज, यह चीज़ों को बिलकुल भिन्न रूप से देखना?'

गुरु ने कहा, ' क्या तुम जानते हो उस रात मुझे कितना बुरा लगा? तुम जा चुके थे; बहुत ठण्ड थी कम्बल के बिना सोना असंभव था मैं खिड़की के पास बैठ कर पूर्णिमा के चांद को देख रहा था,

और मैंने एक कविता लिखी:'यदि मैं धनी होता तो मैंने उस ग़रीब व्यक्ति को यह पूर्ण चन्द्रमा दे दिया होता, जो अंधेरे में एक निर्धन व्यक्ति के घर में कुछ खोजने आया था। मैंने चांद दे दिया होता, यदि मैं इतना धनवान होता, किन्तु मैं स्वयं निर्धन हूं' मैं तुम्हें कविता दिखाऊंगा, मेरे साथ आओ

' मैं उस रात रोया, कि चोरों को कुछ चीज़ें सीखनी चाहिएं कम से कम उन्हें एक या दो दिन पहले सूचना दे देनी चाहिए जब वे मेरे जैसे व्यक्ति के पास आएं, तो हम कुछ व्यवस्था कर लें, ताकि वे खाली हाथ न जाएं,

'यह अच्छा हुआ कि तुमने मुझे कचहरी में याद किया, नहीं तो वे लोग खतरनाक हैं, वे तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार कर सकते थे।

मैंने तुम्हें उसी रात न्यौता दिया था तुम्हारे साथ आने का और तुम्हारा साझेदार बनने का, किन्तु तुमने मना कर दिया| अब तुम चाहते हो.. कोई समस्या नहीं है, तुम आ सकते हो जो भी मेरे पास है, मैं तुमसे बांट लूंगा किन्तु यह कोई पदार्थ नहीं है: यह कुछ अदृश्य है।

चोर ने कहा,' यह मैं महसूस कर सकता हूं; यह कुछ अदृश्य है। किन्तु आपने मेरा जीवन बचाया है, और अब यह आपका है। जो कुछ भी आप इसका बना सकते हैं, बना लीजिये मैं मात्र इसको बर्बाद करता रहा हूं,आपको देख कर, आपकी आंखों में देख कर, एक बात निश्चित है — की आप मुझे रूपांतरित कर सकते हैं।मैं प्रेम में पड़ गया हूं उसी रात से

तात्पर्य है कि

दोस्तों एक परिपक्व व्यक्ति  बनिए

एक परिपक्व व्यक्ति के गुण बड़े विचित्र हैं, क्योंकि परिपक्वता ऐसा आभास देती है जैसे की वह अनुभवी हो गया है, जैसे कि वह आदमी बूढ़ा होता है। शारीरिक दृष्टि से वह बूढ़ा हो सकता है, मगर आत्मिक दृष्टि से वह एक निर्दोष बालक होता है। उसकी परिपक्वता मात्र जीवन से इकठ्ठा किया गया अनुभव नहीं है। फिर वह बच्चा नहीं होगा, और फिर वह एक उपस्थिति नहीं होगा; वह एक अनुभवी व्यक्ति होगा — ज्ञानवान किन्तु परिपक्व नहीं।


*बियोंड साइकोलॉजी , Talk #37*
ओशो






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Friday, 14 February 2020

जो होता है, तू होने दे। तू मत कह कि ऐसा करूं, वैसा करूं- short inspiration story


जो होता है, तू होने दे। तू मत कह कि ऐसा करूं, वैसा करूं,
एक बहुत प्रेरणादायक कहानी - short inspiration story




बंगाल में एक बहुत अनूठे संन्यासी हुए, युक्तेश्वर गिरि। (yukteshwar giri ) वे योगानंद के गुरु थे। योगानंद ने पश्चिम में फिर बहुत ख्याति पाई।

