अब बात करते हैं asia या भारत में इस्लाम कैसे आया
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इस्लाम की शुरुआत होने से पहले सिंध में
Rai dynasty (c. 489–632 CE) हुआ करती थी
Rai dynasty बुद्धिज्म और शिवा हिंदुजा दोनों की follower थे , Rai dynasty
द्वारा बनाया गया शिव मंदिर आज भी Sukkur , Pakistan में आज भी मौजूद है |
फिर Raja rasil इसके उत्तराधिकारी बने और मोहम्मद के मरने के बाद
कि तीसरे खलीफा Umar ने iran में कन्वर्ट हुए बहुत से मुस्लिम राजा के
साथ मिलकर सिंध पर आक्रमण किया
इस युद्ध को battle of rasil (644-645) के नाम से जाना जाता है
umar के बाद uthman खलीफा ने भी सिंध पर आक्रमण किया लेकिन
वह बढ़त बनाने में असफल रहा |
राजा राशि बीमारी के कारण उनकी मृत्यु हो गई उसके बाद |
Maharaja Chandar (671 – 679) सिंध के शासक थे
और इन्होंने हुसैन की मदद के लिए अपनी सेना भेजी थी ummayad caliphate
खलीफा के खिलाफ
महाराजा chach सिंध के राजा थे
तब sindh की राजधानी Alore हुआ करती थी
उनकी मृत्यु के बाद Maharaja Chandar वहां के शासक बने और
उनका शासन (671 - 679 ) तक रहा
Maharaja Chandar ने ही hussain ali को बचाने के लिए , karbla
मैं अपनी सेना भेजी थी Umayyads के खलीफा के विरुद्ध
इसलिए इन्हें हुसैन ब्राह्मण कहा जाता है |
उसके बाद राजा दाहिर Sindh के राजा बने
Jodha of Sindh जिन्हें मुस्लिम्स (Jayda al-Sindhi) के नाम से पुकारते
हैं वह राजा Dahir की बेटी थी और उसकी शादी अली के बेटे हुसैन से हुई थी |
जोधा और हुसैन का बेटा. Zayd ibn Ali था
Ali के मरने के बाद Zayd ibn Ali ने सिंध में शरण ली थी इसलिए उन्हें
Ziyad Hindi कहा जाता है |
और वह कर्बला में Umayyads के खलीफा से युद्ध मैं लड़ते हुए मारा गया था |
Zayd ibn Ali. का ही भाई Muhammad al-Baqir आगे चलकर सिया मुसलमानों
का प्रमुख 12 इमामो से एक इमाम बना |
इसी कारण वर्ष राजा दाहिर और Umayyads कि खलीफा के बीच - युद्ध होते रहे
, और वह कई बार पराजित हुए
Umayyads कि खलीफा के दो जनरल का राजा दाहिर से पराजित हो चुके थे
लेकिन Umayyads कि खलीफा का सबसे पहला सक्सेसफुल आक्रमण तब
हुआ जब उन्होंने अपने जनरल मोहम्मद बिन कासिम को सिंध पर आक्रमण
करने के लिए भेजा |
मोहम्मद बिन कासिम को पहले से ही सिंधी की राजनीतिक परिस्थितियों का
अंदाजा था इसलिए उसने राजा दाहिर की विरोधी गुटों को अपने साथ मिला लिया था |
711 मैं Muhammad bin Qasim और राजा दाहिर के बीच युद्ध हुआ जिसमें
Muhammad bin Qasim की जीत हुई और उसने Sindh और Multan को
अपने कब्जे में ले लिया
Muhammad bin Qasim के समय भारी मात्रा में हिंदू और बुद्ध के ऊपर jijya
टैक्स लगाकर इस्लाम कबूल करवाया गया तथा राजा दाहिर की सैनिकों को मार
दिया गया
और और औरतों को अपनी गुलाम बनाकर अपने जनरल al-Hajjaj
के पास भेजा गया
Raja Dahir’s के बेटे, prince Jaisiah and और राजा दाहिर की पत्नी
queen Rani Bai ने सरेंडर करने के बजाए उनसे युद्ध करने का निर्णय किया
और अपनी बची हुई टेरिटरी जिसमें Roar और Brahmanabad सामिल था ,
उसे बचाने की रणनीति बनाई
Raja Dahir’s minister, Wazir Siyakar ने Jaisiah को Brahmanabad
की रक्षा के लिए वहां जाने को कहा
जब Jaisiah , Brahmanabad मे थे , तभी Muhammad bin Qasim ने Roar
के किले पर हमला बोल दिया , लेकिन रानी भाई और उनकी छोटी सी टुकड़ी ने
उनका जमकर सामना किया , पराजित होने के बाद रानी बाई ने और किले में मौजूद
अन्य महिलाओं ने जोहर कर लिया |
उसके बाद Muhammad bin Qasim , Brahmanabad की तरफ गया , Jaisiah
, ने कासिम को रेड नीति बनाकर आगे बढ़ने नहीं दिया और राजा दाहिर की
दूसरी पत्नी Queen Ladi Bai, ने अपना खजाना सेनाओं में बांटना शुरू कर
दिया ताकि उनको प्रसारण मिलता रहे
मोहम्मद बिन कासिम असफल होने के कारण frustate हो गया था ,
और 6 महीने तक वह 1 इंच भी आगे नहीं बढ़ पा रहा था, तो उसने Jaisiah
कि सैनिकों को लालच देना शुरू कर दिया
इसी लालच में Wazir Siyakar , और कुछ मुख्य सिपाही मोहम्मद बिन कासिम
