Tuesday, 26 January 2021

भाषा व भाषा के प्रकार हिंदी भाषा, उप भाषाएं, व उसकी बोलिए pdf hand written notes

 





भाषा - भाषा एक माध्यम है, जिसके द्वारा मनुष्य अपने मन के भावों तथा विचारों को प्रकट करता है|

अथवा मनुष्यों के द्वारा पढ़कर , लिखकर एवं सुनकर अपने मन के भावों एवं विचारों को प्रकट करना ही भाषा कहलाती है|


बोली - एक छोटे छेत्र विशेष में बोली जाने वाली भाषा ही बोली कहलाती है| इसमें साहित्य रचना नहीं होती है |


अथवा विभाषा (उपभाषा) - 

'उपभाषा' किसी भाषा के क्षेत्रीय प्रकारों को कहा जाता है,

और

अगर किसी बोली में साहित्य रचना होने लगती है| वहां पर बोली का भी विकास उपभाषा के रूप में हो जाता है|


लिपि - भाषा लिखने का तरीका ही लिपि कहलाती है| 


देवनागरी लिपि - हिंदी भाषा के लिखने के तरीके में जिस वर्णो का या अक्षरों का प्रयोग करते हैं| उसे ही देवनागरी लिपि कहते हैं | 

यह संसार की बेहतरीन लिपि है|


 [ संस्कृत पाली प्राकृत  अपभ्रंश हिंदी ]



यह लिपि बायी और से दायी ओर लिखी जाती है|


वर्तमान में बोली जाने वाली हिंदीसंस्कृत , फारसी , अरबी , तुर्की , उर्दू , अंग्रेजी , पुर्तगाली आदि शब्दों का मिश्रण है| 


हिंदी प्राकृत तथा अपभ्रंश के माध्यम से उत्पन्न सीधी (वंसज) भाषा है| अर्थात संस्कृत को हिंदी की जननी कहा जाता है|


अपनी पुस्तक भारतीय भाषा सर्वेक्षण में एक प्रशासनिक अंग्रेज अधिकारी जिनका नाम जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन था| इन्होंने हिंदी को उपभाषाओं और बोलियों में वर्गीकृत किया| सन 1927 में


हिंदी भाषा की पांच उप भाषाएं हैं|-



उपभाषा

    बोली

          केंद्र

पश्चिमी हिंदी

(शौरसेनी)

1.  खड़ी बोली

    दिल्ली, मेरठ

2.  ब्रजभाषा

    मथुरा आगरा

3.   कन्नौजी

    कन्नौज

4.   बुंदेली

  छतरपुर (MP + UP)

5.   बांगरू   (हरियाणवी)

  रोहतक (हरियाणा)


पूर्व हिंदी

(अर्धमागधी अपभ्रंश).

  1. अवधी

लखनऊ

  2. बघेली

रीवा (MP + UP)

  3. छत्तीसगढ़ी

रायपुर


बिहारी हिंदी

 (मागधी)

  1. भोजपुरी

(पूर्व उत्तर प्रदेश + बिहार)

  2. मगही

      गया

  3. मैथिली

      दरभंगा


पहाड़ी हिंदी

(खस शौरसेनी अपभ्रंश से)


1. कुल्लुई

कुल्लू , मनाली

2. गढ़वाली

टिहरी गढ़वाल (उत्तराखंड)

3. कुमाऊनी

अल्मोड़ा, नैनीताल (उत्तराखंड)


राजस्थानी हिंदी

1. जयपुरी

जयपुर

2. निमाड़ी

खण्डवा (MP)

3. मालवी

मालवा (उज्जैन)

4. भीली

राजस्थान (MP)





  



पश्चिमी हिंदी की बोली 

की प्रमुख विशेषताएं :-



     1

खड़ी बोली

कौरवी , नागरी , सरहिंदी

हिंदी

उद्भव

शौरसेनी

क्षेत्र

देहरादून का    

   मैदानी भाग , 

सहारनपुर , 

    मेरठ ,

मुजफ्फरनगर , दिल्ली का कुछ भाग 

बिजनौर ,

रामपुर ,

मुरादाबाद 

विशेषताएं

1. हिंदी कि ऐ , औ की जगह ए , ओ हो जाता है| और को ओर तथा है का हे हो जाता है|


2. हिंदी में न , ण में हो जाता है| सुनना सुणणा 


3. हिंदी में ड़ ढ़ का ड ढ हो जाता है|  


  बड़ा  → बडा 

  चढ़ा  → चढा



      2

  ब्रजभाषा

प्राचीन काल में ब्रज शब्द का प्रयोग पशुओं तथा गायों के समूह के लिए होता था|


उद्भव

शौरसेनी


प्रयोग क्षेत्र

मथुरा , अलीगढ़ , आगरा , हाथरस , फिरोजाबाद , बुलंदशहर , एटा , बदायूं , मैनपुरी , बरेली

जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन ने इसे अंतर्वेदी नाम दिया है



इसके अन्य नाम -

ब्रजी , ब्रिज , ब्रिज की मणि , माधुरी नाग भाषा


विशेषता

1.    श ष , स की जगह लिखते हैं|


2.  को रि लिखते हैं|


3.      

