Wednesday 4 March 2020

How to know whether you going to success or not कैसे आप जाने कि आप सक्सेसफुल होंगे

कैसे आप जाने कि आप सक्सेसफुल (Successfull)  होंगे कि नहीं |

How to know whether you going to success or not




अब जो भी काम कर रहे हैं उसमें आपको सफलता मिलेगी भी कि नहीं |

कोई भी नया काम शुरू होने से पहले आपको यह हमेशा डाउट (Doubt)  होगा कि काम बनेगा कि नहीं और यह स्वभाविक है |

जैसे हम एंट्रेंस (Enterance ) की तैयारी करते हैं और हम जानना चाहते हैं कि सिलेक्शन (selection ) होगा कि नही |


या जब आप बिजनेस (Business) शुरू करते हैं , तो आप जानना चाहते हैं कि कुछ बनेगा भी कि नहीं - कि सालों साल बर्बाद होते रहेंगे या फिर आखिर में नौकरी कहीं ना  पकड़नी पड़े |

किसी भी काम को शुरू करने में बहुत एनर्जी (energy ) लगेगी ,  इमोशंस (emotions ) लगेंगे - तो हमें हमेशा लगता है कि काश पहले से पता चल जाए कि सक्सेस (success) होगा कि नहीं ताकि उसी के हिसाब से energy waste  की जाए |


देखिए इस दुनिया में गारंटी किसी की भी नहीं है
जैसे शेर शिकार करने के लिए निकलेगा तो वह शिकार कर ही पाएगा |



एक बहुत तेज दौड़ने वाले को भी अगले दौड़ में जरूर जीत जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है |

हम सफल होंगे या फेल होंगे इस चीज को समझते हैं एक क्रिकेट मैच (cricket match ) से |

मानो कि मैच इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच में है -
शुरुआती में दोनों की जीतने की प्रोबेबिलिटी 50% - 50% की है |

जैसे ही  टॉष होता है - तो  किसी एक टीम की जीतने की प्रोबेबिलिटी में थोड़ा इजाफा हो जाता है |

जैसी ही पहले विकेट गिरता है ,  तो दूसरी टीम की जीतने की प्रोबेबिलिटी में इजाफा हो जाता है    |



इसी प्रकार मैच के प्रत्येक बोल में  , प्रत्येक रन में , हर विकेट में ,   प्रोबेबिलिटी   का उतार-चढ़ाव होता रहता है |


हालांकि मैच अगर भारत और कीनिया के बीच में हो तो जहां पर भारत की जीतने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है -|


वहीं कीनिया की जीतने की प्रोबेबिलिटी बहुत कम इसलिए कीनिया को अपनी जीतने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी |


उनको प्रत्येक बोल मे रन और प्रत्येक विकेट लेने में अधिक ताकत लगानी पड़ेगी |


पर यह नहीं है कि कीनिया में जीत नहीं सकता हालांकि जीतने की प्रोबेबिलिटी थोड़ी कम होती होगी ,  यह निर्भर टीम की छमता और मेहनत पर करता है |

हालांकि अगर आप यह राय लोगों से लेंगे तो कोई इसे 0% कहेगा तो कोई इसे 100% कहेगा - जबकि गेम पूरा प्रत्येक बॉल पर निर्भर करता है |


प्रत्येक बॉल पर कितने रन बने ;  कितने विकेट मिली ,  कितनी मेहनत लगी , कितने रन बचाए , किस तरह से आपने उस बोल को सामना (face)  किया , आदि इन सब बातों पर निर्भर करता है ,

अगर इन्हीं सब को जोड़ के देखे तो  - अंत में आपकी जीतने की क्षमता बढ़ जाएगी  - अगर आपने हर बॉल पर ताकत लगाई हो |

वहीं अगर आप शुरू से हार मान ले तो आप प्रत्येक बोल पर उस तरह से मेहनत नहीं करेंगे - अधिक जान नहीं लगाएंगे तो आप हार जाएंगे |



इसलिए सफल और असफल लगातार प्रयत्न पर और उसके रिजल्ट पर निर्भर करता है , शुरू से ही कोई चीज सफल नहीं होती और शुरू से ही कोई चीज असफल नहीं होती |




