Mughal History
Babar , Akbar , humayun , sher shah suri ,
maharana pratap , Mirajas ..
दोस्तों इस पाठ( lesson) में आपको मुगल साम्राज्य
का पूरा इतिहास जानेंगे
बाबर (Babar) मुगल वंश का संस्थापक था
बाबर का जन्म 1483 ईस्वी में फरगना घाटी
(Ferghana) में हुआ था
बाबर को भारत में आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के
शासक दौलत खान लोधी एवं मेवाड़ के शासक राणा सांगा
ने दिया था
इसके बाद पानीपत का प्रथम युद्ध 1526 ईस्वी में बाबर
और इब्राहिम लोदी के बीच लड़ा गया था
जिसमें इब्राहिम लोदी की पराजय हुई और बाबर खान की
जीत हुई थी
राणा सांगा बाबर को भारत से भगाना चाहता था क्योंकि
बाबर बाहरी था
इसके बाद 17 मार्च सन 1527 ईस्वी को खानवा का युद्ध
हुआ जिसमें बाबर ने राणा सांगा को पराजित कर दिया
और बाबर की जीत हुई
इस युद्ध में बाबर ने उत्तम रणनीति आधुनिक तरीके अपनाएं
बाबर से पराजित होने के बाद राणा सांगा मेदनी राय जो कि
मालवा का शासक था से मिलकर दोबारा युद्ध की तैयारी
करने लगा
जब यह बात बाबर को पता चली कि राणा सांगा मेदनी राय
से मिलकर दोबारा युद्ध की तैयारी कर रहा है तो बाबर
ने राणा सांगा को मेदनी राय से अलग करने के लिए
मेदनी राय पर चंदेरी में हमला बोल दिया
जिससे मेदनी राय को हार का सामना करना पड़ा
इसके बाद बाबर का युद्ध 1529 ईस्वी में घागरा
(Battle.of Ghagra) में हुआ जिसने मुगल साम्राज्य को
भारत में स्थापित होने में अहम भूमिका निभाई
इस युद्ध में बाबर ने भारत के सहयोगी दलों से मिलकर
उत्तरी अफगान के शासक सुल्तान महमूद लोदी और बंगाल
के शासक सुल्तान नुसरत शाह के खिलाफ लड़ा जिसमें में
बाबर की जीत हुई
1 साल शासन करने के बाद सन 1530 ईसवी में बाबर
की मृत्यु हो गई
1530 में बाबर की मृत्यु के बाद हुमायूं (Humayun)
उसके बाद मुगल साम्राज्य राज्यों जोकि भारत में कुछ प्रदेशों
में स्थापित थे उसका उत्तराधिकारी बना
1533 ईस्वी में हुमायूं ने दीन पनाह शहर की स्थापना दिल्ली
में की
1539 ईस्वी में हुमायूं और शेरशाह के बीच चौसा में युद्ध
( Battle of Chausa ) हुआ , जो कि गंगा नदी के किनारे
बक्सर के पास स्थित है ,
जिसमें शेर शाह सूरी की जीत हुई और हुमायूं पराजित होने
के बाद आगरा भाग गया
हुमायूं आगरा में पहुंचने के बाद अपने भाइयों के साथ
मिलकर 17 मई 1540 ईस्वी कन्नौज में हुमायूं और शेर शाह
सूरी का युद्ध हुआ
इस युद्ध में शेर शाह सूरी की जीत हुई तथा हुमायूं की हार
हुई ,
शेर शाह (Sher Shah Suri) इस युद्ध को जीतने के बाद
आगरा और दिल्ली में अपना अधिकार स्थापित कर लिया
और हुमायूं वहां से भाग गया |
शेर शाह सूरी की मृत्यु 1545 ईस्वी में हो गई और उसके
बाद सन 1554 ईस्वी में उसके बेटे इस्लाम शाह की भी
मृत्यु हो गई |
बाद सन 1554 ईस्वी में उसके बेटे इस्लाम शाह की भी
मृत्यु हो गई |