    पायेगे →  पामेंगे


         

   प्रवीण → प्रवीन


4. ड़ , ढ़ , ल (र)  

    कड़ी करी , 

   उलझ उरझ


5. आकारान्त की जगह औकारान्त हो जाता है|


Ex. 

हमारा →  हमारौ , उनका →  उनकौ

साहित्य तथा लोक साहित्य में यह भाषा बहुत ही संपन्न है| 


अष्टछाप के कवि रहीम , रसखान , बिहारी , देव रत्नाकर तथा कविरत्न ने इस भाषा का अत्यधिक प्रयोग किया है|











    3

हरियाणवी (बांगरू)

हरियानी , हरियाणी , देसाणी , जादू , बांगरू आदि नामों से जाना जाता है|

उद्भव

शौरसेनी

प्रयोग क्षेत्र

हरियाणा तथा दिल्ली का देहाती भाग , 

करनाल , रोहतक , हिसार , परियाला , जींद , नाभा आदि|

विशेषता

    न ,


 अपना अपणा


 पानी पाणी 


  बड़ा   बडा 


 अंगूठा   गूठा 



.





  4

बुंदेली

बुंदेल के राजपूतों द्वारा विकसित की गई भाषा है|

प्रयोग क्षेत्र -

झांसी , छतरपुर , जालौन , हमीरपुर , ग्वालियर , औरछा , सागर , होशंगाबाद , बुंदेली |

प्रसिद्ध लोक ग्रंथ

अल्हहा →  मूलतः बुंदेली की उपभाषा (बनाफरी) में रचा गया 

विशेषता

प्यार सूचक के लिए -  

         या / वा

   जैसे - बिटिया, बेटवा

 

 ● (य ,  ज , म ,   व )  

       


     यदि   जदि , 

  विचार   बिचार 


       रो ,

  तुम्हारे तुम्हाओ 

   हमारो हमाओ







कन्नौजी

इसको ब्रजभाषा की उपबोली माना गया है| 

उद्भव

शौरसेनी

प्रयोग क्षेत्र

इटावा , फर्रुखाबाद , शाहजहांपुर , कानपुर , हरदोई 

विशेषता

औकारान्त शब्द का अधिक प्रयोग किया जाता है|


जैसे -

 हमारा →  हमाओ , 

तुम्हारा →  तुम्हाओ 

मेरा →  मेओ / मीरो 

 बड़ा →  बड़ो , किया →  कियो , 

 चला → चलो ,

  गया → गयो







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पूर्वी हिंदी की उपबोली



अवधी

अन्यनाम ( कौशली , वैसवाडी , बोली है  )

उद्भव

शौरसेनी

प्रयोग क्षेत्र

लखनऊ , इलाहाबाद , फतेहपुर , मिर्जापुर , 

उन्नाव , रायबरेली , सीतापुर , फैजाबाद , गोंडा , बस्ती , सुल्तानपुर , प्रतापगढ़ , बाराबंकी आदि|

विशेषता

य व का

    →   

हो जाता है|


करिए →  करिअ छुअत →  छुवत 


→  न

   हो जाता है| 

 प्राण → प्रान , 


→   ज 

  हो जाता है|

यज्ञ →  जग्य ,


  → ब

 हो जाता है| 

व्याह →  ब्याहु 

वाह   → बाह

  ल → र 

हो जाता है| 

फल →  फर


 इस बोली के प्रमुख कवि मलिक मोहम्मद जायसी , तुलसीदास , उस्मान है|









4. बघेली

अवधि की एक बोली है

उद्भव

अर्धमागधी

प्रयोग क्षेत्र

रीवाई , रीवा , दमोह , जबलपुर , मण्डला , बालाघाट , फतेहपुर , हमीरपुर ,


 बांदा मैं यह बुंदेली मिश्रित रूप  में मिलती है  


    → ब 

  आवा →  आबा 











छत्तीसगढ़ी

इसका अन्य नाम लरिया , खल्टाही भी है


उद्भव

अर्धमागधी

प्रयोग क्षेत्र

सरगुजा , कोरिया , बिलासपुर , रायगढ़ , खेरागढ़ , रायपुर , दुर्ग , नंदगांव , कांकेर आदि|


