Monday, 19 October 2020

Rooms for rents , family , boys , girls , banda city , u.p

 Rooms for rents , family , boys , girls


 परिवार के लिएलड़कों के लिए  , लड़कियों के लिए 


For family or girls only 


2 Room + hall +  kitchen  -- Rs 3000 -3500

seprate Toilet + Seperate Washroom

bike parking  + car parking 





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For family or girls only 

1 Room + Kitchen - Toilet -- Rs 2200 -3000




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 Room for Boys

 ( लड़कों के लिए किराए के कमरे )



Only room  , no kitchen

shared bathroom          -- Rs 1500 -1800



One Room +Kitchen --  Rs 2200 - 2600

shared toilet


Shared Room -         Rs  1200




























Contact Number - 9711519179


Budget Room for Stay For One Day - banda , room for girl friend one night banda

 


   Budget Room for Stay For One Day - banda

           (12P.M to 11 A.M next day )

             रहने के लिए रूम 24 घंटे के लिए 



         Rs 500 / 23 hrs.     ..  









Rooms Rs 300 / per person (max two)






किसी भी प्रकार के enquiry के लिए Rooms के regarding  ऊपर message कर दे


Contact Number - 9711519179









English Speaking Over Video and Phone , banda , delhi , hardoi, lukhnow

 English Speaking Over Video and Phone -with

Delhi Mam 



  • one to one communication (over telephone)

  • daily online task

  • half hour speak over phone and video

  • How to speak ( build confidence)

  • personality development

  • how to talk informally(telling your life journey-abd goals)

  • how to speak on interview (telling formally about

  • your achievent and qualification)


price 5500/- 90 days


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Contact N0 - 9711519179


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Who can learn

  • House wife

  • Teacher

  • Business Man or Women

  • Student( girl or Boy)

  • Job seeker



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coatching space in banda , rent floor , office space in banda

 


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We- provide you Space  /  Will provide  chairs / 

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light+electricity+fan  / -No interference

शुरू करें सिर्फ

Rs 500/month से

बच्चों के संख्या के हिसाब से आपके price बढ़ और घट सकते हैं  ,

मानके चलें आपको प्रत्येक बच्चे की फीस का 25 % cost  लगेगी 

*price wil increase or decrease on student+ hour basis           

                                     

    बहुत अधिक बच्चे होने पर Price कम भी हो सकता है




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अगर आपके पास संख्या अधिक है तो भी आपको बड़ी space - provide

की जाएगी

आप किसी enquiry के लिए या parents मीटिंग के लिए भी -

आप space को यूज कर सकते हैं 


आप कोई Event भी Organise कर सकते हैं जैसे कि career  counsiling

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लड़कियां अपनी शिक्षा को प्रोफेशनली - बच्चों तक अपनी शिक्षा

पहुंचा सकते हैं

आप होम ट्यूशन आदि की Classes भी यहां पर चला सकते हैं

आप मीडियम साइज स्ट्रैंथ 5 -10 -15 या 20 बच्चों की भी classes

चला सकते है 


Address  : Near D.R Public School , Banda  9711519179 

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Monday, 31 August 2020

Peshwa Balaji Bajirao -hidden history , अपराजेय योद्धा पेशवा बाजीराव (प्रथम )

 Peshwa Balaji Bajirao -hidden history

*अपराजेय योद्धा पेशवा बाजीराव (प्रथम ) / जन्म दिवस - 

18 अगस्त 1700*

छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने भुजबल से एक विशाल

 भूभाग मुगलों से मुक्त करा लिया था। उनके बाद इस ‘स्वराज्य’ 

को सँभाले रखने में जिस वीर का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण योगदान रहा,

