Friday 10 January 2020

किसी भी किनारे पर मत रुको - बस बढ़ते चलो - short inspitation story

किसी भी किनारे पर मत रुको - बस बढ़ते चलो - short inspitation story


महावीर की मृत्यु का दिन आया।

महावीर का सबसे प्रमुख शिष्य गौतम पास के ही गांव में उपदेश देने गया था।

महावीर ने जान कर ही भेजा था। महावीर अस्वस्थ थे--छह महीने से अस्वस्थ थे। दीया टिमटिमाता-टिमटिमाता सा था। कब ज्योति उड़ जाएगी, कोई कह नहीं सकता था।


सारे शिष्य इकट्ठे हो गए थे, दूर-दूर से आ गए थे, सैकड़ों मील की यात्रा करके महावीर के अंतिम दर्शन को उपस्थित हो गए थे। और गौतम, जो कि जीवन भर साथ रहा; जो छाया की तरह साथ रहा; जिसने महावीर की वैसी अथक सेवा की, जैसी शायद ही कभी किसी ने किसी की होगी--



एक ही दिन पहले महावीर ने उससे कहा गौतम, तू पास के गांव में जा। भिक्षा भी मांग लाना और गांव के लोगों को उपदेश भी दे आना।


महावीर ने जान कर ही गौतम को भेजा। सोच-समझ कर भेजा। एक उपाय की भांति भेजा।


गौतम तो दूसरे गांव गया और महावीर ने देह छोड़ दी।


जब गौतम वापस आ रहा था तो रास्ते पर राहगीरों ने गौतम से कहा कि अब कहां जा रहे हो, अब किसके लिए जा रहे हो? दीया तो बुझ गया! पिंजड़ा पड़ा है, पक्षी तो उड़ गया। फूल तो धूल में गिर गया, सुवास आकाश में समा गई। अब कहां जा रहे हो?

गौतम तेजी से चला जा रहा था। महावीर बीमार हैं। भेजा था तो आज्ञा पूरी करनी थी, लेकिन जल्दी भिक्षा मांग, जल्दी उपदेश दे, भाग रहा था कि वापस पहुंच जाए। वहीं बैठ कर रोने लगा। और उसने उन यात्रियों से पूछा कि एक बात भर मुझे पूछनी है अंतिम समय में उन्होंने मुझे स्मरण किया था या नहीं? और यदि स्मरण किया था तो मेरे लिए कोई संदेश छोड़ गए हैं या नहीं?और वह संदेश बहुत महत्वपूर्ण है।

उन यात्रियों ने कहा हां, अंतिम संदेश तुम्हारे लिए ही छोड़ गए हैं। कहा कि गौतम को मैंने दूर भेजा है, क्योंकि पास रहते-रहते वह भूल ही गया था कि एक दिन दूर होना है। इतने पास था कि उसे विस्मरण हो गया था कि एक होना है।

उसे दूरी की याद दिलाने के लिए, कि पास भी एक दूरी है, मैंने दूर भेजा है। और यह मेरा सूत्र है, गौतम को कह देना, कि हे गौतम, तू पूरी नदी तो तैर गया, अब किनारे पर आकर क्यों रुक गया है? पूरी नदी तो तैर चुका, अब किनारे को भी छोड़! अब किनारे से भी उठ आ!

जैसे कोई आदमी नदी पार कर जाए और फिर किनारे को पकड़ कर भी नदी में ही बना रहे--इस आशा में कि अब तो किनारा मिल गया, अब क्या करना है! मगर है वह नदी में ही, किनारे को पकड़े है।

महावीर के संदेश का अर्थ था गौतम, तूने सब छोड़ दिया--घर-द्वार, परिवार--सब छोड़ कर तू मेरे साथ हो लिया। लेकिन अब तूने मुझे पकड़ लिया है। अब तू सोचता है कि अब मुझे क्या करना है!

अब सदगुरु मिल गए, अब उनकी सेवा करता हूं। मेरा काम पूरा हो गया। अब तू किनारे को पकड़ कर रुक गया है। मुझे भी छोड़ दे! क्योंकि बाहर कुछ भी पकड़ो तो बंधन है। अंतत: सदगुरु भी बंधन बन जाता है। सदगुरु और सारे बंधनों से छुड़ा देता है और अंत में स्वयं से भी छुड़ा देता है। वही सदगुरु है।

इस वचन को सुनते ही गौतम समाधि को उपलब्ध हो गया। जो समाधि जीवन भर छलती रही, वह एक क्षण में उपलब्ध हो गई। चोट गहरी थी। आघात ऐसा था कि पहुंच गया होगा प्राणों के अंतरतम तक।



