कैसे आप जाने कि आप सक्सेसफुल (Successfull) होंगे कि नहीं |
How to know whether you going to success or not
अब जो भी काम कर रहे हैं उसमें आपको सफलता मिलेगी भी कि नहीं |
कोई भी नया काम शुरू होने से पहले आपको यह हमेशा डाउट (Doubt) होगा कि काम बनेगा कि नहीं और यह स्वभाविक है |
जैसे हम एंट्रेंस (Enterance ) की तैयारी करते हैं और हम जानना चाहते हैं कि सिलेक्शन (selection ) होगा कि नही |
या जब आप बिजनेस (Business) शुरू करते हैं , तो आप जानना चाहते हैं कि कुछ बनेगा भी कि नहीं - कि सालों साल बर्बाद होते रहेंगे या फिर आखिर में नौकरी कहीं ना पकड़नी पड़े |
किसी भी काम को शुरू करने में बहुत एनर्जी (energy ) लगेगी , इमोशंस (emotions ) लगेंगे - तो हमें हमेशा लगता है कि काश पहले से पता चल जाए कि सक्सेस (success) होगा कि नहीं ताकि उसी के हिसाब से energy waste की जाए |
देखिए इस दुनिया में गारंटी किसी की भी नहीं है
जैसे शेर शिकार करने के लिए निकलेगा तो वह शिकार कर ही पाएगा |
एक बहुत तेज दौड़ने वाले को भी अगले दौड़ में जरूर जीत जाएगा इसकी कोई गारंटी नहीं है |
हम सफल होंगे या फेल होंगे इस चीज को समझते हैं एक क्रिकेट मैच (cricket match ) से |
मानो कि मैच इंडिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच में है -
शुरुआती में दोनों की जीतने की प्रोबेबिलिटी 50% - 50% की है |
जैसे ही टॉष होता है - तो किसी एक टीम की जीतने की प्रोबेबिलिटी में थोड़ा इजाफा हो जाता है |
जैसी ही पहले विकेट गिरता है , तो दूसरी टीम की जीतने की प्रोबेबिलिटी में इजाफा हो जाता है |
इसी प्रकार मैच के प्रत्येक बोल में , प्रत्येक रन में , हर विकेट में , प्रोबेबिलिटी का उतार-चढ़ाव होता रहता है |
हालांकि मैच अगर भारत और कीनिया के बीच में हो तो जहां पर भारत की जीतने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है -|
वहीं कीनिया की जीतने की प्रोबेबिलिटी बहुत कम इसलिए कीनिया को अपनी जीतने के लिए बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी |
उनको प्रत्येक बोल मे रन और प्रत्येक विकेट लेने में अधिक ताकत लगानी पड़ेगी |
पर यह नहीं है कि कीनिया में जीत नहीं सकता हालांकि जीतने की प्रोबेबिलिटी थोड़ी कम होती होगी , यह निर्भर टीम की छमता और मेहनत पर करता है |
हालांकि अगर आप यह राय लोगों से लेंगे तो कोई इसे 0% कहेगा तो कोई इसे 100% कहेगा - जबकि गेम पूरा प्रत्येक बॉल पर निर्भर करता है |
प्रत्येक बॉल पर कितने रन बने ; कितने विकेट मिली , कितनी मेहनत लगी , कितने रन बचाए , किस तरह से आपने उस बोल को सामना (face) किया , आदि इन सब बातों पर निर्भर करता है ,
अगर इन्हीं सब को जोड़ के देखे तो - अंत में आपकी जीतने की क्षमता बढ़ जाएगी - अगर आपने हर बॉल पर ताकत लगाई हो |
वहीं अगर आप शुरू से हार मान ले तो आप प्रत्येक बोल पर उस तरह से मेहनत नहीं करेंगे - अधिक जान नहीं लगाएंगे तो आप हार जाएंगे |
इसलिए सफल और असफल लगातार प्रयत्न पर और उसके रिजल्ट पर निर्भर करता है , शुरू से ही कोई चीज सफल नहीं होती और शुरू से ही कोई चीज असफल नहीं होती |
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