विशेषताएं

का अइ , अरु हो जाता है|

      

जैसे -

 बैल बइल 

जोन   जउन


शब्दों के मध्य में  ड़  ध्वनि का लोप हो जाता है|  

 जैसे 

 लड़का → लइका 

  

अल्पप्राण ध्वनि का   महाप्राण ध्वनियों में परिवर्तन 

कचहरी →  कछेरी

       

  हो जाता है|


  सीता → छीता ,    

  सात → छात ,

  सत्तर → छत्तर






राजस्थानी हिंदी की बोलियां




मारवाड़ी -

इसे पंडित राजस्थानी भी कहा जाता है| इसी बोली पर मीराबाई की रचनाएं मिलती हैं|

उद्भव

अर्धमागधी

प्रयोग क्षेत्र -

जोधपुर , किशनगढ़ , अजमेर , मेवाड , जैसलमेर , बीकानेर , सिरोही etc. 


विशेषता

  ' है ' वर्ण से पहले 'इ' की मात्रा का उपयोग किया जाता है


जैसे


‘हिन्दु’ → ‘इहैन्दु’



'स' → 'है'

जैसे

'सडक' →  'हैडक'







मेवाती

उत्तरी राजस्थानी भाषा है| 


उद्भव

शौरसेनी


प्रयोग क्षेत्र

अलवर , गुडगांव , भरतपुर तथा दिल्ली , करनाल



मेवाती में कर्मकारक में लू विभक्ति एवं भूतकाल में हा, हो, ही सहायक क्रिया का प्रयोग होता है









जयपुरी

जयपुरी या ढूंढाणी को शौरसेनी के नाम से जाना जाता है| इसे पूर्व राजस्थानी हिंदी भी कहा जाता है|


उद्भव

शौरसेनी


प्रयोग क्षेत्र

अजमेर , किशनगढ़ , जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, टौंक

आदि|




विशेषता

इस बोली में वर्तमान काल में छी, द्वौ, है आदि शब्दों का प्रयोग अधिक होता है।





मालवी

दक्षिण राजस्थानी हिंदी कहा जाता है|

उद्भव

शौरसेनी

प्रयोग क्षेत्र

इंदौर , उज्जैन , देवास , रतलाम , भोपाल , होशंगाबाद आदि|



झालावाड़, कोटा और प्रतापगढ़ जिलों में मालवी बोली का सबसे अधिक प्रचलन है।




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पहाड़ी हिंदी

 (पहाड़ी हिंदी की प्रमुख बोलियां) 





पश्चिमी पहाड़ी

इसमें लगभग 30 बोलियां हैं| 

उद्भव

खस अपभ्रंश , शौरसेनी

प्रयोग क्षेत्र

जौनसर , सिरमोर , शिमला , मंडी , चंबा इत्यादि|




  





मध्यवर्ती पहाड़ी 

गढ़वाली और कुमाऊनी मध्य पार्टी के दो मुख्य भेद हैं

उद्भव

खस अपभ्रंश

प्रयोग क्षेत्र

कुमाऊनी उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में बोली जाती है

(राजस्थान का विशेष प्रभाव है)



● गढ़वाली , गढ़वाल मंडल में बोली जाती है

                        




●■•□•■○□•♤•□•♤•□•□□□□●■■●•■○□•■


             बिहारी

 हिंदी की प्रमुख बोलियां




भोजपुरी

● इसे पूर्वी बोली कहा जाता है| 

● इसको सबसे पहले बोली के रूप में भोजपुर गांव से हुआ है| जो बिहार 

के शाहाबाद जिले में पड़ता है|


उद्भव

मागधी अपभ्रंश 

प्रयोग क्षेत्र

बनारस , जौनपुर , आजमगढ़ , गोरखपुर , बलिया , बस्ती , शाहाबाद , चंपारन , सारन आदि|





मगही

संस्कृत मगध से विकसित शब्द (मगह से संबंधित है

उद्भव

मागधी अपभ्रंश

प्रयोग क्षेत्र

पटना , गया , पलामू , हजारीबाग , मुंगेर , भागलपुर , आदि|













मैथिली

इसका अन्य नाम तिलहुतिया होता है

उद्भव

मगदी अपभ्रंश

लिपि

यह 3 लिपियों में लिखी जाती है| 

  1. मैथिली लिपि 

  2. कैथी लिपि 

  3. नागरी लिपि 


प्रयोग क्षेत्र

दरभंगा , मुजफ्फरनगर , पूर्णिया , मुंगेर



_________________________________









हिंदी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 




1

स्वतंत्रता के बाद हिंदी का राजभाषा के रूप में विकास हुआ| 

   राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है - राजकाज की भाषा जो भाषा देश के राजकीय कार्यों के लिए प्रयुक्त होती है| वह राज्य भाषा कहलाती है|( राष्ट्रभाषा के रूप में नहीं ) 