मझधार में तो बहुत कम नावें डूबती हैं।



नावें डूबती हैं साहिल से टकरा कर, किनारे से टकरा कर डूब जाती हैं। किसी तरह मझधार से तो बचा लाते हैं लोग, क्योंकि मझधार में लोग बहुत सावचेत होते हैं, बहुत सावधान होते हैं। जब तूफान उठा हो और सागर की लहरें चांद-तारों को छूने की कोशिश करती हों, सागर विक्षिप्त हो, विक्षुब्ध हो--तब तो तुम पूरी सावधानी बरतोगे। तब तो तुम्हारा रोआ-रोआ जागा हुआ होगा। तब तो तुम पहरे पर रहोगे। तब तो पतवार तुम्हारे हाथ में होगी। लेकिन तूफान जा चुका, मझधार भी पीछे छूट गई, डूबने का खतरा भी न रहा, उथला किनारा करीब आने लगा--यह रहा, यह रहा! अब किनारे पर पहुंचे ही पहुंचे! हाथ से पतवार भी धीमी पड़ जाती है, छूट जाती है। वह पुराना होश भी खो जाता है, वह पुरानी जागरूकता भी बंद हो जाती है, सो जाती है। फिर तुम नींद में पड़ने लगे। अब खतरा है। अब किनारे से नाव टकरा सकती है। ऐसी बेबूझ घटना बहुत बार घटी है। लोग मझधार से बच आए और किनारों पर टकरा गए और डूब गए।

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प्रत्येक नए काम में गलतियों की बजाएं उसे प्रोत्साहित करना चाहिए - short inspiration story , little story

प्रत्येक नए काम में गलतियों की बजाएं  उसे प्रोत्साहित करना चाहिए - short inspiration story

एक पेंटर था फ्रांस में।

उसने एक चित्र बनाया और उसने एक चौरस्ते पर अपनी पेंटिंग लगा दी और गांव भर के लोगों से सलाह ली कि इसमें क्या-क्या गलतियां हैं।
किताब रख दी, उसमें सारे लोग लिख गए आ-आ कर कि इसमें यह गलती है, इसमें यह गलती है इसमें यह गलती है। सारी किताब भर गई!

उसकी समझ के बाहर हो गया कि इतनी गलतियां एक पेंटिंग में करना भी बड़ी मुश्किल बात है!
एक पेंटिंग छोटी सी, उसमें इतनी गलतियां करनी,
एक बड़ी प्रतिभा की जरूरत है, तब हो सकती हैं।
उसने अपने गुरु से कहा। गुरु ने कहा, अब तू एक काम कर, इस पेंटिंग को टांग दे और नीचे लिख दे कि इसमें जहां गलती हो उसको सुधार दिया जाए।

उसको कोई सुधारने नहीं आया। उस गांव में एक आदमी ने भी ब्रश उठाकर उसकी पेंटिंग में
कोई सुधार नहीं किया।

हमारा जो माइंड है, हमारा जो काम करने का ढंग है, वह हमेशा गलत क्या है वह हमें दिखाई पड़ जाता है। लेकिन ठीक क्या करना है वह
हमारे खयाल में नहीं आता।


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Thursday 9 January 2020

शब्दों का जाल - short beautiful story - eye opening story

शब्दों का जाल

एक सम्राट के द्वार पर एक कवि ने एक दिन सुबह आकर सम्राट की प्रशंसा में कुछ गीत कहे, कुछ कविताएं कहीं।


फिर कवि तो रुकते नहीं शब्दों का महल बनाने में।

वे तो कुशल होते हैं। उस कवि ने सम्राट को सूरज बना दिया, सारे जगत का प्रकाश बना दिया।

उस कवि ने सम्राट को जमीन से उठा कर आकाश पर बिठा दिया, उसने अपनी कविता में जितनी प्रशंसा कर सकता था, की।

सम्राट ने उससे कहाः धन्य हुआ तुम्हारे गीत सुन कर। बहुत प्रभावित हुआ। एक लाख स्वर्ण-मुद्राएं कल सुबह तुम्हें भेंट कर दी जाएंगी।

कवि तो दीवाना हो गया। सोचा भी न था कि एक लाख स्वर्ण-मुद्राएं मिल जाएंगी! आनंद-विभोर घर लौटा, रात भर सो नहीं सका। बार-बार खयाल आने लगा, एक लाख स्वर्ण-मुद्राएं! क्या करूंगा? न मालूम कितनी योजनाएं बना लीं।

कवि था, शब्दों का मालिक था। बहुत शब्द जोड़ लिए। सारा भविष्य स्वर्णमय हो गया, सारा भविष्य एक सपना हो गया। जीवन एक धन्यता मालूम होने लगी।



सुबह जल्दी ही, सूरज निकल भी नहीं पाया कि द्वार पर पहुंच गया राजा के।

सम्राट ने बिठाया और थोड़ी देर बाद पूछाः कैसे आए हैं?

