------------------------------------------------------------- Answered By : Shivani(Top Voted)
Correct Option : 2 (विष्णुगुप्त)
कौटिल्य' अथवा 'चाणक्य' अथवा 'विष्णुगुप्त' सम्पूर्ण विश्व में एक महान् राजनीतिज्ञ और मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका व्यक्तिवाचक नाम 'विष्णुगुप्त', स्थानीय नाम 'चाणक्य' (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम 'कौटिल्य' (कुटिल से) था।
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे। माना जाता है कि चाणक्य ने ईसा से 370 वर्ष पूर्व ऋषि चणक के पुत्र के रूप में जन्म लिया था।
वही उनके आरंभिक काल के गुरु थे। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि चणक केवल उनके गुरु थे।
चणक के ही शिष्य होने के नाते उनका नाम 'चाणक्य' पड़ा।
वे सम्राटबिंदुसारके पिता और महानसम्राट अशोकाके Grand Father यानी दादा थे
मौर्य साम्राज्यचंद्रगुप्तने स्थापित किया और इसका विस्तार पूरे भारत में सम्राट अशोक ने फैलाया था
मौर्य साम्राज्यअपने समयभारतऔर दुनिया का सबसे बड़ा साम्राज्य था |
चंद्र-गुप्तसे पहले भारत कई छोटे-छोटे राज्यों में बढ़ा हुआ था ,लेकिनमगध साम्राज्यका उस समय उत्तर भारत में सबसे बड़ा साम्राज्य था
और उत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में मगध साम्राज्य का राज्य था | मगध साम्राज्य के राजा धनानंद थे इसलिए इस साम्राज्य को नंद डायनेस्टी (Nanda Dynasty) भी कहा जाता था |
चंद्र-गुप्त भारत के प्रथम ऐसे राजा थे जिन्होंने पूरे भारत को एक करने का अभियान चलाया |
उस समय 326 BCE में जब चंद्र-गुप्त साम्राज्य का शासन प्रारंभ भी नहीं हुआ था , तब Macedon के राजा Alexander जिन्हें Alexander the great भी कहा जाता है |
वह Macedon से Egypt और फिर पर्शिया पर अपना विजई साम्राज्य स्थापित करता हुआ भारत की ओर बढ़ा , इसके आगे भारत के चेनाब और झेलमनदी के बीच राजा पोरस का शासन था | यह क्षेत्र आज अधिकतम पंजाब में आता है यहां पर Alexander और राजा पोरस के बीच झेलम नदी के पास युद्ध हुआ |
इस युद्ध को Battle of Hydaspes के नाम से भी जाना जाता है | Alexander के साथ राजा पोरस ने बहुत ही कुशलता पूर्वक युद्ध लड़ा और अपनी बहादुरी का परिचय दिया |
इस युद्ध में Alexander की विशाल सेना हताहत हो गई और राजा पोरस ने युद्ध को अंतिम मरने की स्थिति तक लड़ा |
राजा पोरस की बहादुरी के बारे में Mesodoneous के इतिहास में इसका उल्लेख किया गया है | इस युद्ध को Alexander ने जीता परंतु उनकी सेना का आगे बढ़ने का मनोबल टूट गया |
राजा पोरस की बहादुरी को देखते हुए राजा Alexander ने उनका जीता हुआ राज्य उन्हें वापस कर दिया और साथ ही कुछ और क्षेत्र जो Alexander ने जीते थे वह भी दे दिए
इसी युद्ध में Alexander का प्रसिद्ध घोड़ा ब्यूसेफालस (Bucephalus)मारा गया था |
AlexanderRiver गंगा को Cross करके आगे और जाना चाहता था लेकिन राजा पोरस से युद्ध के बाद Alexander की सेना का आगे भारत में युद्ध लड़ने का मनोबल टूट गया है क्योंकि उनके बहुत अधिक सैनिक मारे गए थे|
Alexanderने मनाने की कोशिश की पर सेना तैयार नहीं हुई है|
एरियन( Arrien) जोGreek Historyका लेखक था और वह Roman EmpireकीMilitiaryका कमांडर भी था उन्होंने अपनी रचना में इसका जिक्र किया है |
इसके बादAlexanderअपनी सेना के साथ वापस लौट गया और फिर Alexander की 323 BCE में Fiver से मौत हो गई |
मृत्यु से पहले Alexander से पूछा गया कि अगला राजा कौन होगा तो Alexander ने जवाब दिया कि वह जो सबसे Strongest होगा इसी कारण Alexander की मृत्यु के बाद Alexander का Empire Four Genrals में बट गया और ये थे Cassander ,Ptolemy , Antigonous , Seleucus
