Monday 25 February 2019

Blood Vascular System   ,  रक्त परिसंचरण तंत्र

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Blood Vascular System      
               रक्त परिसंचरण तंत्र






रक्त परिसंचरण तंत्र की खोज विलियम हार्वे (william
harvey ) नामक  वैज्ञानिक ने किया था

उन्होंने सबसे पहले यह बताया कि  रक्त के माध्यम से पूरे
शरीर में शुद्ध तथा अशुद्ध पदार्थों   को एक स्थान से
दूसरे स्थान तक कैसे ले जाया जाता है इसमें सबसे
महत्वपूर्ण अंग हृदय होता है|


रक्त परिसंचरण तंत्र दो प्रकार के होते हैं -

(1) खुला रक्त परिसंचरण तंत्र – आर्थोपोडा , मोलस्का
,  जोक आदि |

(2) बंद रक्त परिसंचरण तंत्र –  ऐनेलिडा , …….



खुला परिसंचरण तंत्र (Open Circulatory System)-


आर्थोपोडा संघ (कॉकरोच, केकड़ा, झींगा मछली,मच्छर
,मक्खी आदि)
तथा मोलस्का संघ (घेंघा ,सीपी,आक्टोपस) आदि के जंतुओं
में खुला परिसंचरण तंत्र विकसित प्रकार का होता हैं।









बंद परिसंचरण तंत्र (Close Circulatory System)-

सभी विकसित जंतुओं में जैसे मछली, मेंढक,केंचुआ,
ऐस्केरिस तथा स्तनधारी(मनुष्य में) भी इस प्रकार का
परिसंचरण तंत्र पाया जाता है।


Note

● कीटों में खुला परिसंचरण (रक्त सिधा अंगों के सम्पर्क
में रहता है।) तंत्र होता है।

● पक्षियों एवं स्तनधारियों में बंद परिसंचरण (रक्त
वाहिनियों में बहता है।) तंत्र होता है।






मनुष्य में बंद विकसित तथा दौहरे प्रकार का परिसंचरण तंत्र
पाया जाता है।

मनुष्य का परिसंचरण तंत्र तीन घटकों से मिलकर बना होता है।

1. हृदय
2. रक्त
3. रक्त वाहिनियां


हृदय एक पंप की तरह काम करता है। हृदय से रक्त धमनियों
द्वारा शरीर के विभिन्न भागों को जाता है तथा वहां से
शिराओं के द्वारा हृदय में वापस आता है।

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परिसंचरण (Circulation) :


शुद्ध या ऑक्सीजनयुक्त (Oxygenated) रक्त फेफड़ों से
हृदय में आता है। हृदय पंपिंग क्रिया द्वारा इस रक्त को
धमनियों के द्वारा पूरे शरीर में पहुंचाता है। शरीर के रक्त
में मिला ऑक्सीजन प्रयुक्त हो जाता है और
अशुद्ध या ऑक्सीजन रहित (De-oxygenated)
रक्त शिराओं द्वारा फिर हृदय की ओर आता है। हृदय इस
रक्त को ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए फिर से फेफड़ों में
भेजता है। इस प्रकार यह चक्र निरंतर चलता रहता है।



हृदय से जुड़ी मुख्य बातें

  इसका भार औसतन महिलाओं में 250 - 300    
     ग्राम   और पुरुषों में 300  - 350  ग्राम होता है

  ● मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय है।

  ● हृदय जब रक्त को धमनियों में पंप करता है तो
      धमनियों Arteries   की दिवारों पर जो दाब
      पड़ता है उसे रक्त दाब कहते है।

  ● रक्त दाब मापने वाले यंत्र को स्फिग्नोमिटर कहते
      है।
            

  ● मनुष्य का हृदय एक मिनट में 72 बार धड़कता
     है। जबकि एक नवजात शिशु का 160 बार।
 ● हृदय के अध्ययन को कार्डियोलॉजी कहते है

 ● हृदय में दो प्रकार की धवनियां सुनी जा सकती हैं   
     जिसे हम Stethescope के द्वारा सुनते हैं |
     इसकी खोज  लीनेक नामक वैज्ञानिक ने की थी |
     (A) LUBB    (B) DUB


        
   