उस कवि ने सोचा, कहीं भूल तो नहीं गया सम्राट? पूछता है कैसे आए हैं?

उसने कहा कि पूछते हैं कैसे आया हूं, रात भर सो नहीं सका, क्या पूछते हैं आप? कल कहा था आपने की एक लाख स्वर्ण-मुद्राएं भेंट करेंगे।

सम्राट हंसने लगा, कहा, बड़े नासमझ हैं आप। आपने शब्दों से मुझे प्रसन्न किया था, मैंने भी शब्दों से आपको प्रसन्न किया था, इसमें लेने-देने का कहां सवाल आता है? कैसी एक लाख स्वर्ण-मुद्राएं? आपने कुछ शब्द कहे थे, कुछ शब्द मैंने कहे थे। शब्द के उत्तर में शब्द ही मिल सकते हैं। स्वर्ण-मुद्राएं कैसी?



तब कवि को पता चला कि शब्द अपने में थोथे हैं, उनके भीतर कोई कंटेंट नहीं हैं। शब्द अपने आप में पानी पर खींची गई लकीरों से ज्यादा नहीं हैं। लेकिन हमारे पास क्या है? शब्दों के अतिरिक्त कुछ और है?
हमने सारी समस्याओं को शब्दों से हल करने की कोशिश की है। इसलिए समस्याएं तो वहीं की वहीं है, आदमी शब्दों में उलझ कर नष्ट हुआ जा रहा है। आदमी के ऊपर जो सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, वह शब्दों के ऊपर विश्वास सबसे बड़ा दुर्भाग्य है, जिसके कारण जीवन की कोई समस्या हल नहीं हो पाती।


शब्दों पर हम जीते और लड़ते भी हैं। मैं कहता हूं, मैं हिंदू हूं। मैं कहता हूं, मैं मुसलमान हूं। कोई कैसे मुसलमान हो गया, कोई कैसे हिंदू हो गया?

कुछ शब्द हैं जो कुरान से लिए गए हैं, कुछ शब्द हैं जो गीता से लिए गए हैं। कुछ शब्द हैं जो इस मुल्क में पैदा हुए है, कुछ शब्द है जो उस मुल्क में पैदा हुए हैं। और शब्दों को हमने इकट्ठा कर लिया, तो एक तरह के शब्द मुसलमान बना लेते हैं, दूसरे तरह के शब्द हिंदू बना देते हैं, तीसरे तरह के शब्द जैन बना देते हैं। क्योंकि किसी के भीतर कुरान है, किसी के भीतर बाइबिल है, किसी के भीतर गीता है। शब्दों के अतिरिक्त हमारी संपदा क्या है? और इन कोरे शब्दों पर हम लड़ते भी हैं और जीवित आदमी की छाती में तलवार भी भोंक सकते हैं, मंदिर भी जला सकते हैं, मस्जिद में आग भी लगा सकते हैं। क्योंकि मेरे शब्द अलग हैं, आपके शब्द अलग हैं।

हमारे हाथ में क्या है? आत्मा, परमात्मा, मोक्ष, जन्म, जीवन, प्रेम, आनंद हमारे पास शब्दों के अतिरिक्त और क्या है? लेकिन शब्द से जरूर भ्रम पैदा होता है। छोटा सा बच्चा स्कूल में पढ़ता है, सी ए टी कैट, कैट यानी बिल्ली। बार-बार पढ़ता है, सी ए टी कैट, कैट यानी बिल्ली। सी ए टी कैट, कैट यानी बिल्ली। सीख जाता है, फिर वह कहता है कि मैं जान गया–कैट यानी बिल्ली। लेकिन उसने जाना क्या है? उसने दो शब्द जाने।


कैट भी एक शब्द है, बिल्ली भी एक शब्द है। बिल्ली को जाना उसने? बिल्ली जो जीवंत है, वह जो जीवित बिल्ली है उसको जाना उसने? लेकिन वह कहता है कि मैंने जान लिया–कैट यानी बिल्ली।


उसने दो शब्द जान लिए, दोनों शब्दों का अर्थ जान लिया। शब्द भी शब्द है, अर्थ भी शब्द है। और बिल्ली पीछे छूट गई, वह जो जीवंत प्राण है बिल्ली का। उसे उसने बिलकुल नहीं जाना, लेकिन वह कहेगा कि मैं जानता हूं कैट यानी बिल्ली।

लेकिन बिल्ली को पता भी नहीं होगा कि मैं कैट हूं या बिल्ली हूं। बिल्ली को पता भी नहीं होगा कि आदमी ने मुझे क्या शब्द दे रखे हैं।