उसके बाद शेर शाह सूरी के दूसरे बेटे सिकंदर शाह सूरी ,
इब्राहिम शाह सूरी को हटाकर दिल्ली का शासक बन गया |
इब्राहिम शाह सूरी को हटाकर दिल्ली का शासक बन गया |
मुगल शासक हुमायूं ने दिल्ली को जीतने के लिए विशाल
सेना को संगठित किया उसके बाद हुमायूं ने 22 जून 1555
ईसवी में सिरहिंद में सिकंदर शाह सूरी को पराजित किया
उसी विजय के साथ हुमायूं ने फिर से भारत में
मुगल साम्राज्य स्थापित किया |
सेना को संगठित किया उसके बाद हुमायूं ने 22 जून 1555
ईसवी में सिरहिंद में सिकंदर शाह सूरी को पराजित किया
उसी विजय के साथ हुमायूं ने फिर से भारत में
मुगल साम्राज्य स्थापित किया |
1 जनवरी 1556 ईस्वी में दीन पनाह की सीढ़ियों से गिरकर
हुमायूं की मृत्यु हो गई ,
हुमायूं की मृत्यु हो गई ,
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शेर शाह सूरी ने सुर साम्राज्य की स्थापना उत्तरी भारत में की
और दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया शेर शाह सूरी ने
1540 ईस्वी में मुगल साम्राज्य को अपने शासन में ले लिया |
और दिल्ली को अपनी राजधानी बनाया शेर शाह सूरी ने
1540 ईस्वी में मुगल साम्राज्य को अपने शासन में ले लिया |
शेर शाह सूरी का जन्म बिहार के सासाराम स्थान में हुआ था |
शेर शाह सूरी का असली नाम फरीद खान था और उसको
शेर खान कहकर भी पुकारा जाता था |
शेर शाह सूरी का असली नाम फरीद खान था और उसको
शेर खान कहकर भी पुकारा जाता था |
शेर खान अपने घर से भागकर बाहर खान लोहिनी
(Bahar khan Lohani) जो कि बिहार बिहार का
मुगल शासक था उनके वहां पर काम करने लगा |
(Bahar khan Lohani) जो कि बिहार बिहार का
मुगल शासक था उनके वहां पर काम करने लगा |
एक बार एक शेर ने बाहर खान के ऊपर हमला कर
दिया शेर शाह सूरी ने उनको बचाया और शेर को
मार दिया | बाहर खान ने शेर शाह सूरी की बहादुरी
को देखकर उनका नाम शेर खान रख दिया |
दिया शेर शाह सूरी ने उनको बचाया और शेर को
मार दिया | बाहर खान ने शेर शाह सूरी की बहादुरी
को देखकर उनका नाम शेर खान रख दिया |
बाहर खान की मृत्यु के बाद शेर खान ने
1534 ईसवी में घियासुद्दीन की सेना को
सूरजगढ़ में हराकर उन्होंने बिहार में
अपना राज्य स्थापित किया |
1534 ईसवी में घियासुद्दीन की सेना को
सूरजगढ़ में हराकर उन्होंने बिहार में
अपना राज्य स्थापित किया |
फिर आगे सन 1538 ईस्वी में शेर खान ने
बंगाल में हमला करके घियासुद्दीन को
पराजित कर दिया
बंगाल में हमला करके घियासुद्दीन को
पराजित कर दिया
26 जून 1539 ईसवी में हुमायूं और शेर खान
के बीच चौसा में फिर से युद्ध हुआ जिसमें
शेर खान ने हुमायूं को पराजित कर दिया ,
उसके बाद हुमायूं को फिर से 1540 ईसवी
में कन्नौज के युद्ध में हराया और उसे
भारत छोड़ने पर मजबूर किया
के बीच चौसा में फिर से युद्ध हुआ जिसमें