इसमेंSeleucusकाEmpireईरान , अफगानिस्तान के गंधार तक फैला था |
इसके बाद चंद्रगुप्त मौर्य ने Mesodoneous यानी Alexander के राज्य प्रभाव को भारत से खत्म किया और Seleucus को ईरान तक सीमित किया Seleucusऔर चंद्रगुप्त के बीच इसको लेके संधि बनी |
अब हम जानेंगे किचंद्रगुप्तने कैसे मगध के राज्य में अपना राज्य स्थापित किया और फि रSeleucusको पीछे धकेला और पूरे भारत को एक करने का अभियान चलाया|
चंद्रगुप्तनंद familyसे ही थे लेकिन उन्हें बाहर कर दिया गया था और वहAlexander की सीमा पर Fugutive Campमैं पले बढ़े थे |
चंद्रगुप्तके पिता का नाममहापद्मनंदथा चंद्रगुप्तबचपन से ही तेज बुद्धि के थे जिसके चलते चाणक्य ने उनको देखा और उन्हें अपने साथ तक्षशिला ले आय और उन्हें वहां पर शिक्षा दी |
उस समय तक्षशिलाके राजा Omphis थे | Alexanderजब भारत की ओर बढ़ रहा था , तब Alexander की विशाल सेना के बारे में जानकर उसने अपने राज्य को Alexander को बिना युद्ध किए ही सौंप दिया |
फिर Alexander और राजा पोरस के युद्ध के बाद Alexanderवापस चला गया था , उस समय मगध साम्राज्य जिसकी राजधानी पाटलिपुत्र जिसे अब पटना के नाम से भी जाना जाता है , पर नंद वंश के राजा धनानंद का शासन था |
राजा धनानंद को सिंहासन से हटाने में और चंद्रगुप्त मौर्य को मगध में अपना राज्य स्थापित करने में कौटिल्य जिन्हें चाणक्य के नाम से भी जाना जाता है उनकी अहम भूमिका थी|
कहा जाता है कि चाणक्य से मिलने से पहले राजा धनानंद ने चाणक्य की Insult की थी , जिससे क्रोधित होकर उन्होंने शपथ ली थी कि वह तभी अपने बाल बांधेगे , जब तक कि वह चाणक्य को राज सिंहासन से हटाना न दें |
इसके लिए उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य को चुना जो कि नंद परिवार से ही थे लेकिन उन्हें निष्कासित कर दिया गया था |
चाणक्य यानी कौटिल्य और चंद्रगुप्त ने एक छोटी आर्मी बनाई , यह छोटी आर्मी मगध से सीधे प्रहार से लड़ने में सक्षम नहीं थी तो चाणक्य ने अपनी नीतियां बनाई जिससे पाटलिपुत्र जो की मगध की राजधानी थी वहां ग्रह युद्ध हो गया , जिस कारण चंद्रगुप्त को मगध पर जीत मिली और फिर 322 BCE में उन्होंने नंद डायनेस्टी ( Nand Dynasty ) के शासन को समाप्त कर दिया |
इस Victory के बाद चंद्रगुप्त ने सेल्यूकस ( Seleucus ) को गंधार अफगानिस्तान में हराया |
इस जीत के बाद चंद्रगुप्त ने ग्रीक के राजाओं को हराया और उन्हें पीछे धकेला , जिससे उन्हें बहुत लोकप्रिय और बहादुर राजा माना गया और मगध की प्रजा का Support पूर्ण हासिल हो गया |
इसके बादचंद्रगुप्तऔरचाणक्यनेमौर्य साम्राज्य को उस समय का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बनाया और राजधानी पाटलिपुत्र को इसकी राजधानी बनाए रखा| और यह साम्राज्य Indus river से Bay of Bengal तक फैल गया फैल गया और इसके बाद 305 BCE में चंद्रगुप्त ने फिर से सेल्यूकस ( Seleucus ) को हराकर पंजाब जो आज Eastern पाकिस्तान है उसे अपने राज्य में हासिल कर लिया जोकि इससे पहले Seleucus के कब्जे में था |
इसके बाद दोनों राजाओं ने आपस में एक दूसरे से दोस्ती बढ़ाने के लिए एक Marriage treaty बनाई जिसमें चंद्रगुप्त ने ( Seleucus ) की बेटी हेलन से शादी की और अपनी तरफ से 500 War Elephant भेंट किए |
Seleucus Empireऔरचंद्रगुप्त Empireके बीच यह रिश्ता सदियों तक चला |
हेलनसे पहले चंद्रगुप्त की एक और पत्नी दुर्धरा थी जिनका पुत्र बिंदुसारा आगे चलके मौर्य साम्राज्य का राजा बना |