Sunday 1 March 2020

bachpan -Small kids mathmetics toys - startup idea -बचपन जैसे छोटे बच्चों के खिलौने बिजनेस आइडिया

bachpan  बचपन जैसे छोटे बच्चों की स्कूल के लिए आधुनिक खिलौने जिनसे उनका मानसिक विकास हो सके और यह आपके टाइम पर बहुत लोकप्रिय हैं

छोटे बच्चों की स्कूल जिसे बचपन भी कहते हैं आदि को किस से किस तरह से डिजाइन करें और खोलने से पहले क्या क्या हम कर सकते हैं |

यदि आप कोई छोटा सा किड्स स्कूल खोलते हैं जो कि अधिकतर गांव छोटे शहरों में ज्यादा successfull  है उसमें नीचे दी गई कुछ इंजीनियरिंग के काम बच्चों को जो मानसिक रूप से मजबूत बनाएं उनको शामिल करें तथा कुछ ऐसे काम जो उनको अच्छा लगे उनको शामिल करें  |


और ए छोटे काम आप घर में भी बना सकते हैं  , थोड़ी finising  के लिए आपको मेहनत करनी पड़ सकती है |

और यह एक बहुत अच्छा काम है जिसमें आप अपने हिसाब से चीजें जोड़ सकते हैं  , इस पर आपको मार्केट पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है



लकड़ी और काटने की अवजार  बहुत आसानी से कम रेट पर भी मिल सकते हैं |

थोड़ा निवेश करके 2000 से 3000 का निवेश करके आपको काम हो जाएगा  |

प्लाई    सस्ती होती है , लकड़ियों की होती है जिसमें सारे खिलौने बना सकते हैं


काटने वाली मशीन से 2000- 3000 के बीच में उपलब्ध हो जाती है  आप चाहे तो शुरुआती में कुछ छोटे दुकानदार जो लकड़ी का काम करते हैं  उनसे कुछ बनवाएं अपने डिजाइन को देखें वह आपको देंगे उससे अब को शुरुआती खर्च और बच सकता है

यह सिर्फ शुरुआत में आपको इस तरह से होगा पर इससे बहुत अन्य तरीके भी उत्पन्न होने लगेंगे जिनसे आप एक और नए तरह का व्यापार खड़ा कर सकते हैं




यह छोटी सी गाड़ी 1 साल  से लेकर - 2 साल के बच्चे के लिए use होती है , और यह आसानी से बन सकती है |

जैसे कि देखा गया है छोटे शहरों हो चाहे वह हो बड़े शहर - लोग हमेशा निवेश बच्चों पर करते हैं

अगर उनके बच्चे के लिए कोई भी चीज उपयोगी होगी वह उसको जरूर खरीदेंगे

इससे आपको यह फायदा होगा कि आप जो भी बनाएंगे वह मार्केट में बिकेगा जरूर -अगर बच्चों से जुड़ा हुआ है तो



यह छोटी गाड़ी होती है अक्सर छोटे से बच्चों को बहुत पसंद होता है कि उन्हें कोई खींचे बैठा कर

इस तरह की गाड़ी एक आम लोगों को भी   बेची सकती है - इसमें चाहे तो आप पहले भी लकड़ी के लगा सकते हैं और यह 1 साल से 3 साल के बच्चे से बहुत पसंद करते हैं क्योंकि कोई उन्हें खींचे तो उन्हें मजा आता है  |


यह साइकिल से ज्यादा उपयोगी होती है






यह बोल और यह छोटे से बोतल की आकार खिलौनों को भी बच्चे बहुत पसंद करते हैं और यह भी आसानी से बनाया जा सकता है |


लकड़ी की रेलगाड़ी उसको कई भागों में बनाया जाता है , इसे बच्चे जोड़ते हैं और इसके डिब्बों में आकार के हिसाब से छोटे-छोटे मान रखते हैं इसी तरह से आप भी बना सकते हैं अपने अनुसार - बैलगाड़ी ,  घोड़ा गाड़ी को जोड़ना आदि |





यह Chair hai - जिसको कई भाषा कई भागों में बनाया गया है इसको जोड़ा जा सकता है इसे बच्चे हमेशा जोगना बनाना आदित्य उनका मानसिक विकास भी होता है |