शेर खान ने हुमायूं को पराजित कर दिया ,
उसके बाद हुमायूं को फिर से 1540 ईसवी
में कन्नौज के युद्ध में हराया और उसे
भारत छोड़ने पर मजबूर किया
शेर शाह सूरी ने अपने शासनकाल
1540 से 1545 ईसवी के बीच
अनेक कार्य किये |
1540 से 1545 ईसवी के बीच
अनेक कार्य किये |
शेर खान ने सर्वप्रथम रूपया को लागू
किया और डाक सेवा को सुधारा
किया और डाक सेवा को सुधारा
हुमायूं द्वारा दीन पनाह स्थापित शहर को
शेर खान ने उसे और आगे विकसित किया
और उसका नाम शेरघर रख दिया
और उसका नाम शेरघर रख दिया
शेर खान ने ऐतिहासिक शहर जैसे पाटलीपुत्र
जो कि नष्ट हो रहा था उसे पुनः स्थापित किया ,
आज वह ऐतिहासिक शहर पटना के नाम से
विख्यात है , शेर खान ने ग्रांड ट्रंक रोड को
और बढ़ाया और उसे चितगोंग बंगाल से
काबुल अफगानिस्तान तक जोड़ा |
जो कि नष्ट हो रहा था उसे पुनः स्थापित किया ,
आज वह ऐतिहासिक शहर पटना के नाम से
विख्यात है , शेर खान ने ग्रांड ट्रंक रोड को
और बढ़ाया और उसे चितगोंग बंगाल से
काबुल अफगानिस्तान तक जोड़ा |
शेर खान ने अपने शासनकाल में कई ऐतिहासिक
इमारतें बनाई जिनमें रोहतस किला का
निर्माण प्रसिद्ध है ,
इमारतें बनाई जिनमें रोहतस किला का
निर्माण प्रसिद्ध है ,
अब यह UNESCO के विश्व विरासत के
श्रेणी में शामिल है यह पाकिस्तान में है |
श्रेणी में शामिल है यह पाकिस्तान में है |
शेर शाह सूरी ने भैरा शहर का निर्माण 1545
में पाकिस्तान में किया और शहर के अंदर
प्रसिद्ध मस्जिद जिसका नाम
शेरशाह सूरी मस्जिद का निर्माण किया |
में पाकिस्तान में किया और शहर के अंदर
प्रसिद्ध मस्जिद जिसका नाम
शेरशाह सूरी मस्जिद का निर्माण किया |
शेर शाह सूरी की मृत्यु सन 22 मई 1545 ईसवी
में राजपूतों के कलिंजर के किले के पास युद्ध के
दौरान विस्फोटक के फटने से उनकी मृत्यु हो गई |
में राजपूतों के कलिंजर के किले के पास युद्ध के
दौरान विस्फोटक के फटने से उनकी मृत्यु हो गई |
उसके बाद सिकंदर शाह सूरी का शासन काल आया |
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अकबर खान (Akbar) बैरम खान की अगुवाई
में हुमायूं के बाद मुगल साम्राज्य का युवा शासक
बना
में हुमायूं के बाद मुगल साम्राज्य का युवा शासक
बना
अकबर ने अपने पूरे शासनकाल में मुगल साम्राज्य
को आकार और धन में 3 गुना बढ़ा दिया |
अकबर ने कई गुना बढ़ी और ताकतवर सेना का
निर्माण किया और उसने अनेक सामाजिक
और राजनीतिक परिवर्तन किये |
को आकार और धन में 3 गुना बढ़ा दिया |
अकबर ने कई गुना बढ़ी और ताकतवर सेना का
निर्माण किया और उसने अनेक सामाजिक
और राजनीतिक परिवर्तन किये |
बहुसांस्कृतिक साम्राज्य की स्थापना अकबर के
शासन में हुई |
शासन में हुई |
सन 1582 ईस्वी में अकबर ने दीन ए इलाही
को प्रारंभ किया जिसका मकसद अनेक धर्मों
से उचित उचित धारणाओं को सम्मिलित
करना था |
को प्रारंभ किया जिसका मकसद अनेक धर्मों