2

राजभाषा एक संवैधानिक भाषा है| हिंदी को अनुच्छेद 343 में परिभाषित किया गया है| और हिंदी को 14 सितंबर 1949 ई° को राजभाषा के रूप में घोषित कर दिया गया है|  तभी से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है|

3

हिंदी शब्द की उत्पत्ति निम्न क्रम में हुई है|

  सिंधु   हिन्दु   हिंद + हिंदी

4

हिंदी शब्द मूलतः फारसी का है न कि हिंदी भाषा का| 




   हिंदी के विभिन्न काल




 हिंदी के आधुनिक काल को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है-



1

भारतेंदु युग (1850 से 1900 ई ) प्रमुख कवि भारतेंदु हरिश्चंद्र

2

द्विवेदी युग (1900 से 1920 ई ) आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी

3

छायावाद युग (1918 से 1936 ई ) एवं उसके बाद तक ) इसके प्रमुख लेखक एवं कवि जयशंकर प्रसाद , निराला , देवकीनंदन पंत , महादेवी वर्मा , रामकुमार वर्मा , प्रेमचंद , आचार्य रामचंद्र शुक्ल आदि थे | 






हिंदी से संबंधित तथ्य



केंद्रीय हिंदी समिति - नई दिल्ली (स्थापना वर्ष 1967) 


केंद्रीय हिंदी निदेशालय - नई दिल्ली (1960) 


साहित्य अकादमी  (1954) →  नई दिल्ली 

        ( शिक्षा मंत्रालय के अधीन )


नेशनल बुक ट्रस्ट (1957) →  नई दिल्ली        


राजभाषा आयोग (1975)(गृह मंत्रालय के अधीन) 


सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन -

  1. सूचना विभाग →  1944 

  2. फिल्म विभाग →  1948 

  3. पत्र सूचना कार्यालय →  नई दिल्ली 

  4. आकाशवाणी → 1957 

  5. दूरदर्शन →  1976 


प्रताप नारायण मिश्र ने हिंदी - हिंदू - हिंदुस्तान का नारा लगाया |


हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार सर्वप्रथम बंगाल में उदित हुआ | 


कांग्रेस के फैजपुर अधिवेशन एवं हरिपुरा अधिवेशन में कांग्रेस की उपस्थिति में राष्ट्रभाषा सम्मेलन आयोजित किया गया जिसके अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद (फैजपुर) तथा जमनालाल (हरिपुरा) ने की थी |


संविधान सभा में हिंदी को राजभाषा बनाने का प्रस्ताव गोपाल स्वामी आयंगर ने रखा था| 





          हिंदी भाषा का मानकीकरण  

    ( Standardization of hindi )


मानक भाषा ( Standard language ) 

मानक का अभिप्राय - आदर्श , श्रेष्ठ अथवा परिनिष्ठित होता है| 

अथवा जिस भाषा का व्यवहार पत्राचार , शिक्षा , 

सरकारी कामकाज एवं सामाजिक सांस्कृतिक , आदान-प्रदान में समान स्तर पर होता है| वह उस भाषा का मानक रूप कहलाता है|


मानकीकरण (मानक भाषा के विकास) के तीन सोपान      

         बोली   भाषा   मानक भाषा



प्रथम सोपान - जहां पर भाषा बोलने का स्वरूप होती है, लेकिन साहित्य रचने के लिए उत्तरदायित्व नहीं होती है| तो वहां पर बोली का रूप लेती है |


द्वितीय सोपान - जहां पर साहित्य रचना के लिए कोई बोली उत्तरदायित्व हो | तो वहां पर भाषा का रूप लेती है| 


तृतीय सोपान - जहां पर भाषा का रूप पत्राचार , शिक्षा , सरकारी , कामकाज के लिए उत्तरदायित्व हो जाए वहां पर मानक भाषा का रूप लेती है|