यह जोमेट्री मैं अभी सिखाने के लिए बनाए जाते हैं यह गणित आदि इतने के लिए बनाए जाते हैं
इस तरह के खिलौने चाहिए बच्चे आसानी से मैथ में इंटरेस्ट रखते हैं और वह उसके प्रति काफी आकर्षित होते हैं |







इसी तरह से ऑलवेज उन्होंने हो सकते हैं अपने एरिया के हिसाब से आप बना सकते हैं जैसे कि इस बच्ची की तस्वीर में आपको दिख रहा है और यह छोटे जारोज के लिए बहुत बड़ा बेकार है उसका बड़ा बाजार भी है छोटा बाजार हम लोग हमेशा याद रखे बच्चों पर ही निवेश करते हैं इसलिए ही है मार्केट में आसानी से सेल ( sell )   कर सकते हैं |



इस तरह की चीजों को भेजने में हम भी आपकी मदद करेंगे अगर इवन आपको तरीके बताएंगे जो कि आपका बाजार बड़े आप हमें निशुल्क छोड़कर मैसेज कर सकते हैं







Saturday 29 February 2020

CCTV का Business. - small business idea - बिजनेस आइडिया




CCTV  का Business

CCTV अक्सर छोटे जिलों में या फिर इंस्टिट्यूट में अन्य जगहों में बहुत उपयोगी होती है और आजकल तो घरों में या जिनके पास कारें हैं जो बाहर पार्किंग करते हैं उनको भी इसकी बहुत आवश्यकता होती है ,

और उनको लगता है कि इसका सेटअप (setup) बहुत महंगा पड़ेगा इस कारण वह इसका यूज.  नहीं करते पट पर आप इसे उन्हें बहुत सस्ता में अवेलेबल (available ) करा सकते जैसे मासिक फीस 200 से ₹300 के बीच में जिससे वह सीसीटीवी  use करें और यह बहुत ही आसान होगा |



CCTV कैमरा दो प्रकार के होते हैं एक होते हैं आईपी (I.P)  कैमरा , वही दूसरा डीवीआर (DVR)  कैमरा

आईपी कैमरा (I.P - Camera)  से राउटर  (Router ) कनेक्ट होता है , वही जबकि दूसरी कैमरे से डी वी आर बॉक्स  (D.V.R ) कनेक्ट होता है इससे आप टीवी वगैरह में देखते हैं



I.p Camera आईपी कैमरा का सेटअप कुछ इस प्रकार होता है




इस आईपी कैमरे (I.P Camera ) को आप बिना इंटरनेट के भी एक्सेस (access) कर सकते हैं बस आपको LAN  वायर थोड़ी बड़ी करनी पड़ेगी

और राउटर आपको अपने घर में रखना होगा

आपको अपने लोकल ब्राउज़र में लोकल आईपी डालनी पड़ेगी और आपका कैमरा खुल जाएगा



अगर आप चाहें तो इसको इंटरनेट्स (internet ) की मदद से कहीं से भी एक्सेस (access)  कर सकते हैं लेकिन उसके लिए आपको एक पब्लिक आईपी (public I.P) लेनी पड़ेगी और राउटर को लोकल आईपी (Local I.P) से रीडायरेक्ट (redirect) करना होगा |


लोकल आईपी (Local I. P ) से पब्लिक आईपी ( Public I.P)  में रीडायरेक्ट कैसे करते हैं इसे आप आसानी से internet पर सर्च कर सकते हैं

और आप चाहे तो इस लिंक से भी देख सकते हैं




पब्लिक आईपी (public I.P) का price  2000 से 3000 सालाना (yearly)  पड़ता है , पर उसके लिए आपको इंटरनेट लेना पड़ेगा उसका charge अलग से जोड़ सकते हैं |


कोई दूसरे प्रकार के कैमरा सिस्टम होते हैं उसमें डीवीआर(D.V.R)  कैमरा सिस्टम कहते हैं , जो डीवीआर बॉक्स (D.V.R)  से कनेक्ट होते हैं और डीवीआर बॉक्स टीवी ( T.V) या लैपटॉप से कनेक्ट होता है , यह कुछ सेटअप बॉक्स की तरह होता है |




इस सिस्टम में डीवीआर बॉक्स (DVR Box ) ,  हार्ड डिक्स  (Hard -Disk ) लगती है अगर रिकॉर्डिंग (recording )  आपको करनी है , नहीं करनी है तो नहीं लगती |