चंद्रगुप्त के राज दरबार में सेल्यूकस द्वारा भेजा गया एक ग्रीक इतिहासकार मेगस्थनीज भी था , जो पाटलिपुत्र के राज दरबार में 317 - 312 BCE तक एक दरबारी के रूप में रहा और चंद्रगुप्त के बारे में जाना और लिखा |
उन्होंने भारतीयों के बारे में भी काफी अहम बातें अपने लेख में लिखी जैसे भारतीय शराब वगैरा किसी खास की मृत्यु पर ही पीते थे और वे एक दूसरे को कर्ज सिर्फ विश्वास पर ही देते थे |
उन्होंने चंद्रगुप्त Empire के बारे में भी लिखा |
चंद्रगुप्त Empire का राज महल अत्यंत सोने चांदी से बना था और चंद्रगुप्त अधिकतर युद्ध करते रहते थे और अपने साम्राज्य का निरंतर विस्तार करते रहे |
चंद्रगुप्त ने उत्तर भारत में बंगाल से लेकर rabian Sea तक अपना साम्राज्य स्थापित करने के बाद उन्होंने Deccan Plateau की और अपना साम्राज्य फैलाना शुरू किया और जैन इतिहास के अनुसार चंद्रगुप्त ने अपने अपने शासनकाल में अधिकतम भारत पर एक ही साम्राज्य का अधिकार कायम कर दिया था और यह साम्राज्य उस समय दुनिया का सबसे विस्तार साम्राज्य था |
पूरे भारत में एक साम्राज्य स्थापित करने के बाद चंद्रगुप्त और चाणक्य ने कई आर्थिक बदलाव ( Ecnomic Reform) किए |
चंद्रगुप्त ने अपने समय कईOrganised Infrastructure बनवाए , जैसे खेती की सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण , मंदिरों का निर्माण , रोड का निर्माण आदि शामिल था |
चंद्रगुप्तने सन298 BCEमें अपने पुत्र बिंदुसरा को अपना उत्तराधिकारी बनाया और खुद जैन धर्म धारण कर लिया और कुछ समय के बाद अपने आप को उपवास रखकर अपना शरीर त्याग कर दिया |
बिंदुसरानेचंद्रगुप्तके द्वारा दक्षिण भारत के कर्नाटक के Mysore तक फैलाएं के शासनकाल को बरकरार रखा पर समय-समय पर विद्रोह होता था|
इतिहासकारों के अनुसार CHOLAS , PANDYAS , CHERAS के मौर्य साम्राज्य से अच्छे तालुकात थे
बिंदुसराकी मृत्यु 272 BCE में होने के बाद राज्य में राजा बनने को लेकर एक प्रकार का युद्ध छिड़ गया|
कहा जाता है कि बिंदुसरा अपने सबसे बड़े बेटे सुसीम को अगला राजा बनाना चाहते थे लेकिन बिंदुसरा के एक मिनिस्टर जिनका नाम राधा गुप्त था वह अशोका के पक्ष में था और मिनिस्टर राधा गुप्ता ने अशोका को राज सिंहासन तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई और अशोका के राजा बनते ही राधा गुप्त उनके मुख्यमंत्री बने|
इसके बादअशोकानेमौर्य साम्राज्यको अगले 8 सालों तक और फैलाया उसने मौर्य साम्राज्य को आसाम से लेकर बलूचिस्तान तथा अफगानिस्तान के Pamir knot से पूरे भारत में सिर्फ तमिलनाडु और केरल को छोड़कर जहां प्राचीन तमिल राजाओं का शासन थाऔर उनकेमौर्य अंपायरसे अच्छे तालुकात थे |
बाकी सब जगह अपने राज्य का विस्तार किया |
अशोका के पिता बिंदुसरा के राज्य में साउथ इंडिया में मौर्य एंपायर की जड़े कमजोर पड़ती जा रही थी , उसे अशोका ने फिर से वहां मजबूत राजतंत्र बनाया और कंट्रोल किया |
अशोकाअपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए उसका युद्ध कलिंग से 261 BCE में हुआ |
अशोकाका यह युद्ध इतिहास में सबसे भयानक युद्धो में से एक था | इस युद्ध में इतिहासकारों के अनुसार 3 लाख से भी ज्यादा लोग घायल हुए या मारे गए और हजारों लोग जो बच गए थे वो राज्य से पलायन कर गए |
अशोका ने कलिंग के इस युद्ध के बाद मौर्य एंपायर के साम्राज्य के विस्तार को रोक दिया |
अशोकाने इसके बाद ऐतिहासिक अध्यादेश जारी किया और अपने अधिकारियों को कहा मेरे अध्यादेश को चट्टानों पर या स्तंभों पर उसकी लोकल भाषा के आधार पर इसे लिखा जाए |
