Women exploitation - beginning hidden history
यौन अपराध" इस्लाम
इतिहास के अनुसार "यौन अपराध" इस्लाम की देन है !
यदि टाईम हो तो पढे अन्यथा खिसक ले !
अद्भूत लेख ~बलात्कार का आरंभ~
मुझे पता है 90 % बिना पढ़े ही निकल लेंगे
आखिर भारत जैसे देवियों को पूजने वाले देश
में बलात्कार की गन्दी मानसिकता कहाँ से आयी ~~
आखिर क्या बात है कि जब प्राचीन भारत के रामायण
, महाभारत आदि लगभग सभी हिन्दू-ग्रंथ के उल्लेखों
में अनेकों लड़ाईयाँ लड़ी और जीती गयीं, परन्तु
विजेता सेना द्वारा किसी भी स्त्री का बलात्कार
होने का जिक्र नहीं है।
तब आखिर ऐसा क्या हो गया ?? कि आज के
आधुनिक भारत में बलात्कार रोज की सामान्य
बात बन कर रह गयी है ??
~श्री राम ने लंका पर विजय प्राप्त की पर न ही
उन्होंने और न उनकी सेना ने पराजित लंका की
स्त्रियों को हाथ लगाया ।
~महाभारत में पांडवों की जीत हुयी लाखों की संख्या
में योद्धा मारे गए। पर किसी भी पांडव सैनिक ने किसी
भी कौरव सेना की विधवा स्त्रियों को हाथ तक न लगाया ।
अब आते हैं ईसापूर्व इतिहास में~
220-175 ईसापूर्व में यूनान के शासक "डेमेट्रियस
प्रथम" ने भारत पर आक्रमण किया। 183 ईसापूर्व
के लगभग उसने पंजाब को जीतकर साकल को अपनी
राजधानी बनाया और पंजाब सहित सिन्ध पर भी राज
किया। लेकिन उसके पूरे समयकाल में बलात्कार का
कोई जिक्र नहीं।
~इसके बाद "युक्रेटीदस" भी भारत की ओर बढ़ा और
कुछ भागों को जीतकर उसने "तक्षशिला" को अपनी
राजधानी बनाया। बलात्कार का कोई जिक्र नहीं।
~"डेमेट्रियस" के वंश के मीनेंडर (ईपू 160-120) ने नौवें
बौद्ध शासक "वृहद्रथ" को पराजित कर सिन्धु के पार
पंजाब और स्वात घाटी से लेकर मथुरा तक राज किया
परन्तु उसके शासनकाल में भी बलात्कार का
कोई उल्लेख नहीं मिलता।
~"सिकंदर" ने भारत पर लगभग 326-327 ई
.पू आक्रमण किया जिसमें हजारों सैनिक मारे गए ।
इसमें युद्ध जीतने के बाद भी राजा "पुरु" की बहादुरी
से प्रभावित होकर सिकंदर ने जीता हुआ राज्य पुरु
को वापस दे दिया और "बेबिलोन" वापस चला गया ।
विजेता होने के बाद भी "यूनानियों" (यवनों) की सेनाओं
ने किसी भी भारतीय महिला के साथ बलात्कार नहीं
किया और न ही "धर्म परिवर्तन" करवाया ।
~इसके बाद "शकों" ने भारत पर आक्रमण किया
(जिन्होंने ई.78 से शक संवत शुरू किया था)।
"सिन्ध" नदी के तट पर स्थित "मीननगर"
को उन्होंने अपनी राजधानी बनाकर गुजरात
क्षेत्र के सौराष्ट्र , अवंतिका, उज्जयिनी,गंधार
,सिन्ध,मथुरा समेत महाराष्ट्र के बहुत बड़े भू
भाग पर 130 ईस्वी से 188 ईस्वी तक शासन
किया। परन्तु इनके राज्य में भी बलात्कार
का कोई उल्लेख नहीं।
~इसके बाद तिब्बत के "युइशि" (यूची) कबीले की
लड़ाकू प्रजाति "कुषाणों" ने "काबुल" और "कंधार"
पर अपना अधिकार कायम कर लिया। जिसमें
"कनिष्क प्रथम" (127-140ई.) नाम का सबसे
शक्तिशाली सम्राट हुआ।जिसका राज्य "कश्मीर
से उत्तरी सिन्ध" तथा "पेशावर से सारनाथ" के
आगे तक फैला था। कुषाणों ने भी भारत पर लम्बे
समय तक विभिन्न क्षेत्रों में शासन किया। परन्तु
इतिहास में कहीं नहीं लिखा कि इन्होंने भारतीय स्त्रियों
का बलात्कार किया हो ।
~इसके बाद "अफगानिस्तान" से होते हुए भारत
तक आये "हूणों" ने 520 AD के समयकाल में भारत
पर अधिसंख्य बड़े आक्रमण किए और यहाँ पर राज
भी किया। ये क्रूर तो थे परन्तु बलात्कारी होने का
कलंक इन पर भी नहीं लगा।
~इन सबके अलावा भारतीय इतिहास के हजारों
साल के इतिहास में और भी कई आक्रमणकारी आये
जिन्होंने भारत में बहुत मार काट मचाई जैसे "नेपालवंशी"
"शक्य" आदि। पर बलात्कार शब्द भारत में तब तक
शायद ही किसी को पता था।
अब आते हैं मध्यकालीन भारत में~
जहाँ से शुरू होता है इस्लामी आक्रमण~
और यहीं से शुरू होता है भारत में बलात्कार का प्रचलन!