याद रखें कि डीवीआर बॉक्स (DVR ) भी कई प्रकार के होते हैं 4 कैमरे , 6 कैमरे , 12 कैमरे आदि कनेक्ट करने के हिसाब से  डीवीआर बॉक्स की शुरुआती कीमत 3000 से 5000 तक में पड़ जाते हैं -बिना हार्ड डिस्क के |



एक्स्ट्रा हार्ड डिस्क ( hard disk ) बाहर से  लेंगे तो 2300 से 3000 के बीच में आपको मिल जाएगी जिसे आप आसानी से जोड़ सकते हैं |

कैमरा चाहे (I.P) आईपी हो ,  चाहे डीपीआर (DPR)  हो - यह भी कई प्रकार के होते हैं

जैसे नाइट विजन कैमरा जो दिन और रात दोनों में देख सकें



बुलेट कैमरा जो पत्थर वगैरह से नहीं टूटे ,

इंसाइड कैमरा जो कमरों के घर में लगाए जाते हैं आदि





Friday 28 February 2020

संत-ज्ञान - sant gyan-real worship-Inspirational Story सच्ची आस्था क्या है , भगवान की पूजा कैसे करें




संत-ज्ञान -    Inspirational Story
सच्ची आस्था क्या है  , भगवान की पूजा कैसे करें


एक बेटी ने एक संत से आग्रह किया कि वो घर आकर उसके बीमार पिता से मिलें, प्रार्थना करें...बेटी ने ये भी बताया कि उसके बुजुर्ग पिता पलंग से उठ भी नहीं सकते...*

*जब संत घर आए तो पिता पलंग पर दो तकियों पर सिर रखकर लेटे हुए थे...*

*एक खाली कुर्सी पलंग के साथ पड़ी थी...संत ने सोचा कि शायद मेरे आने की वजह से ये कुर्सी यहां पहले से ही रख दी गई...*
*संत...मुझे लगता है कि आप मेरी ही उम्मीद कर रहे थे...*
*पिता...नहीं, आप कौन हैं...*

*संत ने अपना परिचय दिया...और फिर कहा...मुझे ये खाली कुर्सी देखकर लगा कि आप को मेरे आने का आभास था...*

*पिता...ओह ये बात...खाली कुर्सी...आप...आपको अगर बुरा न लगे तो कृपया कमरे का दरवाज़ा बंद करेंगे...*

*संत को ये सुनकर थोड़ी हैरत हुई, फिर भी दरवाज़ा बंद कर दिया...*

*पिता...दरअसल इस खाली कुर्सी का राज़ मैंने किसी को नहीं बताया...अपनी बेटी को भी नहीं...पूरी ज़िंदगी,

मैं ये जान नहीं सका कि प्रार्थना कैसे की जाती है...मंदिर जाता था, पुजारी के श्लोक सुनता...वो सिर के ऊपर से गुज़र जाते....कुछ पल्ले नहीं पड़ता था...मैंने फिर प्रार्थना की कोशिश करना छोड़ दिया…

लेकिन चार साल पहले मेरा एक दोस्त मिला...उसने मुझे बताया कि प्रार्थना कुछ नहीं भगवान से सीधे संवाद का माध्यम होती है....उसी ने सलाह दी कि एक खाली कुर्सी अपने सामने रखो...फिर विश्वास करो कि वहां भगवान खुद ही विराजमान हैं...अब भगवान से ठीक वैसे ही बात करना शुरू करो, जैसे कि अभी तुम मुझसे कर रहे हो...मैंने ऐसा करके देखा...मुझे बहुत अच्छा लगा...फिर तो मैं रोज़ दो-दो घंटे ऐसा करके देखने लगा...लेकिन ये ध्यान रखता कि मेरी बेटी कभी मुझे ऐसा करते न देख ले...अगर वो देख लेती तो उसका ही नर्वस ब्रेकडाउन हो जाता या वो फिर मुझे साइकाइट्रिस्ट के पास ले जाती...*

*ये सब सुनकर संत ने बुजुर्ग के लिए प्रार्थना की...सिर पर हाथ रखा और* *भगवान से बात करने के क्रम को जारी रखने के लिए कहा...संत को उसी दिन दो दिन के लिए शहर से बाहर जाना था...इसलिए विदा लेकर चले गए..*