और आदमी जमीन पर न हो, तो बिल्ली का क्या नाम होगा? कोई भी नाम नहीं होगा। लेकिन बिल्ली फिर भी होगी।

शब्द कोई भी न होगा, बिल्ली फिर भी होगी। आकाश में तारे होंगे, शब्द कोई न होगा। आदमी नहीं होगा तो सूरज उगेगा लेकिन शब्द कोई भी नहीं होगा। वृक्षों में फूल खिलेंगे लेकिन कोई फूल गुलाब का नहीं होगा, कोई जूही का नहीं होगा, कोई चमेली का नहीं होगा।
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Wednesday 8 January 2020

मुस्कुराहट का महत्व - short inspiring story - motivation story - kids story

मुस्कुराहट का महत्व



एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली


"डॉ साहब ! मुझे लगता है कि मेरा पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। क्या आप मेरी खुशियाँ ढूँढने में मदद करेंगें?"

मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला -

"मैं इस बूढी औरत से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"



तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी -

"मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसे में मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।"


मैं स्वयं के जीवन को समाप्त करने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन,एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।"

"उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई। तब मैंने सोचा यदि इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करने से मुझे ख़ुशी मिल सकती है,तो हो सकता है कि दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था,के लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।"

"हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी।"

"आज,मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।"


यह सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी।
लेकिन उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।

मित्रों! हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।

तो आईये आज शुभारम्भ करें इस संकल्प के साथ कि आज हम भी किसी न किसी की खुशी का कारण बनें।

😊  *मुस्कुराहट का महत्व*  😊
👍_अगर आप एक अध्यापक हैं और जब आप मुस्कुराते हुए कक्षा में प्रवेश करेंगे तो देखिये सारे बच्चों के चेहरों पर मुस्कान छा जाएगी।

👍_अगर आप डॉक्टर हैं और मुस्कराते हुए मरीज का इलाज करेंगे तो मरीज का आत्मविश्वास दोगुना हो जायेगा।

👍_अगर आप एक ग्रहणी है तो मुस्कुराते हुए घर का हर काम किजिये फिर देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

👍_अगर आप घर के मुखिया है तो मुस्कुराते हुए शाम को घर में घुसेंगे तो देखना पूरे परिवार में खुशियों का माहौल बन जायेगा।

👍_अगर आप एक बिजनेसमैन हैं और आप खुश होकर कंपनी में घुसते हैं तो देखिये सारे कर्मचारियों के मन का प्रेशर कम हो जायेगा और माहौल खुशनुमा हो जायेगा।

👍_अगर आप दुकानदार हैं और मुस्कुराकर अपने ग्राहक का सम्मान करेंगे तो ग्राहक खुश होकर आपकी दुकान से ही सामान लेगा।

👍_कभी सड़क पर चलते हुए अनजान आदमी को देखकर मुस्कुराएं, देखिये उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ जाएगी।

*यही जीवन है।*
*आनंद ही जीवन है।।*


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Monday 2 December 2019

गांव से स्टार्ट होने वाले बिजनेस - Business idea for village

गांव से स्टार्ट होने वाले बिजनेस  जिन्हें आसानी से सप्लाई किया जा सकता है

Business from village  

Business idea for village

मैं गांव से हूं और मेरे पास बहुत कम आमदनी है पर , मैं ऐसा क्या काम करूं कि जिससे मेरा बिजनेस को शुरू हो जाए |

दोस्तों गांव से स्टार्ट होने वाले बिजनेस का यह पहला पाठ है कौन से कई सारे बिजनेस आसानी से स्टार्ट हो सकते हैं हालांकि कुछ बिजनेस में टीम और दोस्तों की जरूरत पड़ सकते हैं

दोस्तों कुछ छोटे बिजनेस जो आजकल छोटे गांव ए  कस्बा से  स्टार्ट करने के ज्यादा आसान तरीके हैं ,  क्योंकि उसमें आदमियों की जरूरत होती है साथ ही इंधन की जरूरत होती है  , साथ ही लगने वाली सामग्री भी आसानी से गांव में मिबल(available) हो जाती है |

जैसे कि इंधन में लकड़ियां और कंडे (गोबर के उपले ) आसानी से   मिल(available) हो जाते हैं |

इससे आप कुछ भी चीज बनाते हैं तो उसे आप सप्लायर (supplier) तक आराम से दे सकते हैं जिससे उसमें सप्लायर को भी कीमत अच्छी मिल सकती है और बेचने बनाने वाले को भी |


दोस्तों सप्लायर छोटे छोटे लोग होते हैं , जो साइक्लो से अथवा छोटी गाड़ियों से दुकानों में जा जाकर अपना सामान रखते हैं |





