Sunday 8 March 2020

बालविवाह , सतीप्रथा , छुआछूत - असली कारण child marriage , sati pradha , untouchability - real reason

बालविवाह ,  सतीप्रथा , छुआछूत - असली कारण
child marriage , sati pradha , untouchability - real reason


बालविवाह ,  सतीप्रथा ,ये कुरीतियां नही थी बल्कि हजार साल के इस्लामिक काल मे हिन्दुओ का लिया गया मजबूरी में निर्णय था

प्राचीन संदर्भ

इस प्रथा को इसका यह नाम देवी सती के नाम से मिला है जिन्हें दक्षायनी के नाम से भी जाना जाता है।


हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा अपने पति महादेव शिव के तिरस्कार से व्यथित हो यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया था। सती शब्द को अक्सर अकेले या फिर सावित्री शब्द के साथ जोड़कर किसी "पवित्र महिला" की व्याख्या करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

Sati System Real Reason
सती प्रथा के कारण

मुगल काल में सती प्रथा का एक यह भी कारण रहा था। आक्रमणकारियों द्वारा जब पुरुषों की हत्या कर दी जाती थी, उसके बाद उनकी पत्नियाँ अपनी अस्मिता व आत्मसम्मान को महत्वपूर्ण समझकर स्वयमेव अपने पति की चिता के साथ आत्मत्याग करने पर विवश हो जाती थी।

कालांतर में महिलाओं की इस स्वैच्छिक विवशता का अपभ्रंश होते-होते एक सामाजिक रीति जैसी बन गयी, जिसे सती प्रथा के नाम से जाना जाने लगा।

Child Marriage Real Reason
बाल विवाह का कारण


, इसी प्रकार मुगल आक्रमण से बच्चों को बचाने के लिए उनका बाल विवाह कर दिया जाता था क्योंकि अक्सर इस्लाम में कुंवारी कन्याओं के साथ दुष्कर्म  काम करने का चरण में था उनकी अश्वत्था इज्जत को बचाने के लिए उनको बाल विवाह  चरण में आया |

क्योंकि मोहम्मद जो निर्माता हैं उन्होंने 6 साल की बच्ची के साथ विवाह किया था , और इस्लाम में  उन्होंने कहा था कि जो गैर मुस्लिम लड़कियां हैं उन्हें तुम उठा सकते हो और उनके साथ दुष्कर्म कर सकते हो |


जैसा कि बच्चों को उठाना आसान होता है इससे बचने के लिए बच्चों का बाल विवाह प्रथा शुरू हो गई जिससे अपने बच्चों की अस्मिता को बचाने में कुछ हद तक कामयाबी हुए पर धीरे-धीरे यह प्रथा बनती गई और जो बाद में आकर समाप्त हुई |

Untouchabilty Real Reason
छुआछूत का कारण


हिंदू धर्म में अक्सर यह देखा गया है जो आज भी होता है कि जब भी कोई मांस मछली आदि का सेवन करता है या उसको काटता है तो लोग उस को छूते नहीं है  , यह वह यह सब कर मंदिर में प्रवेश नहीं करता या  पूजा पाठ नहीं करता और यह हमेशा से था पर यह स्थाई नहीं था यानी नहाने के बाद वगैरह लोग उसको छू सकते थे |
और यह हर एक वर्ग मैं था चाहे वह  ब्राह्मण हो या क्षत्रिय  आदि किसी भी वर्ग मे हो |


पर जैसे विदेशी शासकों ( मुगल और ब्रिटिश ) राज करना शुरू किया तो उन्होंने कुछ लोगों को स्थाई काम दे दिया और वह काम मांस , मांस का चमड़ा आदि से जुड़ा था |


धीरे धीरे उन्होंने उनको और भी गंदे काम देने शुरू कर दिया  , बस इसी कारण यह छुआछूत की प्रथा बढ़ती चली गई |

आपने अक्सर देखा होगा जैसे चौधरी वह कहीं पर ब्राह्मण है तो कहीं पर राजपूत तो कहीं पर कुछ कहीं पर दलित आदि जैसे जैसे राज्य बदलता है वैसे वैसे उनकी जाति धर्म बदल जाते हैं |

उसी प्रकार वर्मा - वह कहीं पर कुर्मी है तो कहीं पर ठाकुर तो कहीं पर दलित आदि हैं | राज बदलते हैं उसी हिसाब से इनका जाति भी बदल जाति है


आप यह देख सकते हैं यह ब्रिटिश काल में दलितों की हालत अंग्रेजों ने कर रखी थी



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