~सबसे पहले 711 ईस्वी में "मुहम्मद बिन कासिम"
ने सिंध पर हमला करके राजा "दाहिर" को हराने के
बाद उसकी दोनों "बेटियों" को "यौनदासियों" के
रूप में "खलीफा" को तोहफा भेज दिया।
तब शायद भारत की स्त्रियों का पहली बार
बलात्कार जैसे कुकर्म से सामना हुआ जिसमें
"हारे हुए राजा की बेटियों" और "साधारण भारतीय
स्त्रियों" का "जीती हुयी इस्लामी सेना" द्वारा बुरी
तरह से बलात्कार और अपहरण किया गया ।
~फिर आया 1001 इस्वी में "गजनवी"।
इसके बारे में ये कहा जाता है कि इसने
"इस्लाम को फ़ैलाने" के उद्देश्य से ही आक्रमण
किया था।
"सोमनाथ के मंदिर" को तोड़ने के बाद इसकी
सेना ने हजारों "काफिर औरतों" का बलात्कार किया
फिर उनको अफगानिस्तान ले जाकर "बाजारों में
बोलियाँ" लगाकर "जानवरों" की तरह "बेच" दिया ।
~फिर "गौरी" ने 1192 में "पृथ्वीराज चौहान" को
हराने के बाद भारत में "इस्लाम का प्रकाश" फैलाने
के लिए "हजारों काफिरों" को मौत के घाट उतर दिया
और उसकी "फौज" ने "अनगिनत हिन्दू स्त्रियों" के साथ
बलात्कार कर उनका "धर्म-परिवर्तन" करवाया।
~ये विदेशी मुस्लिम अपने साथ औरतों को
लेकर नहीं आए थे।
~मुहम्मद बिन कासिम से लेकर सुबुक्तगीन, बख्तियार
खिलजी, जूना खाँ उर्फ अलाउद्दीन खिलजी, फिरोजशाह,
तैमूरलंग, आरामशाह, इल्तुतमिश, रुकुनुद्दीन फिरोजशाह,
मुइजुद्दीन बहरामशाह, अलाउद्दीन मसूद, नसीरुद्दीन महमूद,
गयासुद्दीन बलबन, जलालुद्दीन खिलजी, शिहाबुद्दीन उमर
खिलजी, कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी, नसरत शाह तुगलक,
महमूद तुगलक, खिज्र खां, मुबारक शाह, मुहम्मद शाह,
अलाउद्दीन आलम शाह, बहलोल लोदी, सिकंदर शाह
लोदी, बाबर, नूरुद्दीन सलीम जहांगीर,
~अपने हरम में "8000 रखैलें रखने वाला शाहजहाँ"।
~ इसके आगे अपने ही दरबारियों और कमजोर
मुसलमानों की औरतों से अय्याशी करने के लिए
"मीना बाजार" लगवाने वाला "जलालुद्दीन
मुहम्मद अकबर"।
~मुहीउद्दीन मुहम्मद से लेकर औरंगजेब तक
बलात्कारियों की ये सूची बहुत लम्बी है।
जिनकी फौजों ने हारे हुए राज्य की लाखों
"काफिर महिलाओं" "(माल-ए-गनीमत)"
का बेरहमी से बलात्कार किया और "जेहाद के इनाम"
के तौर पर कभी वस्तुओं की तरह "सिपहसालारों" में
बांटा तो कभी बाजारों में "जानवरों की तरह
उनकी कीमत लगायी" गई।
~ये असहाय और बेबस महिलाएं "हरमों" से लेकर
"वेश्यालयों" तक में पहुँची। इनकी संतानें भी हुईं
पर वो अपने मूलधर्म में कभी वापस नहीं पहुँच पायीं।
~एकबार फिर से बता दूँ कि मुस्लिम
"आक्रमणकारी" अपने साथ "औरतों" को
लेकर नहीं आए थे।
~वास्तव में मध्यकालीन भारत में मुगलों द्वारा
"पराजित काफिर स्त्रियों का बलात्कार" करना
एक आम बात थी क्योंकि वो इसे "अपनी जीत
" या "जिहाद का इनाम" (माल-ए-गनीमत) मानते थे।
~केवल यही नहीं इन सुल्तानों द्वारा किये
अत्याचारों और असंख्य बलात्कारों के बारे