छोटे सप्लायर को बड़ी कंपनियों के सामान रख कर उनको मुनाफा नहीं निकलता ,  पर अगर आप उन्हें कुछ अच्छा बना कर दें जिससे आपको भी मुनाफा होगा और उनको भी तो वह उस काम को और बढ़ाएंगे |  ऐसे ही कुछ कामों के बारे में मैं आपको बताऊंगा जिनकी छोटे शहरों में बहुत डिमांड रहती है |

इसमें सबसे ज्यादा डिमांडिंग रहता है नमकीन जिसे आप सिर्फ कस्बों में नहीं बड़े मार्केट के सप्लायर तक में भी जा सकते हैं


पर आप शुरुआत कस्बों से ही करें

लेकिन नमकीन बनाने की कला होती है और कस्टमर कभी भी मिक्सर और सब नहीं चाहता |

कस्टमर नई तरीके , नई वैरायटी ढूंढता है अगर वह एक बार नई वैरायटी पसंद कर लेता है तो फिर वह उसी का आदी हो जाता है आपको इसमें बहुत ऑप्शन है बहुत तरीके हैं आप इसमें कुछ नया बना सकते हैं |


उदाहरण के लिए आप इन नमकीन  को देखे


यह कुछ ही वेराइटी हैं  , पर अगर आप इस वैरायटी (variety) की नमकीन बनाते हैं तो आपको आसानी से डिस्ट्रीब्यूटर मिल जाएंगे | पर आपको नमक अथवा तेल की क्वालिटी का बहुत ध्यान रखना होगा |

टेस्ट बहुत सही होना जरूरी होता है तभी डिमांड धीरे-धीरे करके बढ़ने लग जाती है | साथ ही ध्यान रहे शुरुआत में सिर्फ एक 5-10  किलो ही नमकीन बनाएं | और उसको डिस्ट्रीब्यूटर को देने की बजाय खुद आप दुकानों मैं जाएं और उनसे बात करें कि हमारी नमकीन को बेचना है  , उसके लिए वह आप नमकीन के एक निर्धारित मूल बताएंगे | जिससे आपको एक अनुमान (idea) लग जाएगा , जिससे आपको मार्केट का पहले से और अच्छा ज्यादा गहरा ज्ञान होगा |


छोटे और बड़े दुकानों  दोनों से बात करे |

और जो बाजार में पहले से मौजूद नमकीन हैं उनके बारे में पहले से ही जानकारी ले |
10 -  5 दुकानों में से जानकारी आपको आसानी से प्राप्त हो जाएगी |


ऊपर दी गई नमकीन अभी बाजार में ₹160 किलो के आसपास बिकती है वही होलसेल रेट में 110 रुपए किलो जाता है |

इस नमकीन छोटे शहरों में बहुत डिमांड रहती  है | अक्सर दशहरा में या होली में तो यह रातों में कई कुंटल की बिक्री हो जाती है | उसी से वह वह उस समय हर दुकान इसकी बिक्री करता है अगर आप चाहें तो सिर्फ इसे उसी सीजन में ही बेच सकते हैं उस सीजन में सप्लायर आपसे एक दिन यह 2 दिन पहले आपसे बहुत बल्क में नमकीन खा सकता है और आप खुद भी चाहे तुझको छोटा सा टेंट कहीं पर लगा क्या भेज सकते है

दूसरा तरीका यह है कि आप अपने आसपास के किसी गांव में किसी से इस क्वालिटी की नमकीन बनवाएं | आप पूरी जिम्मेदारी लें | मार्केट में जाने की और बेचने की ,  सप्लाई करने की |

जिससे बनाने वाले को नगद में पैसा मिलने से उसे काफी  प्रोत्साहन मिलेगा |






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दूसरा आता है


पेठा जो जोकि आसानी से दुकानों से बिक सकता है साथी इसमें गांव में बनाने में ज्यादा आसानी होगी |

हालांकि यह देखा गया है कुछ क्षेत्र मैं पेठे का उत्पाद बहुत है या फिर वहां ऑलरेडी बहुत सप्लाई है और वाजिद दाम मे है |

पर  पेठा  में आप क्रिएटिविटी और टेस्ट  आसानी से ला सकते हैं - कलर रंग  , कुछ नए नए तरीके से उसको दिखाने के तरीके आदि से उसकी बिकने की क्षमता बढ़ जाती है |

इसे लोग एक दूसरे को गिफ्ट में  , नाश्ते में आदि कई जगह पर दे सकते हैं  | उसे बस आपको क्रिएटिविटी की जरूरत होगी  | आपसे इसे छोटे पैमाने से शुरुआत कर सकते हैं  |
इसे बनाना आसान है पर इंधन बहुत लगता है और टाइम भी इसलिए गांव से स्टार्ट करना बहुत आसान होगा |