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भाषा व भाषा के प्रकार 

हिंदी भाषा, उप भाषाएं, व उसकी बोलिए 

लिपि देवनागरी, लिपि, व्यंजन के लेख

 ब्रह्म लिपि,

 वर्ण वर्णमाला ,वर्ण के भेद

 स्वर और स्वर के भेद

 व्यंजन और व्यंजन के भेद 

उच्चारण स्थान 

शब्द विचार

 शब्दों के भेद रचना व बनावट के आधार पर शब्द के भेद उत्पत्ति के आधार पर

 शब्द के भेद 

देशज संकर शब्द विदेशज

 शब्द अर्थ के आधार पर 

शब्द के भेद सार्थक शब्द, निरर्थक शब्द

 विकार या प्रयोग के आधार पर 

शब्द के भेद

 विराम चिन्ह 

संज्ञा ,संज्ञा के भेद 

लिंग, लिंग के भेद

 रूपांतर के आधार पर शब्द के भेद

 वचन

 कारक 

सर्वनाम ,सर्वनाम के प्रकार 

विशेषण व विशेषण के भेद 


















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अगर आप इंग्लिश सीखना चाहते हैं तो आप इस लिंक को देखें 


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Modern Physics Notes , hand written notes

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Vedic Maths / Speed Trick

Square of 3 digit number  , Square of 2 digit number ,

Square of number 200 , 300 , 400  , Square of number near 1000 -Square of number with unit digit 5 , Square of number repeating digit- https://ynot.membrainsoft.com/2021/01/vedic-maths-speed-trick-square-of-3.html

 


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Short Trick For Disease's

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Constitution PDF notes in Hindi https://ynot.membrainsoft.com/2020/12/constitution-pdf-notes-in-hindi.html

 

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1857 pdf notes Hindi

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Mahatma gandhi PDF notes महात्मा गांधी PDF नोट्स

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भारतीय जलवायु तथ्य नक्शा

 वन क्षेत्र संकेत भारतीय नक्शा 

भारतीय प्रमुख अपवाह तंत्र नक्शा


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Vitamins,  विटामिन, Water Soluble  , Fat Soluble  , ssc , railway exams , upsi , goverment exams

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Rivers of india , tributories , gangatic plain , deccan river , ganga , yamuna brahmaputra , godavri , kaveri ,  भारत की सभी मुख्य नदियां और उनकी सहायक  नदियां

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भारतीय वनस्पतियों का वर्गीकरण

 कोपेन का जलवायु वर्गीकरण 

 कोपेन का जलवायु वर्गीकरण का आधार

 महासागरीय  राशियां

अरब सागर की शाखा 

 मृदा का वर्गीकरण  कृषि

https://ynot.membrainsoft.com/2020/12/blog-post.html


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Ocean notes PDF महासागर प्रशांत महासागर प्रशांत महासागर के तथ्य अटलांटिक महासागर हिंद महासागर आर्कटिक महासागर दक्षिण महासागर


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Vanya jeev sanrakshan  

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 समास और उनके भेद  शब्द विचार  अलंकार  और उनके भेद  विराम चिन्ह  छंद  चौपाई  दोहा  सोरठा  रोला  रस और उनके भेद  उपसर्ग और प्रत्यय  पर्यायवाची शब्द  अनेक शब्दों के लिए एक शब्द

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भारत के राज्यों का प्रमुख नृत्य

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 गांधीजी के स्वदेश में प्रारंभिक सत्याग्रह की शुरुआत  चंपारण सत्याग्रह  खेड़ा सत्याग्रह  खिलाफत आंदोलन  असहयोग आंदोलन  चौरी चौरा कांड  साइमन कमीशन  दांडी मार्च यानी नमक सत्याग्रह  अंतिम पत्र में भारतीयों की 11 सूची मांगों की प्रस्तुति  गांधी इरविन समझौता  नेहरू रिपोर्ट  द्वितीय गोलमेज सम्मेलन  भारत छोड़ो आंदोलन

https://ynot.membrainsoft.com/2021/01/11.html



इंग्लिश बोलने में होने वाली Common Mistakes

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इंग्लिश को बारीकी से जानने का तरीका

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मानव शरीर के अंगों के बारे में   भारत की झीलों के बारे में   भारत की प्रमुख क्रांतियां

https://ynot.membrainsoft.com/2021/01/blog-post_20.html



भारत के ऐतिहासिक चित्र

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Motivational quats   ,Power quats

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Ideas quats 

https://ynot.membrainsoft.com/2021/01/make-your-ideas-ideas-picture.html







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