में आज के किसी इतिहासकार ने नहीं लिखा।
~बल्कि खुद इन्हीं सुल्तानों के साथ रहने वाले
लेखकों ने बड़े ही शान से अपनी कलम चलायीं
और बड़े घमण्ड से अपने मालिकों द्वारा
काफिरों को सबक सिखाने का विस्तृत वर्णन किया।
~गूगल के कुछ लिंक्स पर क्लिक करके हिन्दुओं
और हिन्दू महिलाओं पर हुए "दिल दहला" देने वाले
अत्याचारों के बारे में विस्तार से जान पाएँगे।
वो भी पूरे सबूतों के साथ।
~इनके सैकड़ों वर्षों के खूनी शासनकाल में भारत
की हिन्दू जनता अपनी महिलाओं का सम्मान
बचाने के लिए देश के एक कोने से दूसरे कोने
तक भागती और बसती रहीं।
~इन मुस्लिम बलात्कारियों से सम्मान-रक्षा
के लिए हजारों की संख्या में हिन्दू महिलाओं
ने स्वयं को जौहर की ज्वाला में जलाकर भस्म कर लिया।
~ठीक इसी काल में कभी स्वच्छंद विचरण करने
वाली भारतवर्ष की हिन्दू महिलाओं को भी
मुस्लिम सैनिकों की दृष्टि से बचाने के
लिए पर्दा-प्रथा की शुरूआत हुई।
~महिलाओं पर अत्याचार और बलात्कार का इतना
घिनौना स्वरूप तो 17वीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर
1947 तक अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी के
शासनकाल में भी नहीं दिखीं। अंग्रेजों ने भारत
को बहुत लूटा परन्तु बलात्कारियों में वे नहीं गिने जाते।
~1946 में मुहम्मद अली जिन्ना के डायरेक्टर
एक्शन प्लान, 1947 विभाजन के दंगों से लेकर
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम तक
फिरउनका अपहरण हो गया। फिर वो कभी नहीं मिलीं।
~इस दौरान स्थिती ऐसी हो गयी थी कि "पाकिस्तान
समर्थित मुस्लिम बहुल इलाकों" से "बलात्कार"
किये बिना एक भी "काफिर स्त्री" वहां से वापस
नहीं आ सकती थी।
~जो स्त्रियाँ वहां से जिन्दा वापस आ भी
गयीं वो अपनी जांच करवाने से डरती थी।
~जब डॉक्टर पूछते क्यों तब ज्यादातर महिलाओं का
एक ही जवाब होता था कि "हमपर कितने लोगों ने
बलात्कार किये हैं ये हमें भी पता नहीं"।
~विभाजन के समय पाकिस्तान के कई स्थानों
में सड़कों पर काफिर स्त्रियों की "नग्न यात्राएं (धिंड) "
निकाली गयीं, "बाज़ार सजाकर उनकी बोलियाँ लगायी गयीं"
~और 10 लाख से ज्यादा की संख्या में उनको
दासियों की तरह खरीदा बेचा गया।
~20 लाख से ज्यादा महिलाओं को जबरन मुस्लिम
बना कर अपने घरों में रखा गया।
(देखें फिल्म "पिंजर" और पढ़ें पूरा सच्चा
इतिहास गूगल पर)।
~इस विभाजन के दौर में हिन्दुओं को मारने वाले
सबके सब विदेशी नहीं थे। इन्हें मारने
वाले स्थानीय मुस्लिम भी थे।
~वे समूहों में कत्ल से पहले हिन्दुओं के अंग-भंग करना
, आंखें निकालना, नाखुन खींचना, बाल नोचना,
जिंदा जलाना चमड़ी खींचना खासकर महिलाओं का
बलात्कार करने के बाद उनके "स्तनों को काटकर"
तड़पा-तड़पा कर मारना आम बात थी।
अंत में कश्मीर की बात~
~19 जनवरी 1990~
~सारे कश्मीरी पंडितों के घर के दरवाजों पर नोट