दूसरा पेठे में लगने वाली सामग्री जैसे की पेठे का पेड़ (कुंडा) या चीनी या चुना आसानी से मिल जाता है इसलिए इसमें ज्यादा लागत नहीं है गांव में तो कुंडा बहुत आसानी से मिल जाता है आप दो से तीन कुंडे से भी इसको काम को शुरू कर सकते हैं |

जहां मार्केट में कितना भी हो पर अगर आप इसे बनाते हैं तो आप कभी बिकेगा |

आपको थोड़े थोड़े से कम क्वांटिटी में आपको बनाना होगा |

पेठा बनाना और नए डिजाइंस बनाना बहुत ही आसान है आप इसके लिए बहुत सी यूट्यूब वीडियो भी देख सकते है



आप पुराने तरीके से  ना बनाए | कुछ इसमें नए तरीके के डिजाइंस बनाएं |

इसे आप खुद शुरू में थोड़ा सा बेचने की कोशिश करें पर ज्यादातर इसके लिए आप डिस्ट्रीब्यूटर ही ढूंढे जो दुकानों में माल रखवा सके अथवा आपको दुकानों में जाकर बात करें |

मिठाई की दुकानों में तो यह अक्सर डिमांड में रहती है वहां आप आसानी से रख सकते हैं तथा किरणों की दुकानों में भी


सबसे बड़ी बात दोस्तों आजकल हर दुकानों में बड़ी कंपनियों के माल को बेचकर उनमें बहुत कंपटीशन हो गया है जिससे वह अपने आप को एक दूसरे से अलग नहीं कर पा रहे हैं इसलिए वह चाहते हैं कुछ नया माल आए उनके पास नए तरीके का जिससे वह बेच के अपनी दुकानदारी की कस्टमर को और आकर्षित कर सकें इसलिए आप विश्वास के साथ उनके पास जाएं और अपना माल दिखाएं साथी माल दिखाते समय आप पैकेजिंग का भी ध्यान रखें |


पैकेजिंग जो आसानी से आपके आसपास की  (होजरी की दुकानों) मे मिल जाएगी , तक़रीबन कीमत 5 से 10 के आसपास होती है |



आप चाहे तो कुछ दूध वालों को दूध बेचने वालों को आप इस तरह की एक दो डिब्बे दे सकते हैं ताकि वह अपने कस्टमर को दिखाएं या बताएं कि खरीदना है तो आप से मंगा सकते है |

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इसी तरह से गजक जोगी हरियाणा में काफी मशहूर है तथा लड भैया गुड़ के लाई के लड्डू जो आम उत्तर प्रदेश की छोटे से इलाकों में मशहूर है वह भी बना सकते हैं और दुकानों में दे सकते हैं वह ने बेच कर आपको सर कमीशन दे सकता





इसी तरह   इमली और कैथा का अचार गुड़ के साथ  जो कि बहुत ही टेस्टी होता है | वह बच्चों के सुबह नाश्ते में भी यूज हो सकता है और ऑफिस जाने वाले लोगों के लिए जायका हो सकता है खाने की साथ उसे आप आसानी से बना कर दुकानों में रखे






साथ ही बहुत से अन्य अचार जो कि अक्सर लोग खाते हैं आप उनको भी ट्राई कर सकते हैं

अगर आपको किसी भी तरह की दिक्कत या कोई आईडिया आपका क्लियर ना हो रहा हो या आपके पास कुछ हो बताने के लिए तो आप हमें मैसेज कर सकते हैं या कमेंट कर सकते हैं


जो भी आपके ऊपर बताया गया है इन सब को आप लंबे समय तक सप्लाई करवा सकते हैं और यही सबसे ज्यादा जरूरत होता है गांव से किसमें बिजनेस को शुरू होने के लिए |

तुरंत बना कर तुरंत सप्लाई होना यह संभव नहीं होता |




अगर आपका सामान दुकानों से नहीं बिकता तो आप दूधवाले अथवा ऐसे लोग जो लोगों के घर में कुछ जो कुछ सप्लाई करते रहते हैं उनसे आप उनकी मदद लें |

छोटे शहरों में सबसे अच्छा होता है कि वह दुकानदार जिस किताबों की कपड़ों की आधी जो चलाते हैं आप उनके पास जाएं वह यह सब खाना बहुत पसंद करते हैं वही आपकी कस्टमर हो सकते है |