से उचित उचित धारणाओं को सम्मिलित
करना था |
चौसा और कन्नौज के युद्ध 1539 - 1540 ईस्वी के
दौरान शेर शाह सूरी से हारने के बाद हुमायूं सिंध
की ओर चला गया
दौरान शेर शाह सूरी से हारने के बाद हुमायूं सिंध
की ओर चला गया
वहां हुमायूं की मुलाकात हमीदा बानो बेगम से हुई
और बाद में दोनों का विवाह संपन्न हो गया |
और बाद में दोनों का विवाह संपन्न हो गया |
1 साल बाद 15 अक्टूबर 1542 ईसवी में
अकबर का जन्म हुआ , शेर शाह सूरी के बेटे
इस्लाम शाह को हराने के बाद हुमायूं ने
सन 1555 ईस्वी में दिल्ली में राज्य स्थापित
कर लिया |
अकबर का जन्म हुआ , शेर शाह सूरी के बेटे
इस्लाम शाह को हराने के बाद हुमायूं ने
सन 1555 ईस्वी में दिल्ली में राज्य स्थापित
कर लिया |
कुछ महीनों के बाद हुमायूं की मृत्यु हो गई
इसके बाद अकबर ने सन 1556 ईस्वी में
हुमायूं के शासन को (सिकंदर शाह से युद्ध के दौरान )
मुगल साम्राज्य की गद्दी को बचाने के लिए
अकबर नय शासन के अधिकारी बने |
हुमायूं के शासन को (सिकंदर शाह से युद्ध के दौरान )
मुगल साम्राज्य की गद्दी को बचाने के लिए
अकबर नय शासन के अधिकारी बने |
अकबर के पिता हुमायूं ने पहले से ही पंजाब ,
दिल्ली , आगरा में अपना राज्य स्थापित कर चुके थे |
दिल्ली , आगरा में अपना राज्य स्थापित कर चुके थे |
मुगल साम्राज्य का अभिन्न अंग होने के
बावजूद इन राज्यों में मुगलों की पूर्ण
तरह पकड़ नहीं थी |
बावजूद इन राज्यों में मुगलों की पूर्ण
तरह पकड़ नहीं थी |
हुमायूं की मृत्यु के बाद सुरो ने दिल्ली और
आगरा में अपना राज्य स्थापित कर लिया ,
हेमू जोकि सुरो के राज का एक शासक था
जो कि अपने आप को हिंदू शासक मानता था
और वह चाहता था कि मुगल भारत छोड़कर चले जाएं |
आगरा में अपना राज्य स्थापित कर लिया ,
हेमू जोकि सुरो के राज का एक शासक था
जो कि अपने आप को हिंदू शासक मानता था
और वह चाहता था कि मुगल भारत छोड़कर चले जाएं |
अकबर ने बैरम खान की सेना के नेतृत्व में
हेमू और सुरो को 5 नवंबर 1556 ईस्वी
के द्वितीय पानीपत (second battle of panipat )
के युद्ध में हराया
हेमू और सुरो को 5 नवंबर 1556 ईस्वी
के द्वितीय पानीपत (second battle of panipat )
के युद्ध में हराया
इस युद्ध के बाद मुगलों ने दिल्ली और आगरा
में पूर्ण तरह अपना राज्य स्थापित कर लिया
और कुछ महीनों के बाद ही अकबर की सेना ने
पंजाब में सिकंदर शाह सुरी को परास्त कर दिया |
में पूर्ण तरह अपना राज्य स्थापित कर लिया
और कुछ महीनों के बाद ही अकबर की सेना ने
पंजाब में सिकंदर शाह सुरी को परास्त कर दिया |
अकबर ने सन 1559 ईस्वी के पहले दक्षिण की
तरफ राजपूतों और मालवा की ओर देखना शुरू कर दिया |
तरफ राजपूतों और मालवा की ओर देखना शुरू कर दिया |
सन 1560 ईस्वी में अकबर की सेना ने मालवा और
अफगानी रूलर बाजबहादुर को सारंगपुर के युद्ध में