लगा दिया जिसमें लिखा था~ "या तो मुस्लिम
बन जाओ या मरने के लिए तैयार हो जाओ या
फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ लेकिन अपनी
औरतों को यहीं छोड़कर "।
~लखनऊ में विस्थापित जीवन जी रहे कश्मीरी
पण्डित संजय बहादुर उस मंजर को याद
करते हुए आज भी सिहर जाते हैं।
~वह कहते हैं कि "मस्जिदों के लाउडस्पीकर"
लगातार तीन दिन तक यही आवाज दे रहे थे
कि यहां क्या चलेगा, "निजाम-ए-मुस्तफा", 'आजादी
का मतलब क्या "ला इलाहा इलल्लाह",
'कश्मीर में अगर रहना है, "अल्लाह-ओ-अकबर"
कहना है।
~और 'असि गच्ची पाकिस्तान, बताओ
"रोअस ते बतानेव सान" जिसका मतलब था
कि हमें यहां अपना पाकिस्तान बनाना है,
कश्मीरी पंडितों के बिना मगर कश्मीरी
पंडित महिलाओं के साथ।
~सदियों का भाईचारा कुछ ही समय में समाप्त
हो गया जहाँ पंडितों से ही तालीम हासिल किए
लोग उनकी ही महिलाओं की अस्मत लूटने को
तैयार हो गए थे।
~सारे कश्मीर की मस्जिदों में एक टेप चलाया गया।
जिसमें मुस्लिमों को कहा गया की वो हिन्दुओं को
कश्मीर से निकाल बाहर करें। उसके बाद कश्मीरी
मुस्लिम सड़कों पर उतर आये।
~उन्होंने कश्मीरी पंडितों के घरों को जला दिया,
कश्मीर पंडित महिलाओ का बलात्कार करके
, फिर उनकी हत्या करके उनके "नग्न शरीर ‘
को पेड़ पर लटका दिया गया"।
~कुछ महिलाओं को बलात्कार कर जिन्दा
जला दिया गया और बाकियों को लोहे के
गरम सलाखों से मार दिया गया।
~कश्मीरी पंडित नर्स जो श्रीनगर के सौर मेडिकल
कॉलेज अस्पताल में काम करती थी, का सामूहिक
बलात्कार किया गया और मार मार कर उसकी हत्या
कर दी गयी।
~बच्चों को उनकी माँओं के सामने स्टील के तार
से गला घोंटकर मार दिया गया।
~कश्मीरी काफिर महिलाएँ पहाड़ों की गहरी घाटियों
और भागने का रास्ता न मिलने पर ऊंचे मकानों
की छतों से कूद कूद कर जान देने लगी।
~लेखक राहुल पंडिता उस समय 14 वर्ष के थे।
बाहर माहौल ख़राब था। मस्जिदों से उनके
ख़िलाफ़ नारे लग रहे थे। पीढ़ियों से उनके
भाईचारे से रह रहे पड़ोसी ही कह रहे थे, 'मुसलमान
बनकर आज़ादी की लड़ाई में शामिल हो या वादी छोड़कर भागो'।
~राहुल पंडिता के परिवार ने तीन महीने इस उम्मीद
में काटे कि शायद माहौल सुधर जाए। राहुल आगे कहते हैं
, "कुछ लड़के जिनके साथ हम बचपन से क्रिकेट खेला
करते थे वही हमारे घर के बाहर पंडितों के ख़ाली घरों को
आपस में बांटने की बातें कर रहे थे और हमारी लड़कियों के
बारे में गंदी बातें कह रहे थे। ये बातें मेरे ज़हन में अब भी ताज़ा हैं।
~1989 में कश्मीर में जिहाद के लिए गठित
जमात-ए-इस्लामी संगठन का नारा था-
'हम सब एक, तुम भागो या मरो'।
~घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में
सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण
किए गए। हालात और बदतर हो गए थे।
~कुल मिलाकर हजारों की संख्या में काफिर