दोस्तों आजकल हर किसी के पास मोबाइल है तो क्यों ना कस्टमर से डायरेक्ट अपनी बात को पहुंचाया जाए अपने प्रोडक्ट को पहुंचाया जाए उसके लिए करना कुछ नहीं होगा आपको वहां की कुछ कांटेक्ट नंबर किसी भी तरह से आपको निकालने होंगे और आपके लिए एक लिंक रेट कर दे सके जिसमें आपके प्रोडक्ट दिखेंगे आप उस लिंक को उन कस्टमर तक भेजें बस अपने आप वह आपको सर तक पहुंचाने लग जाएंगे इसमें हम आपकी मदद करेंगे आप हमें जरूर मैसेज करके पता है कोई चार्ज वगैरह नहीं लगेगा


Friday 29 November 2019

Mineral Water Business Problems or How to start मिनरल वाटर बिजनेस मुश्किलें य कैसे शुरू करे

Mineral Water Business Problems or How to start
मिनरल वाटर बिजनेस मुश्किलें यह कैसे शुरू करें


मिनरल वाटर प्लांट स्थापित करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और इस बिजनेस में फायदा नुकसान क्या क्या हो सकते है




दोस्तों अक्सर देखा गया है कि लोग बिना सोचे समझे मिनरल वाटर प्लांट लगा लेते हैं इससे उनका समय और पैसे दोनों की बहुत नुकसान होता है




ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मार्केट रिसर्च जैसे -  कितने लोग आप आपसे मिनरल वाटर आर्डर (order). देंगे उसका अनुमान गलत लगा होता है जैसे कितना समय उसको डिस्ट्रीब्यूट करने में लगता है कितने लोग लगेंगे साथी कितना आमदनी उसमें होगी | कितने रेगुलर सबसे खरीदार हैं तथा कितने बल्क (bulk)  में लेने वाले हैं और किस समय लेंगे , इसके अलावा कितने और डिस्ट्रीब्यूटर हैं उस क्षेत्र में तथा कितना उनका consumption ( डिमांड) है , क्या उनकी कंडीशन बहुत अधिक है ,

  साथ ही प्लांट की मेंटेनेंस साफ-सफाई और निगरानी आदि किस सभी दिक्कतों का अनुमान नहीं होता |





इन  सब को समझने से पहले आपको प्लांट नहीं लगाना चाहिए इसका एक दूसरा तरीका होता है कि हर प्लांट वाला आपको कुछ कमीशन पर डिसटीब्यूट करने को अपना मिनरल वाटर देता है  


आप पहले डिसटीब्यूट (distribute) करने की कोशिश करें इसके लिए सिर्फ आपको एक ₹150 की मिनरल बोतल लेनी पड़ेगी

यह बोतल (25 litre )  प्रत्येक प्लांट पर मिल जाती है



इसमें  ₹ 10 में नॉर्मल तथा ₹15-   ₹15 में ठंडा पानी भरता है  |
इसे आप कस्टमर को ₹25 से ₹40 तक के बीच में दे सकते हैं  |

मिनरल वाटर (mineral water ) की  ज्यादा डिमांड (demand) वहां रहती है  जहां छात्र-छात्राएं रहते हैं या नौकरी करने वाले  रहते है |

अक्सर मिनरल प्लांट डिस्ट्रीब्यूटर कुछ बोतलें पास की दुकानों में पहुंचा देता ह , जिससे उसका कस्टमर को आसानी से अवेलेबल हो जाता है  और इससे दुकान को फायदा होता है तथा डिस्ट्रीब्यूटर को भी कभी समय बचता है |

पर इस पर फिर भी आपके पास अवसर (opportunity)  रहती हैं , क्योंकि कस्टमर को अक्सर देखा गया है वह 25 लीटर की मिनरल वाटर बोतल उठाने में तकलीफ महसूस करता है जिससे उनके रूम में हमेशा विवाद रहता है |

अगर उनके कमरे(room)  तक कोई मिनरल वाटर (mineral water)  पहुंचा जाए तो वह 10 से ₹15 अधिक देने को तैयार रहते हैं और अगर वह ऊंची दो तीन मंजिल के ऊपर रहते हैं तो वह अधिक ₹20 से ₹25 भी देने को तैयार हो जाते है |
एक बोतल में यानी एक बोतल में उसे 40 से ₹50 कमाने का मौका मिल जाता है |

लोकल दुकानदार कभी अंडर वाटर को पहुंचाता नहीं है

मिनरल वाटर डिस्ट्रीब्यूटर (Mineral Water Distributor ) का डिस्ट्रीब्यूटर डिस्ट्रीब्यूशन कुछ कंपनियों से भी जुड़ा होता है आप भी चाहे तो कुछ ऐसे ही कंपनियां या दुकानों से आप बात कर सकते हैं जहां आप उनको प्रतिदिन कुछ  मिनरल वाटर बोतल पहुंचा सकते हैं इसके अलावा शादियों में  , पार्टीय , मैरिज हॉल्स  में , क्लब्स में , और छोटे दुकानों में आदि डिस्ट्रीब्यूटर आप भी कर सकते हैं