हरा दिया और इसके साथ ही मुगलों ने उत्तरी भारत
पर अपना शासन कायम कर लिया |
अफगानी रूलर बाजबहादुर को सारंगपुर के युद्ध में
हरा दिया और इसके साथ ही मुगलों ने उत्तरी भारत
पर अपना शासन कायम कर लिया |
इसके बाद अकबर का ध्यान राजपूतों पर शासन
करने की ओर गया |
करने की ओर गया |
1561 ईस्वी की शुरुआत में ही मुग़ल राजपूतों से
युद्ध और बातचीतो की शुरुआत हो चुकी थी |
ज्यादातर राजपूतों ने मुगलों का शासन स्वीकार
कर लिया , पर मेवाड़ के राजा उदय सिंह के बेटे
प्रताप सिंह ( महाराणा प्रताप) ने स्वीकार नहीं
किया और युद्ध चलता रहा |
युद्ध और बातचीतो की शुरुआत हो चुकी थी |
ज्यादातर राजपूतों ने मुगलों का शासन स्वीकार
कर लिया , पर मेवाड़ के राजा उदय सिंह के बेटे
प्रताप सिंह ( महाराणा प्रताप) ने स्वीकार नहीं
किया और युद्ध चलता रहा |
सन 1576 ईस्वी के हल्दीघाटी( battle of Haldighati )
के युद्ध में मुगलों ने प्रताप सिंह ( महाराणा प्रताप)
को हरा दिया अकबर ने राजपूतों पर पूरी तरह अपना
शासन बनाने की खुशी में फतेहपुर सीकरी का निर्माण
करवाया जिसे विजेताओं का शहर कहा जाता है ,
के युद्ध में मुगलों ने प्रताप सिंह ( महाराणा प्रताप)
को हरा दिया अकबर ने राजपूतों पर पूरी तरह अपना
शासन बनाने की खुशी में फतेहपुर सीकरी का निर्माण
करवाया जिसे विजेताओं का शहर कहा जाता है ,
[ कई कहानियां कहती हैं कि माना प्रताप सिंह
( महाराणा प्रताप) की विजय हुई थी, इस युद्ध के बाद ही राज्य में महाराणा प्रताप का सिक्का चलता रहा ] |
अकबर का ध्यान गुजरात और बंगाल में शासन
करने की और गया जो एशिया , अफ्रीका और
यूरोप के समुद्री रास्तों से व्यापार करने में मददगार थे ,
करने की और गया जो एशिया , अफ्रीका और
यूरोप के समुद्री रास्तों से व्यापार करने में मददगार थे ,
सन 1573 ईस्वी में मुगलों ने मिर्जाओं को
गुजरात से बाहर कर दिया मिर्जाओं को बाहर
करते ही उन्होंने गुजरात पर अपना शासन
स्थापित कर लिया
गुजरात से बाहर कर दिया मिर्जाओं को बाहर
करते ही उन्होंने गुजरात पर अपना शासन
स्थापित कर लिया
अकबर गुजरात में मुगल शासन स्थापित करने
के बाद फतेहपुर सीकरी वापस आया और उसने
इस जीत की खुशी में बुलंद दरवाजा की स्थापना की
के बाद फतेहपुर सीकरी वापस आया और उसने
इस जीत की खुशी में बुलंद दरवाजा की स्थापना की
अकबर अब उसके बाद अफगानी शासकों कों
हराते हुए बंगाल पहुंचा|
हराते हुए बंगाल पहुंचा|
बंगाल में सुलेमान खान कारानी जोकि
अफगानी शासक था जिसका परिवार
शेरशाह सूरी के शासन में पला बढ़ा था ,
वह अब बंगाल का शासक था
अफगानी शासक था जिसका परिवार
शेरशाह सूरी के शासन में पला बढ़ा था ,
वह अब बंगाल का शासक था
सन 1574 ईस्वी में मुगलों ने पटना में
दाऊद खान जोकि सुलेमान खान के वंश
का था उसको हराकर पटना में अपना