महिलाओं का बलात्कार किया गया।
~आज आप जिस तरह दाँत निकालकर धरती
के जन्नत कश्मीर घूमकर मजे लेने जाते हैं
और वहाँ के लोगों को रोजगार देने जाते हैं।
उसी कश्मीर की हसीन वादियों में आज भी
सैकड़ों कश्मीरी हिन्दू बेटियों की बेबस कराहें
गूंजती हैं, जिन्हें केवल काफिर होने की सजा
मिली।
~घर, बाजार, हाट, मैदान से लेकर उन खूबसूरत
वादियों में न जाने कितनी जुल्मों की दास्तानें दफन हैं
जो आज तक अनकही हैं। घाटी के खाली, जले मकान
यह चीख-चीख के बताते हैं कि रातों-रात दुनिया जल
जाने का मतलब कोई हमसे पूछे। झेलम का बहता हुआ
पानी उन रातों की वहशियत के गवाह हैं जिसने कभी न
खत्म होने वाले दाग इंसानियत के दिल पर दिए।
~लखनऊ में विस्थापित जीवन जी रहे कश्मीरी पंडित
रविन्द्र कोत्रू के चेहरे पर अविश्वास की सैकड़ों लकीरें पीड़ा
की शक्ल में उभरती हुईं बयान करती हैं कि यदि आतंक के
उन दिनों में घाटी की मुस्लिम आबादी ने उनका साथ दिया
होता जब उन्हें वहां से खदेड़ा जा रहा था, उनके साथ कत्लेआम
हो रहा था तो किसी भी आतंकवादी में ये हिम्मत नहीं होती कि
वह किसी कश्मीरी पंडित को चोट पहुंचाने की सोच पाता लेकिन
तब उन्होंने हमारा साथ देने के बजाय कट्टरपंथियों के सामने घुटने
टेक दिए थे या उनके ही लश्कर में शामिल हो गए थे।
~अभी हाल में ही आपलोगों ने टीवी पर "अबू बकर अल बगदादी" के
जेहादियों को काफिर "यजीदी महिलाओं" को रस्सियों से बाँधकर
कौड़ियों के भाव बेचते देखा होगा।
~पाकिस्तान में खुलेआम हिन्दू लड़कियों का अपहरण कर
सार्वजनिक रूप से मौलवियों की टीम द्वारा धर्मपरिवर्तन कर
निकाह कराते देखा होगा।
~बांग्लादेश से भारत भागकर आये हिन्दुओं के मुँह से महिलाओं के
बलात्कार की हजारों मार्मिक घटनाएँ सुनी होंगी।
~यहाँ तक कि म्यांमार में भी एक काफिर बौद्ध महिला के बलात्कार
और हत्या के बाद शुरू हुई हिंसा के भीषण दौर को देखा होगा।
~केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ में इस सोच ने मोरक्को से
ले कर हिन्दुस्तान तक सभी देशों पर आक्रमण कर वहाँ के
निवासियों को धर्मान्तरित किया, संपत्तियों को लूटा तथा
इन देशों में पहले से फल फूल रही हजारों वर्ष पुरानी सभ्यता
का विनाश कर दिया।
~परन्तु पूरी दुनियाँ में इसकी सबसे ज्यादा सजा महिलाओं को
ही भुगतनी पड़ी.बलात्कार के रूप में ।
~आज सैकड़ों साल की गुलामी के बाद समय बीतने के साथ
धीरे-धीरे ये बलात्कार करने की मानसिक बीमारी भारत
के पुरुषों में भी फैलने लगी।
~जिस देश में कभी नारी जाति शासन करती थीं, सार्वजनिक
रूप से शास्त्रार्थ करती थीं, स्वयंवर द्वारा स्वयं अपना वर
चुनती थीं, जिन्हें भारत में देवियों के रूप में श्रद्धा से पूजा
जाता था आज उसी देश में छोटी-छोटी बच्चियों तक का
बलात्कार होने लगा और आज इस मानसिक रोग का ये
भयानक रूप देखने को मिल रहा है!