जब आपको  लोगों से डिमांड आने लगेगी तो आपको इसकी गहराई से पता चलेगा कि यह बिजनेस आप कितना कर सकते हैं क्योंकि अक्सर देखा गया है जो मिनरल वाटर प्लांट ( Mineral Water Plant ) बनाते हैं वह कई सारे लोगों को डिस्ट्रीब्यूशन में डायरेक्ट इनडायरेक्ट लगा देते हैं तो पहले आपको उनके साथ मिलकर ही काम करना उचित रहेगा इसके लिए कोई बहुत जैसे कि बताया कि इसके लिए कुछ कुछ खर्च नहीं है साथी इसमें आपको कमाई भी हो जाएगी यानी एक तरह से आपको प्लांट बनाने (stablish ) के बजाय डिस्ट्रीब्यूशन में ध्यान देना ज्यादा अनिवार्य है इससे आपको और कई अन्य डिसटीब्यूशंस भी मिल सकते है |

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वहीं अगर आपका अपना प्लांट बन गया है तो आपको अपना डिसटीब्यूशन चैनल (distribution channel ) बढ़ाने के लिए ज्यादा जोर देना चाहिए ना कि कस्टमर से सीधा जुड़ने में क्योंकि अक्सर देखा गया है जिनके प्लांट होते हैं वह सोचते हैं कि हम सीधा कस्टमर को देते हैं इससे उनका समय उसी में निकल जाता है इसकी बजाय वह कुछ हाई प्रोफाइल कस्टमर्स (बल्क ऑर्डर ) पर ध्यान दें और छोटे डिसटीब्यूशंस के लिए याद और दुकानों में अपना सामान रखें दुकानों में अपने मिनरल वाटर बोतल रखें छोटे दुकानदारों को भी कमाई हो क्योंकि मिनरल वाटर एक ऐसी डिमांड है अचानक से आ सकती है इसका कोई निर्धारित समय नहीं है

मिनरल वॉटर को सीडियो में चढ़ाना उतारना यह सब काफी मेहनत का काम है  |

छोटी बोतलें पैकेजिंग और 1-  2 लीटर की बोतल पर काम करना काफी कठिन होगा |



क्योंकि इसमें पैकेजिंग मिनरल वाटर बनाने वाली  बहुत सारी कंपनियां हैं |  पैकेजिंग डिस्ट्रीब्यूशन ब्रांडिंग और डिमांड जनरेट करने मैं खर्चा बहुत अधिक पड़ जाता है और फिर इसका डिमांड उस तरह से नहीं आता |

पर आप का अगर व्यापार बहुत बड़ा है  , तभी ही इस पर कदम रखें क्योंकि इसमें pepsico  जैसी बड़ी कंपनियां का डिसटीब्यूशन चैनल बहुत स्ट्रॉन्ग है और बोटल्स में वह काफी रिसर्च करते हैं तथा पानी की क्वालिटी में भी और डिमांड जनरेट करने के लिए महंगे महंगे विज्ञापन भी लगाते है



अगर आप सोचते कि आप सस्ती बोतल देंगे तो डिमांड आपकी भी कि ऐसा नहीं होता लोग जिसको हृदय से प्रभावित होते हैं उसी को ही लेना पसंद करते हैं |

जैसे कि अगर आप डिस्ट्रीब्यूशन में हैं तो आप कस्टमर को और भी अन्य चीजें दे सकते हैं रिटेलर से लेकर जिसमें आप कमीशन भी कमा सकते हैं जैसे यह (mineral water pump) पानी निकालने के लिए  |






इसके अलावा अगर आपको कुछ और सुझाव आ रहे हो तो आप हमें मैसेज कर सकते हैं हम आपको सुझाव और भी दोस्त लोगों तक पहुंचाएंगे साथिया आपको अगर बिजनेस करने में किसी प्रकार की दिक्कत होती हो तो आप हमें बता सकते है

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आप इस डिस्ट्रीब्यूशन को लोगों तक पहुंचाने के लिए कोई तरीका भी अपना सकते हैं जैसे कि कोई पेज या कोई यूआरएल साइट का जो लोगों का एसएमएस के थ्रू शेयर कर सकते हैं जिससे वह आपकी सर्विस को जान पाए अगर आप ऐसे चाहते हैं तो यह सर्विस हम आपके लिए कर सकते हैं इसके लिए आपको ₹700 खर्च करने होंगे जिससे  आपके बारे में लाखों लोगों तक बताया जा सकता है , आपकी सर्विस को पहुंचाया जा सकता है साथ ही आपको तरीके बताए जा सकते हैं क्या आपको करना कैसे है

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