शासन कामयाब किया और दाऊद खान
को बंगाल की तरफ भाग गया |
दाऊद खान जोकि सुलेमान खान के वंश
का था उसको हराकर पटना में अपना
शासन कामयाब किया और दाऊद खान
को बंगाल की तरफ भाग गया |
सन 1575 ईस्वी में तुकारोई का युद्ध
(Battle of Tukaroi ).जीतने के बाद
मुगलों ने बंगाल और बिहार के कई प्रदेशों
में अपना राज्य स्थापित किया |
(Battle of Tukaroi ).जीतने के बाद
मुगलों ने बंगाल और बिहार के कई प्रदेशों
में अपना राज्य स्थापित किया |
दाऊद खान बाद में मुगलों के द्वारा
पकड़ा गया और मारा गया गुजरात और
बंगाल में अपना शासन स्थापित करने के
बाद अकबर ने काबुल में भी अपना शासन
स्थापित किया |
पकड़ा गया और मारा गया गुजरात और
बंगाल में अपना शासन स्थापित करने के
बाद अकबर ने काबुल में भी अपना शासन
स्थापित किया |
और बाबर के पुराने किलों को अपने अधिकार में
ले लिया अकबर अब सिंध की ओर देखने लगा |
ले लिया अकबर अब सिंध की ओर देखने लगा |
मुगलों की विशाल सेना ने सिंध की सेना
को सेहवान के युद्ध में हरा दिया
को सेहवान के युद्ध में हरा दिया
इस युद्ध की हार के बाद सिंध के शासक
जानी बेग ने सन 1591 ईस्वी में मुगलों के
शासन को स्वीकार कर लिया
जानी बेग ने सन 1591 ईस्वी में मुगलों के
शासन को स्वीकार कर लिया
अकबर ने अपने पूरे शासनकाल के दौरान
अनेक सोशल और सामाजिक परिवर्तन किए
अकबर ने अपने शासनकाल में मुगलों द्वारा
चलाए गए भू उत्पादक कानून कानून में
परिवर्तन किए |
अनेक सोशल और सामाजिक परिवर्तन किए
अकबर ने अपने शासनकाल में मुगलों द्वारा
चलाए गए भू उत्पादक कानून कानून में
परिवर्तन किए |
और शेरशाह सूरी द्वारा चलाए जा रहे
भू उत्पादक कानून को चलाया |
भू उत्पादक कानून को चलाया |
अकबर ने कई सारे इबादत खाने
सभी धर्मों के लिए और नास्तिको के
लिए खोलें
सभी धर्मों के लिए और नास्तिको के
लिए खोलें
अकबर ने दीन ए इलाही (Deen-i-ilahi)
को लागू किया ताकि सभी धर्मों की
अच्छी-अच्छी प्रथाओं को एकत्रित कर
सकें और एक नय धर्म की स्थापना कर सकें |
को लागू किया ताकि सभी धर्मों की
अच्छी-अच्छी प्रथाओं को एकत्रित कर
सकें और एक नय धर्म की स्थापना कर सकें |
अकबर ने अनेक हिंदू प्रथाओं का पालन किया
वह दिवाली मनाते थे और ब्राह्मण पुजारियों
को सोने और चांदी के आभूषणों को कलाइयों
में बांधने की अनुमति दे रखी थी जो कि एक
आशीर्वाद का प्रतीक था |
वह दिवाली मनाते थे और ब्राह्मण पुजारियों
को सोने और चांदी के आभूषणों को कलाइयों
में बांधने की अनुमति दे रखी थी जो कि एक
आशीर्वाद का प्रतीक था |
3 अक्टूबर 1605 ईस्वी में अकबर पेचिश रोग
के कारण बीमार पड़ गया और जिससे वह
कभी उभर नहीं पाया उसके बाद उनका देहांत हो गया |
के कारण बीमार पड़ गया और जिससे वह
कभी उभर नहीं पाया उसके बाद उनका देहांत हो गया |
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