Asked By : Seema(Ynot App)
जैन तीर्थंकर पार्श्वनाथ द्वारा प्रतिपादित चार महाव्रतों में महावीर स्वामी ने पाँचवें व्रत के रूप में क्या जोड़ा
□ अहिंसा
□ अत्तेय
□ अपरिग्रह
□ ब्रह्मचर्य
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Answered By : yash(Top Voted)
Correct Option : 4 ( ब्रह्मचर्य )
'ब्रह्मचर्य' का मूल अर्थ है 'ब्रह्म (वेद अथवा ज्ञान) की प्राप्ति का आचरण।'
इसका रूढ़ प्रयोग विद्यार्थी जीवन के अर्थ में होता है। आर्य जीवन के चार आश्रमों में प्रथम ब्रह्मचर्य है, जो विद्यार्थी जीवन की अवस्था का द्योतक है।
प्राचीन समय से ही भारत में ब्रह्मचर्य का विशेष महत्त्व रहा है। कभी-कभी प्रौढ़ और वृद्ध लोग भी छात्र जीवन का निर्वाह समय-समय पर किया करते थे, जैसा कि आरुणि की कथा से ज्ञात होता है।