गिरि अदभुत आदमी थे।

ऐसा हुआ एक दिन कि गिरि का एक शिष्य गांव में गया।

किसी शैतान आदमी ने उसको परेशान किया, पत्थर मारा, मार—पीट भी कर दी

वह यह सोचकर कि मैं संन्यासी हूं क्या उत्तर देना, चुपचाप वापस लौट आया। और फिर उसने सोचा कि जो होने वाला है, वह हुआ होगा, मैं क्यों अकारण बीच में आऊं। तो वह अपने को सम्हाल लिया। सिर पर चोट आ गई थी। खून भी थोड़ा निकल आया था। खरोंच भी लग गई थी। लेकिन यह मानकर कि जो होना है, होगा। जो होना था, वह हो गया है। वह भूल ही गया।

जब वह वापस लौटा आश्रम कहीं से भिक्षा मांगकर, तो वह भूल ही चुका था कि रास्ते में क्या हुआ।


गिरि ने देखा कि उसके चेहरे पर चोट है, तो उन्होंने पूछा, यह चोट कहां लगी? तो वह एकदम से खयाल ही नहीं आया उसे कि क्या हुआ। फिर उसे खयाल आया। उसने कहा कि आपने अच्छी याद दिलाई। रास्ते में एक आदमी ने मुझे मारा।

तो गिरि ने पूछा, लेकिन तू भूल गया इतनी जल्दी!

तो उसने कहा कि मैंने सोचा कि जो होना था, वह हो गया। और जो होना ही था, वह हो गया, अब उसको याद भी क्या रखना!

अतीत भी निश्चिंतता से भर जाता है, भविष्य भी। लेकिन एक और बड़ी बात इस घटना में है आगे।

गिरि ने उसको कहा, लेकिन तूने अपने को रोका तो नहीं था? जब वह तुझे मार रहा था, तूने क्या किया?

तो उसने कहा कि एक क्षण तो मुझे खयाल आया था कि एक मैं भी लगा दूं। फिर मैंने अपने को रोका कि जो हो रहा है, होने दो।

तो गिरि ने कहा कि फिर तूने ठीक नहीं किया। फिर तूने थोड़ा रोका। जो हो रहा था, वह पूरा नहीं होने दिया। तूने थोड़ी बाधा डाली। उस आदमी के कर्म में तूने बाधा डाली, गिरि ने कहा।

उसने कहा, मैंने बाधा डाली! मैंने उसको मारा नहीं, और तो मैंने कुछ किया नहीं। क्या आप कहते हैं, मुझे मारना था!

गिरि ने कहा, मैं यह कुछ नहीं कहता। मैं यह कहता हूं जो होना था, वह होने देना था। और तू वापस जा, क्योंकि तू तो निमित्त था। कोई और उसको मार रहा होगा।

और बड़े मजे की बात है कि वह संन्यासी वापस गया। वह आदमी बाजार में पिट रहा था। लौटकर वह गिरि के पैरों में पड़ गया। और उसने कहा कि यह क्या मामला है?

गिरि ने कहा कि जो तू नहीं कर पाया, वह कोई और कर रहा है। तू क्या सोचता है, तेरे बिना नाटक बंद हो जाएगा!
तू निमित्त था।

बड़ी अजीब बात है यह। और सामान्य नीति के नियमों के बड़े पार चली जाती है।

कृष्ण अर्जुन को यही समझा रहे हैं। वे यह कह रहे हैं कि जो होता है, तू होने दे। तू मत कह कि ऐसा करूं, वैसा करूं, संन्यासी हो जाऊं, छोड़ जाऊं। कृष्‍ण उसको रोक नहीं रहे हैं संन्यास लेने से। क्योंकि अगर संन्यास होना ही होगा, तो कोई नहीं रोक सकता, वह हो जाएगा।

इस बात को ठीक से समझ लें।

अगर संन्यास ही घटित होने को हो अर्जुन के लिए, तो कृष्ण रोकने वाले नहीं हैं। वे सिर्फ इतना कह रहे हैं कि तू चेष्टा करके कुछ मत कर। तू निश्चेष्ट भाव से, निमित्त मात्र हो जा और जो होता है, वह हो जाने दे।

अगर युद्ध हो, तो ठीक। और अगर तू भाग जाए और संन्यास ले ले, तो वह भी ठीक।

तू बीच में मत आ, तू स्रष्टा मत बन। तू केवल निमित्त हो।

गीता दर्शन  भाग–5, अध्‍याय—11
ओशो



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