अशोकाने इन अध्यादेश पर धर्म की आजादी , सभी धर्मों का सम्मान , और अपने अधिकारियों को गरीबों की मदद और बुजुर्गों की मदद के निर्देश दिए और इंसानों और जानवरों के लिए वेद शालाओं के निर्माण के लिए आदेश दिए और लोगों से अपने मां-बाप तथा बुजुर्गों के सम्मान करने तथा पंडित पुजारियों को भी सम्मान देने का अनुरोध किया |
इसके अलावा अध्यादेशों में फलों के पेड़ों को , छायादार पेड़ों को लगाने तथा तथा जगह-जगह सड़कों के किनारे , कुओ के निर्माण जिससे यात्री पानी अथवा आराम कर सकें आदि सभी के आदेश दिए|
अशोकाने इसके बाद बुद्धिज्म का प्रचार देश और विदेश में बढ़ाने का अभियान चलाया | धन संपत्तिका बड़े पैमाने में दान , मठों और आश्रमों का निर्माण , त्यौहारों को बढ़ावा देना , देश में शांति बनाए रखना आदि किया |
अशोकाने 84000 Stupas जहां बुद्धिस्ठ प्राणायाम करते थे वो बनवाए|
अशोकाने बुद्धिज्म को भारत के बाहर ले जाने में काफी बड़ा योगदान दिया और आज बुद्धिज्म विश्व के हर कोने में है तथा यह विश्व के सबसे बड़े धर्मों में से एक है|
बुद्धिस्ठ ग्रंथोंमेंअशोकाके कई आदर्शों का उल्लेख किया गया है जिनमें अशोका का बुद्धिज्म को अपनाना , बुद्धिज्म को बढ़ावा देना तथा बुद्धिस्ट साइटों का निर्माण करवाना , उनकी बोधी वृक्ष (bodh tree) की पूजा करना तथा Third Bhudhist Council का निर्माण ताकि बुद्धिस्ट Supporter बुद्धिज्म को Greece , Egypt, Syria आदि से भी आगे इसका विस्तार कर सके |
ऐसी ही एकSthaviravada स्कूलजोकि एक बुद्धिस्ट स्कूल था श्रीलंका में सन 240 BCE में बनवाया गया था|
अशोकाने कुल 36 साल राज किया और फिर इनकी मृत्यु 232 BCE में हो गई|
अशोकाके मरने के बाद मौर्य साम्राज्य सिर्फ 50 साल और चला |
सम्राट अशोकाकीपांच रानियांथी जिनका नाम Devi , Karuvaki , Padmavti , Asandhimitraऔर Tishyaraksha था |
अशोकाकी मृत्यु के बाद दशरथ जोकि अशोका के Grand son थे मौर्य साम्राज्य के अगले राजा बने|
राजा दशरथ नेअशोकाकी धार्मिक और सामाजिक नीतियों को बनाए रखा और ये मौर्य अंपायर के आखिरी राजा थे जिन्होंने शिलालेख आदि जारी किए थे|
फिरराजा दशरथकी मृत्यु 224 BCE में होने के बाद उनके चचेरे भाई Samprati , मौर्य साम्राज्य के राजा बने Samprati , अशोका के बेटे Kuna l का बेटा था |
Kunal अशोक की रानी पद्मावती जो की जैन थी का पुत्र था | Kunal तब उज्जैन में पला बढ़ा था और किसी षड्यंत्र के तहत ताकि वह कभी राजा के पद का दावेदार न बन सके उसे अंधा कर दिया गया था|
उसके बाद रानी पद्मावती अपने बेटे Kunal को लेकर राजा अशोका के दरबार पर पहुंच कर Kunal को अगले राजा बनाने की मांग की , लेकिन Kunal के अंधे होने की वजह से उसे राजा बनाने से इंकार कर दिया गया |
परंतु यह कहा कि Kunal का पुत्र आगे चलकर मौर्य साम्राज्य का राजा बनेगा और वही Kunal का पुत्र Samprati इसी वजह से आगे चलकर राजा बना |
Sampratiका शासन 224 - 215 BCE तक चला उसके बाद शालिशुका Shalishuka मौर्य एंपायर के शासक बनने और उनको उनका शासन 215 - 202 BCE तक चला |
और फिरडेववारमन ( Devavarman ) मौर्य अंपायरके शासक बने और उनका राज्य काल 202 - 195 BCE तक चला |
और फिर शतधनुस ( Shatadhanus ) जिनका राज्य काल 195 - 187 BCE तक चला इनके राज्य में मौर्य एंपायर के कुछ राज्यों पर अन्य राजाओं का कब्जा हो चुका था |
और फिर मौर्य एंपायर के आखरी शासक
बृहद्रथ ( Brihadratha )मौर्य थे उनका शासन 187 - 180 BCE तक चला ,
उन्हें उन्हीं के जनरल जिनका नाम पुष्यमित्र शुंग ( Pushyamitra Shunga ) था उन्होंने ही मार दिया था और फिर Shunga (शुंगा) Empire की शुरुआत की थी |