 उनका नाम था बाजीराव पेशवा।

बाजीराव का जन्म 18 अगस्त, 1700 को अपने ननिहाल ग्राम डुबेर में 

हुआ था। उनके दादा श्री विश्वनाथ भट्ट ने शिवाजी महाराज के साथ 

युद्धों में भाग लिया था। उनके पिता बालाजी विश्वनाथ छत्रपति शाहू जी महाराज 

के महामात्य (पेशवा) थे। उनकी वीरता के बल पर ही शाहू जी ने मुगलों 

तथा अन्य विरोधियों को मात देकर स्वराज्य का प्रभाव बढ़ाया था।

बाजीराव को बाल्यकाल से ही युद्ध एवं राजनीति प्रिय थी। जब वे 

छह वर्ष के थे, तब उनका उपनयन संस्कार हुआ। उस समय 

उन्हें अनेक उपहार मिले। जब उन्हें अपनी पसन्द का उपहार चुनने को 

कहा गया, तो उन्होंने तलवार को चुना। छत्रपति शाहू जी ने एक 

बार प्रसन्न होकर उन्हें मोतियों का कीमती हार दिया, तो उन्होंने

 इसके बदले अच्छे घोड़े की माँग की। घुड़साल में ले जाने पर उन्होंने 

सबसे तेज और अड़ियल घोड़ा चुना। यही नहीं, उस पर तुरन्त ही 

सवारी गाँठ कर उन्होंने अपने भावी जीवन के संकेत भी दे दिये।

चौदह वर्ष की अवस्था में बाजीराव प्रत्यक्ष युद्धों में जाने लगे।

 5,000 फुट की खतरनाक ऊँचाई पर स्थित पाण्डवगढ़ किले

 पर पीछे से चढ़कर उन्होंने कब्जा किया। कुछ समय बाद 

पुर्तगालियों के विरुद्ध एक नौसैनिक अभियान में भी उनके 

कौशल का सबको परिचय मिला। इस पर शाहू जी ने इन्हें 

‘सरदार’ की उपाधि दी। दो अप्रैल, 1720 को बाजीराव के पिता

 विश्वनाथ पेशवा के देहान्त के बाद शाहू जी ने 17 अपै्रल, 1720

 को 20 वर्षीय तरुण बाजीराव को पेशवा बना दिया। बाजीराव ने 

पेशवा बनते ही सर्वप्रथम हैदराबाद के निजाम पर हमलाकर उसे 

धूल चटाई।

इसके बाद मालवा के दाऊदखान, उज्जैन के मुगल सरदार दयाबहादुर

, गुजरात के मुश्ताक अली, चित्रदुर्ग के मुस्लिम अधिपति तथा

 श्रीरंगपट्टनम के सादुल्ला खाँ को पराजित कर बाजीराव ने सब 

ओर भगवा झण्डा फहरा दिया। इससे स्वराज्य की सीमा हैदराबाद 

से राजपूताने तक हो गयी। बाजीराव ने राणो जी शिन्दे

मल्हारराव होल्कर, उदा जी पँवार, चन्द्रो जी आंग्रे जैसे नवयुवकों 

को आगे बढ़ाकर कुशल सेनानायक बनाया।

पालखिण्ड के भीषण युद्ध में बाजीराव ने दिल्ली के बादशाह

 के वजीर निजामुल्मुल्क को धूल चटाई थी। द्वितीय विश्वयुद्ध में

 प्रसिद्ध जर्मन सेनापति रोमेल को पराजित करने वाले अंग्रेज जनरल

 माण्टगोमरी ने इसकी गणना विश्व के सात श्रेष्ठतम युद्धों में की है।

 इसमें निजाम को सन्धि करने पर मजबूर होना पड़ा। इस युद्ध से 

बाजीराव की धाक पूरे भारत में फैल गयी।


 उन्होंने वयोवृद्ध छत्रसाल की मोहम्मद खाँ बंगश के विरुद्ध युद्ध

 में सहायता कर उन्हें बंगश की कैद  से मुक्त कराया।


 तुर्क आक्रमणकारी नादिरशाह को दिल्ली लूटने के बाद जब 

बाजीराव के आने का समाचार मिला, तो वह वापस लौट गया।

सदा अपराजेय रहे बाजीराव अपनी घरेलू समस्याओं और महल

 की आन्तरिक राजनीति से बहुत परेशान रहते थे। जब वे नादिरशाह 

से दो-दो हाथ करने की अभिलाषा से दिल्ली जा रहे थे, तो मार्ग में 

नर्मदा के तट पर रावेरखेड़ी नामक स्थान पर गर्मी और उमस भरे मौसम 

में लू लगने से मात्र 40 वर्ष की अल्पायु में 28 अपै्रल, 1740 को 

उनका देहान्त हो गया। उनकी युद्धनीति का एक ही सूत्र था कि

 जड़ पर प्रहार करो, शाखाएं स्वयं ढह जाएंगी। पूना के शनिवार 

बाड़े में स्थित महल आज भी उनके शौर्य की याद दिलाता है।



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