*दो दिन बाद बेटी का संत को फोन आया कि उसके पिता की उसी दिन कुछ घंटे बाद मृत्यु हो गई थी, जिस दिन वो आप से मिले थे...*

*संत ने पूछा कि उन्हें प्राण छोड़ते वक्त कोई तकलीफ़ तो नहीं हुई...*

*बेटी ने जवाब दिया...नहीं, मैं जब घर से काम पर जा रही थी तो उन्होंने मुझे बुलाया...मेरा माथा प्यार से चूमा...ये सब करते हुए उनके चेहरे पर ऐसी शांति थी, जो मैंने पहले कभी नहीं देखी थी...जब मैं वापस आई तो वो हमेशा के लिए आंखें मूंद चुके थे...लेकिन मैंने एक अजीब सी चीज़ भी देखी...वो ऐसी* *मुद्रा में थे जैसे कि खाली कुर्सी पर किसी की गोद में अपना सिर झुकाया हो...संत जी, वो क्या था...*

*ये सुनकर संत की आंखों से आंसू बह निकले...बड़ी मुश्किल से बोल पाए...काश, मैं भी जब दुनिया से जाऊं तो ऐसे ही जाऊं...*

*किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में मेरा साथ छोड जाऐंगी..!!*

*किस धन का मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगा..!!*

*किस तन पे मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाएगा..!!*

*भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती...*
*और यदि सजा हो जाये तो जमानत नहीं होती....*




परम सत्य प्रेम भाव - प्रेम का वास्तविक रूप- real love - short story

परम सत्य प्रेम भाव प्रेम का वास्तविक रूप real love - short story




जहां बैठावै तित ही बैठूं, बेचैं तो बिक जाऊं।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, बार-बार बलि जाऊं।
जहां बैठावै तित ही बैठूं...

मीरा कहती है: अब तो वह जहां आज्ञा कर देता है वहीं। उसकी आज्ञा--बस मेरा जीवन है। जहां बिठा देता है वहां बैठ जाती हूं। जहां से उठा देता है वहां से उठ जाती हूं। अब मेरी अपने तरफ से कोई विचार और निर्णय की व्यवस्था नहीं रही। अब वह बात समाप्त हो गई है।

यही समर्पण-भाव है: जहां बिठा दे! और जिसने यह कला सीख ली, उसे इस जगत में फिर कोई अड़चन नहीं है। उसे कष्ट आते ही नहीं। कष्ट आते ही इसलिए हैं कि तुम उससे राजी नहीं होते। तुम्हारे भीतर वासना सरकती रहती है...कि मुझे ऐसी जगह बिठाओ, मुझे ऐसा बनाओ। और अगर वैसे तुम नहीं बन पाते तो नाराजगी पकड़ती है। नाराजगी पकड़ती है तो परमात्मा से संबंध टूट जाता है। क्रोध पकड़ता है, तो संबंध टूट जाता है।

एक आदमी ने मुझ से आकर कहा कि मेरा लड़का बीमार था और मैंने जाकर प्रार्थना की। हनुमानजी का भक्त था। और मैंने समय भी दे दिया उनको, अल्टीमेटम दे दिया।


किसी फैक्टरी में काम करता था तो हड़ताली शब्द सीख गया होगा: अल्टीमेटम!

अल्टीमेटम दे दिया हनुमानजी को, कि अगर पंद्रह दिन के भीतर लड़का ठीक नहीं हुआ तो बस समझ लेना, फिर मुझे पक्का हो जाएगा कि कोई भगवान इत्यादि नहीं है। सब बकवास है।

लड़का ठीक हो गया तो वह मेरे पास आया कि हनुमानजी ने मेरी लाज रख ली। मैंने कहा: तुम्हारी रखी लाज कि अपनी रखी? अल्टीमेटम तुमने दिया था कि हनुमानजी ने दिया था?