●  Hypotension – इसमें रक्तदाब कम हो जाता है
●  Hypertension – इसमें रक्तदाब बढ़ जाता है |

Electrocardiogram नामक यंत्र से हृदय की
    बीमारी का पता किया जाता है| इसकी खोज         
    Finthoven  नामक वैज्ञानिक ने की थी इसमें
    पांच प्रकार की तरंगे  उत्पन्न होती हैं |





Digestive System , पाचन तंत्र , आहार नली , alimentary canal , पाचन ग्रंथियां , digestive glands , ssc , si upsi , gs , railway



पाचन तंत्र में , शरीर के कुछ हिस्से होते हैं जो भोजन और
तरल पदार्थ ( Liquid substance ex alcohol)  
 को बिल्डिंग ब्लॉक्स और ईंधन  में (जो शरीर को चाहिए)
 उनको बदलने में , काम करते हैं


मनुष्यों में, प्रोटीन  → अमीनो एसिड में टूट जाता है,
स्टार्च →   सरल शर्करा (sugar)  में ,
और वसा (fat) फैटी एसिड और ग्लिसरॉल में |



मनुष्यों के पाचन तंत्र में एक आहार नली  (alimentary canal)
  और संबंधित पाचन ग्रंथियां (digestive glands)  होती हैं



        Alimentary Canal
                       आहार नली
                  
मुंह (mouth),
मुखगुहा (buccal cavity),
ग्रसनी ( pharynx)  
ग्रसिका (esophagus),
अमाशय ( stomach),
क्षुद्रांत्र /  छोटी आंत (small intestine)
बृहदांत्र / बड़ी आंत ( large intestine )
मलाशय (rectum)
मलद्वार /गुदा (anus)
होते हैं।


             Digestive Glands
                 सहायक पाचन ग्रंथियों


लार ग्रंथियां ( salivary glands),
यकृत (पित्ताशय के साथ) (the liver),
अग्न्याशय ( pancreas )
शामिल हैं।




मुंह के अंदर दांत भोजन को चबाते  हैं
जीभ लार के साथ भोजन को मिलाती है




लार में एक मांड (starch) पाचक एंजाइम, लार  एमिलेज
(salivary amylase)  होता है जो स्टार्च को पचाता है
और इसे माल्टोस (disaccharide) में बदल देती  है।

भोजन फिर ग्रसनी (pharynx) से होकर , बोलस के रूप में
ग्रसिका (esophagus), में प्रवेश करता है, जो आगे पेट में
    क्रमाकुंचन ( peristalsis) द्वारा अमाशय ( stomach),
 तक ले जाया जाता है।



पेट में मुख्य रूप से प्रोटीन का पाचन होता है।
पेट में शर्कराओ ( sugar ) , शराब और दवाओं का
अवशोषण  (Absorption) भी होता है।


काइम (भोजन) छोटी आंत के ग्रहणी (duodenum) भाग
में प्रवेश करता है और अग्नाशयी रस (pancreatic juice) ,
पित्त (bile)    और अंत में  आंत्र रस (succus entericus )
में एंजाइमों द्वारा कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा का पाचन
पूरा होता है ।



भोजन फिर छोटी आंत के  अग्र क्षुद्रांत्र   (jejunum )
और इलियम (ileum)   भाग में प्रवेश करता है।




पाचन के पश्चात कार्बोहाइड्रेट
मोनोसेकेराइड (monosaccharides)   में परिवर्तित हो
जाते हैं। प्रोटीन अंत में     एमीनो  अम्लों (amino acids)
में तथा वसा (fat) , वसीय अम्लों (fatty acids)
और ग्लिसरॉल में परिवर्तित हो जाते हैं।






आपचित  भोजन (मल)  त्रिकातंत्र  (ileo-caecal valve)
  के माध्यम से    बृहदांत्र (बड़ी आंत) के अंध नाल में प्रवेश
करता है,



त्रिकातंत्र  (ileo-caecal valve) मल को वापस नहीं जाने
देता


अधिकांश पानी बड़ी आंत में अवशोषित (absorbed)  हो
जाता है |


नहीं पचा  हुआ भोजन , अर्ध-ठोस हो जाता है और फिर
मलाशय, गुदा नहर में प्रवेश करता है और अंत में
गुदा के माध्यम से बाहर निकल जाता है।



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