की तरफ हो गया और किले की रणनीति को कासिम को बता दिया
जिससे मोहम्मद बिन कासिम किले में कब्जा करने में कामयाब हो गया , और
यह पिछले 70 सालों कि निरंतर arabs द्वारा आक्रमण करने के बाद पहली
सफलता थी | लेकिन प्रिंस Jaisah वहां से चले गए
जब Qasim के जनरल al-Hajjaj की मृत्यु 714 मैं हो गई , उसी समय
ummayad के खलीफा al-Walid I की भी मृत्यु हो गई और उसके बाद खलीफा
बने - उनके भाई Sulayman |
Sulayman ने उन generals के खिलाफ बदला लेने के लिए रणनीति बनाई
जो al-Hajjaj के करीब थे
और उसने yazid को जनरल बनाया सिंध का - जिसे जनरल al-Hajjaj ने कैद
करवाया था
yazid , sindh का जनरल बनते ही , मोहम्मद बिन कासिम को जंजीरों से
बांधकर iraq भेजा और मरवा दिया |
बाद में प्रिंस jaishah ने , फिर से अपनी सेना एकत्रित की और और अरबों के
खिलाफ युद्ध करके Brahmanabad को अपने नियंत्रण कर लिया
और वहां बड़े पैमाने में conversion को रोका
लेकिन बाद में , कासिम के बेटे , Junaid Ibn
सिंध के जनरल बने , और उन्होंने
jaishah को हराकर Brahmanabad पर फिर कब्जा कर लिया |
इस युद्ध में jaishah की मृत्यु हो गई |
फिर इसके बाद Junaid Ibn ने खलीफा के इशारे पर
भारत के कई राज्यों में आक्रमण करना शुरू कर दिया
जिसमें सबसे पहले था , kangra valley जिसे आज हिमाचल प्रदेश कहते हैं
इसके बाद उसका दूसरा सबसे बड़ा आक्रमण था राजस्थान के जिले जैसलमेर जोधपुर आदि तथा गुजरात
और तीसरा था अवंती जिसे आज मध्य प्रदेश कहते हैं जिसकी राजधानी थी उज्जैन
पर वह तीनों ही जगह पर सफल नहीं हो पाए
इसका पहला कारण था जब हिमाचल प्रदेश और पंजाब में किसी ने मुस्लिम शासक ने बढ़त बनाने की कोशिश की तो वहा Lalitaditya, the emperor of Kashmir,(724 CE–760 CE) राजा ने उन्हें हरा दिया और उन्हें मुल्तान तक ढकेल दिया
ललितादित्य 12th-century कि सबसे बहादुर राजा थे
वह Karkota dynasty के राजा थे
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और यह राज्य अफगानिस्तान , कश्मीर , से लेकर बंगाल तथा उड़ीसा के कुछ क्षेत्रों तक फैला था
राजा Dahir ने ललितादित्य से पत्र लिखकर मदद भी मांगी थी , हालांकि मदद पहुंचने से पहले ही राजा दाहिर की मृत्यु हो गई थी
ललितादित्य के अफगानिस्तान के कब्जे के बाद अरब के लोग मुल्तान से आगे नहीं बढ़ पा रहे थे , जबकि वहीं अरब के लोग बहुत ही तेजी से अफ्रीका , यूरोप आदि मैं बढ़ते जा रहे थे |
Ummayad खलीफा जब तक रहा , तब तक वह मुल्तान से आगे नहीं
बढ़ता है |
विक्रमादित्य -2 ने ललितादित्य को कहा था कि वह वह राजा है जो अपराजय राजा को भी पराजय करते हैं
ललितादित्य वापस कश्मीर आ गए जब तिब्बती शासक
Me Agtsom ने 747 मैं कश्मीर पर हमला कर दिया तब इसके विरोध में ललितादित्य ने उसे हराया तथा चीन का वह हिस्सा जिसे आज uighur कहते हैं
तथा तुर्किस्तान को अपने कब्जे में ले लिया |
इस पूरे क्षेत्र को the Hindukush-Pamir reigon कहा जाता है
ललिता दत्त ने अपने राज्य में कई मंदिरों तथा बुद्धिस्ट vihara और Stupa को बनवाया जिनमें प्रमुख थे
Ushkur (budhist sites) , kashmir ,
wagnath temple ( shiva shrines)
वही राजस्थान से Bappa Rawal जो कि एक राजपूत राजा थे , वह मेवाड़ के राजा थे
मेवाड़ में आज udaipur , chittorgarh , bhilwara आदि आता है
उन्होंने Junaid Ibn की आर्मी को राजस्थान आदि में पराजित किया और उनकी पीढ़ियां भी करती रही
वही Nagabhatt -1 जोकि अवंतीपुर जिसे आज मध्य प्रदेश कहते हैं - और राजधानी थी उज्जैन
उसके राजा थे |
जब Junaid Ibn की सेना उज्जैन की तरफ बड़ी तब Nagabhatt ने उन्हें बहुत बुरी तरह से पराजित कर दिया -
उसके बाद कई 100 वर्षों तक Arabs की सेना ने अवंतीपुर में हमला नहीं किया |
Nagabhatt ने गुजरात से भी Junaid Ibn की सेना को खदेड़ दिया
वहीं चित्तौड़ में मौर्य का शासन था और उन्होंने भी arabs की सेना को वहां से धकेल दिया था |
और Junaid Ibn को governor पद से हटा दिया गया
करीब 300 वर्षों तक अरब कभी भी - भारत की तरफ आक्रमण करने की नहीं सोची
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