और मैंने कहा: अब दुबारा मत देना अल्टीमेटम, नहीं तो उनकी लाज बार-बार वे न रख पाएंगे। यह तो संयोग की बात कि लड़का बच गया। अब दुबारा भूल कर मत करना, नहीं तो नास्तिक हो जाओगे।

यह तुम्हारी आस्तिकता बहुत कमजोर है। लड़का मर जाता तो? तो लड़का नहीं मरता, हनुमानजी मरते। तो लड़के की अरथी नहीं निकलती, हनुमानजी की अरथी निकलती। अब यह भूल कर तुम दुबारा मत करना।

उसने कहा: आप यह क्या कहते हैं? मुझे तो एक कुंजी हाथ लग गई।
तो मैंने कहा: तुम्हारी मर्जी। जल्दी ही तुम पाओगे कि झंझट में पड़े।

और दो महीने बाद वह आया।

उसने कहा: आप ठीक कहते थे। सब श्रद्धा, आस्था नष्ट हो गई। मेरे बड़े लड़के की नौकरी नहीं लग रही थी, मैं अल्टीमेटम दे आया। पंद्रह दिन निकल गए, कुछ नहीं हुआ।

फिर मैंने कहा कि चलो पंद्रह दिन और दो। वे पंद्रह दिन भी निकल गए, फिर भी कुछ नहीं हुआ। अब मुझे अश्रद्धा पैदा हो रही है।

मैंने कहा: भई पंद्रह दिन और दे। अब तू झंझट में तो पड़ेगा ही। क्योंकि अब तेरी एक वासना है; वह अगर परमात्मा पूरी करे तो उनका होना न होना, इसी पर निर्भर है।

यह कोई श्रद्धा थोड़े ही है; यह सुविधा है। यह तो तुम परमात्मा का भी उपयोग करने लगे।
नहीं, उठा ले परमात्मा तो भी राजी हो जाना। जैसा रखे वैसे से राजी होना। अपनी कोई शर्त ही न हो।

एक डा.शुक्ल थे । उसकी पत्नी चल बसी। उनका नाम मीरा था। अब वे दुखी हैं; बेचैन हैं।

स्वभावतः उन्होंने बहुत लगाव से अपनी पत्नी को रखा था, उनका बड़ा मोह था। अब पत्नी चली गई तो अब वे बिलकुल दीवाने हैं। अब वे कहते हैं: मैं अकेला कैसे रहूं? कोई बच्चा भी नहीं है; घर सूना है।
और वर्षों से दोनों साथ थे; अब बड़ी बेचैनी है, बड़ी तड़पन है। स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि परमात्मा की मर्जी थी, तो इसमें भी कुछ लाभ ही होगा; कुछ कल्याण ही होगा।

कौन जाने परमात्मा ने इसीलिए मीरा को उठा लिया कि डा. अब चौंको, कब तक मीरा से उलझे रहोगे! अब गोपाल की सुध लो!...नहीं तो वे बिलकुल छाया बन गए थे। उन्हें लग रहा था कि सब ठीक हो गया है; इससे अन्यथा और क्या चाहिए। शायद इसीलिए मीरा को हटा लिया गया, ताकि यह जो प्रेम क्षणभंगुर में लग गया था, यह शाश्वत की तरफ उठे।

भक्त ऐसा ही सोचेगा। भक्त सदा मार्ग खोज लेगा कि प्रभु ने चाहा है तो कुछ अर्थ होगा। अगर प्रेमी को छीन लिया है तो इसीलिए छीना है कि अब एक नये प्रेम की शुरुआत हो; एक नये प्रेम का जन्म हो।

देह तो गई। देह से प्रेम किया था, वह टूट गया; अब अदेही से प्रेम करो।

अब ऐसे से प्रेम करो, जो कभी नहीं मरेगा। मरने वालों से तो बहुत प्रेम किया जन्मों-जन्मों में, और हर बार तकलीफ हुई; हर बार वही बेचैनी। यह कोई डाक्टर को पहली दफे थोड़े हो गई है; कितनी-कितनी बार नहीं हुई होगी!

चौंको! जागो! सजग हो जाओ! अब एक नये प्रेम की शुरुआत करो। एक नया प्रेम--जो शाश्वत से है; जिसकी कोई मृत्यु नहीं होती।

मेरी उनकी प्रीत पुराणी, उन बिन पल न रहाऊं।
जहां बैठावे तित ही बैठूं, बेचैं तो बिक जाऊं।

और यह भाव होना चाहिए कि बेच दे तो बिकने को राजी; ना-नूच जरा भी नहीं। नहीं उठेगी ही नहीं। बेच दे तो बिकने को राजी।

पद घूंघरू बांध--(प्रवचन--03)





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